विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय आईटी कम्पनी

टीसीएस अपने ग्राहकों के लिए गहरी प्रतिबद्धता, व्यापक उद्योग विशेषज्ञता तथा नवाचार और वितरण केंद्रों के वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से उच्चतम स्तर की संतुष्टि सुनिश्चित करने में विशेष ध्यान देती है। अपने ग्राहकों को नवीन एवं सर्वोत्तम परामर्श, सूचना तकनीकी सेवाएं और समाधान द्वारा व्यावसायिक लक्ष्यों को प्राप्त कराना तथा सभी हितधारकों को आनंदपूर्ण वातावरण प्रदान करना ही कंपनी का प्रमुख उद्देश्य है।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज आईटी सेवा, कंसल्टिंग और व्यावसायिक समाधान प्रदान करने वाली विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय कंपनियों में से एक है। टीसीएस पिछले ५० से अधिक वर्षों से दुनिया के कई बड़े व्यवसायों की शानदार परिवर्तन यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। टीसीएस व्यापार, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग सेवाओं और समाधानों का एक परामर्श-आधारित एकीकृत पोर्टफोलियो प्रदान करती है। यह अपने अद्वितीय लोकेशन इंडिपेंडेंट एजाइल वितरण मॉडल के माध्यम से उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान करती है, जिसे सॉपटवेयर विकास में उत्कृष्टता के बेंचमार्क के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारत की इस बहुराष्ट्रीय कंपनी में दुनिया के ४६ देशों के लगभग ५,०९,०५८ कर्मचारी काम करते हैं। कंपनी ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में २२.२ बिलियन अमेरिकी डॉलर का समेकित राजस्व आ|जत किया है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की स्थापना सन्‌ १९६८ में हुई। इसकी शुरुआत टाटा समूह के एक विभाग के तौर पर टाटा कंप्यूटर सेंटर के नाम से हुई। तब इसका मुख्य व्यवसाय अपने ही समूह की अन्य कंपनियों को कंप्यूटर सेवाएं प्रदान करना था। जल्द ही कम्प्यूटरीकरण तथा कंप्यूटर सेवाओं की क्षमताएं उजागर होने लगीं और तब टाटा इलेक्ट्रिक कंपनी के एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर फ़कीर चंद कोहली को टाटा कंप्यूटर सेंटर का महाप्रबंधक बनाया गया। कुछ ही समय बाद कंपनी का नामकरण टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस कर दिया गया। टीसीएस ने अपना पहला सॉपटवेयर एक्सपोर्ट प्रोजेक्ट १९७४ में आरम्भ किया जब कंपनी ने हॉस्पिटल इन्फोर्मेशन सिस्टम को बुर्होज़ (Burroughs) मीडियम सिस्टम्स कोबोल (ण्धध्थ्) से बुर्होज़ स्मॉल सिस्टम्स कोबोल में बदल दिया। इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से टीसीएस मुंबई में आईसीएल १९०३ कंप्यूटर पर अंजाम दिया गया। १९८० में भारतीय सॉपटवेर उद्योग के कुल निर्यात में ६३ % योगदान टीसीएस और उसकी एक सहयोगी फर्म ने दिया, जबकी अन्य कंपनियों की हिस्सेदारी मात्र ४० लाख डॉलर थी। १९८४ में टीसीएस ने सान्ताक्रुज़ इलेक्ट्रोनिक्स एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन, मुम्बई में अपना एक दपतर स्थापित किया।
१९९० के दशक में टीसीएस के कारोबार में ज़बरदस्त ब़ढोत्तरी हुई, जिसके परिणाम स्वरूप कंपनी ने बड़े पैमाने पर भर्तियाँ की। १९९० के दशक के आरंभिक एवं मध्य के वर्षों में, टीसीएस ने ख़ुद को एक सॉपटवेर उत्पाद निर्माता कंपनी के तौर पर पुनः स्थापित किया। १९९० के दशक के आखिरी सालों में, टीसीएस ने तीन आयामों वाली रणनीति का प्रयोग किया – खूब पैसा कमाने वाले नए उत्पादों का विकास करना, घरेलू तथा अन्य तेज़ी से प्रगति करने वाले बाजारों पर कब्ज़ा ज़माना और दूसरी कंपनियों के विलय व अधिग्रहण से अपना आकार बढ़ाना। १९९० के दशक के अंत में ई-बिजनेस पर कंपनी ने ख़ास ध्यान दिया।
जलवायु परिवर्तन पर टीसीएस के सक्रिय रुख और दुनिया भर के समुदायों के साथ पुरस्कृत कार्य ने इसे एमएससीआई ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स और एफटीएसई फॉर गुड इमर्जिंग इंडेक्स जैसे प्रमुख स्थिरता सूचकांकों में स्थान दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। टीसीएस अपने ग्राहकों के लिए गहरी प्रतिबद्धता, व्यापक उद्योग विशेषज्ञता तथा नवाचार और वितरण केंद्रों के वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से उच्चतम स्तर की संतुष्टि सुनिश्चित करने में विशेष ध्यान देती है। अपने ग्राहकों को नवीन एवं सर्वोत्तम परामर्श, सूचना तकनीकी सेवाएं और समाधान द्वारा व्यावसायिक लक्ष्यों को प्राप्त कराना तथा सभी हितधारकों को आनंदपूर्ण वातावरण प्रदान करना ही कंपनी का प्रमुख उद्देश्य है।
८ अक्टूबर, २०२० को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने मार्केट कैपिटलाइजेशन में एक्सेंचर को पीछे छोड़ते हुए १४४.७३ बिलियन डॉलर की मार्केट कैप के साथ दुनिया की सबसे मूल्यवान आईटी कंपनी बन गई। २५ जनवरी, २०२१ को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने फिर से एक्सेंचर को बाजार पूंजीकरण में पीछे छोड़ दिया और १७० बिलियन डॉलर की मार्केट कैप के साथ दुनिया की सबसे मूल्यवान आईटी कंपनी बन गई। उसी दिन टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज भारत की सबसे मूल्यवान कंपनी बन गई, जब उसने १२.५५ लाख करोड़ की मार्केट कैप के साथ रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड को पीछे छोड़ दिया।
दुनिया भर में टीसीएस के ग्राहकों ने विश्वस्तरीय समाधानाें का उपयोग कर महत्वपूर्ण व्यावसायिक परिणाम प्राप्त किए हैं। यूरोप के सबसे बड़े सेवा प्रदाता प्रदर्शन के सर्वेक्षण में टीसीएस को ग्राहक संतुष्टि के मामले में शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है। यह लगातार तीसरा वर्ष है जब कंपनी ने आईटी सेवा उद्योग के लिए ग्राहक संतुष्टि रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया है। टीसीएस को टॉप एम्प्लॉयर्स इंस्टिट्यूट द्वारा ग्लोबल टॉप एम्पलॉयर की मान्यता भी प्राप्त है। २०१६ में दुनिया भर में १,०७२ कंपनियों के अपने मूल्यांकन में, टॉप एम्प्लॉयर्स इंस्टिट्यूट ने टीसीएस को नौ प्रमुख मानव संसाधन (एचआर) क्षेत्रों – प्रतिभा रणनीति, कार्यबल योजना, ऑनबोर्डिंग, सीखने और विकास, प्रदर्शन प्रबंधन, नेतÀत्व विकास, कैरियर और उत्तराधिकार प्रबंधन, मुआवजा और लाभ तथा कंपनी संस्कृति के मामले में एक असाधारण प्रदर्शनकर्ता का दर्जा प्रदान किया।
मौजूदा दौर में टीसीएस अपने कर्मचारियों के बीच व्यापक सहयोग और जुड़ाव सुनिश्चित करने के लिए आंतरिक सामाजिक प्लेटफॉर्म का उपयोग कर एक हाइपर कनेक्टेड कंपनी बनने की दिशा में अग्रसर है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड, दीर्घकालिक साझेदारी, सहयोगात्मक नवाचार और कॉर्पोरेट जिम्मेदारी के आधार पर आईटी सेक्टर की सर्वाधिक तीव्र गति से आगे बžने वाली कंपनी है।
देश की इस सबसे बड़ी आईटी कंपनी में ५ लाख से भी ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। इसके साथ ही टीसीएस अब इंडियन रेलवे के बाद देश में सबसे ज्यादा लोगों को नौकरी देने वाली दूसरी बड़ी नियोक्ता बन गई है। टीसीएस वित्त वर्ष २०२२ में भी ४०,००० फ्रेशर्स को नौकरी देने वाली है। टीसीएस केवल भारत तक ही सीमित रहने वाली कंपनी नहीं है। चूंकि, यह कंपनी बड़ी संख्या में फ्रेशर्स को नौकरी देती है, इसीलिए कंपनी ने ट्रेनिंग और डेवलपमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जबरदस्त निवेश कर रखा है ताकि कम समय में ही फ्रेशर्स को प्रोजेक्ट के लिए तैयार किया जा सके। ऐसी सुविधा के लिए टीसीएस फ्रेस्कोप्ले प्लेटफॉर्म की मदद लेती है। इसके तहत फ्रेशर्स के लिए व्यक्तिगत रूप से ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार किया जाता है। कंपनी की कोशिश होती है कि फ्रेशर्स को कम से कम समय में प्रोजेक्ट के लिए तैयार किया जाए।

अभ्युदय वात्सल्यम डेस्क