आर्चिस बिजनेस सॉल्युशंस प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक निदेशक संजय ढवलीकर ने अभ्युदय वात्सल्यम् से अपनी कंपनी के कार्यों और उसकी व्यापकता से सम्बंधित विषयों पर बहुत ही स्पष्टता के साथ बातचीत की । बातचीत के दौरान उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था , डिजिटलाइजेशन और अन्य सामाजिक – राजनीतिक विषयों पर भी अपने विचार साझा किये । प्रस्तुत है बातचीत के सम्पादित अंश –
आर्चिस बिजनेस सॉल्युशन्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना कब और कैसे हुई ?
आर्चिस बिजनेस सॉल्युशंस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना जनवरी , २०१४ में हुई थी । इस बिजऩेस की संकल्पना इसकी स्थापना से ५ साल पूर्व ही मेरे दिमाग मे चल रही थी। मैंने बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर्स में २६ – २७ साल काम किया और उस दौरान मेरे दिमाग में ये आया कि सारी कंपनियों को सफल और कुशल होने के लिए किसी ऐसे सर्विस प्रोवाइडर्स या पार्टनर्स की जरूरत होती है जो बिजनेस जानता है । बिजनेस में आज का बदला हुआ कंप्लाइन्स और रेगुलेशन है , यह समझते हुए जो काम कर सकता है , वही इन कंपनियों की सफलता और कुशलता के लिए काम कर सकता है और उन्हें आगे बढ़ाने में सहायक साबित हो सकता है । फिर इसी विचार – कल्पना को मूर्त रूप देने के क्रम में मैंने २०१४ में आर्चिस बिजनेस सॉल्युशंस की स्थापना की ।
आर्चिस बिजनेस सॉल्युशंस का कार्यक्षेत्र क्या – क्या है ?
आर्चिस में हम आज की तारीख में ३ सेक्टर में काम करते हैं । एक बैंकिंग सेक्टर्स में बड़े पैमाने पर काम करते हैं दूसरा इंश्योरेंस सेक्टर्स में और तीसरा फाइनेंस सेक्टर्स में काम करते हैं। बैंकिंग सेक्टर्स में या तीनों सेक्टर्स में देखा जाए तो हम ३-४ वर्टिकल्स में काम करते हैं । जैसे टेक्नोलॉजी की वजह से सारी चीजें बदल रही हैं उसी हिसाब से प्रोसेसिंग में एफिशिएंसी लाकर उसमें बदलाव लाया जा सकता है। हम वैकेंट में काम करते हैं और ऐसा कहा जाता कि वैकेंट आपरेशनस में फाइनैंशियल सर्विसेस के कॉस्ट सेंटर हैं , जितनी कॉस्ट बचेगी उतना उनका फायदा होगा । असरदार और किफायती रूप में अलग – अलग टूल्स इस्तेमाल करके प्रोसेसिंग की एफिशिएंसी बढ़ाने, उनका कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन करना है या कोई भी चीज जो प्रोसेस से रिलेटेड है वो हमारे वर्टिकल हैं । दूसरा वर्टिकल जो है,वो है कस्टमर लाइफ साईकल मैनजमेंट में कस्टमर की जरूरतें, कस्टमर्स की जो उम्मीदें हैं और कस्टमर्स के जो वॉव मूवमेंट हैं, वो काफी हद तक बदल गए हैं । एक जमाना था जब मैं अपने सारे जरूरी कागजात लेकर बैंक जाता था फॉर्म भरता था और सारे फॉर्म जमा करता था । तब कहीं जाकर ८-१० दिन में मेरा बैंक खाता खुलता था । फिर दूसरा दौर वेलकम किट का आया, जहाँ पहले ही दिन बैंक में जाने के बाद आपको आपकी बैंक की सारी चीजें मिलती थीं और मात्र २ दिन में आप अपना बैंक खाता खुलवा सकते थे । फिर टैब बैंकिंग आई, जहाँ घर – घर जाकर बैंक खाते खुलवाए जाते थे । आज के युग में कोटक बैंक ने ८११ नामक बैंक अकाउंट कैसेलेस इकॉनमी के उद्देश्य से खोलना जारी किया है। अगर मैं कहीं खरीददारी करने जाता हूँ तो कार्ड स्वाइप करता हूँ या सीधा मोबाइल से या नेट बैंकिंग से पैसे देता हूँ। टेक्नोलॉजी की वजह से जो बदलाव आ रहे हैं, उससे कस्टमर्स की इच्छाएँ बदल रही हैं । कस्टमर लाइफसाइकल मैनजमेंट के लिए क्या करना चाहिए ये सबसे बड़ा वर्टिकल है,जिसमें हम लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सकते हैं । तीसरा वर्टिकल जिसमें काफी नई – नई चीजें आ रही हैं जिससे कि मुनॉटनस काम काफी बढ़ गया है ।
आर्चिस बिजनेस सॉल्युशंस का टर्न ओवर कितना है और किन – किन शहरों में इस कंपनी का विस्तार है ?
आर्चिस का टर्न ओवर २.५ करोड़ रुपये है । इसे २०२० तक ५ करोड़ तक पहुंचाने की योजना है। मुम्बई के बाहर भी हमारी शाखाएँ हैं । पूरे महाराष्ट्र में है , दिल्ली , चेन्नई, हैदराबाद में भी है, वहाँ से भी हमारा काम चलता है ।
अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी और जीएसटी के प्रभाव को किस दृष्टि से देखते हैं?
नोटबन्दी और जीएसटी को हम काफी सकारात्मक तरीके से देखते हैं और मेरे हिसाब से उसका असर अर्थव्यवस्था पर काफी अच्छा हुआ है ।
राष्ट्रीय जनजीवन में डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया को किस दृष्टि से देखते हैं?
इसमे मैं आपको १-२ उदाहरण दूंगा । जैसे हम बैंकिंग में काम करते हैं उसी तरह हम एक – दो क्षेत्र में काम कर रहे हैं जिसमें हम आगामी २-४ साल में काम करना शुरू करेंगे । एक है शिक्षा और दूसरा स्वास्थ्य की देखभाल । इन क्षेत्रों में हम डिजिटलाइजेशन से कैसे फ़ायदा पहुँचा सकते हैं , वह दिलचस्प है । सरकार ने हाल ही में सारे पेपर्स और कागजात को एक जगह सुरक्षित रखने की एक महत्वपूर्ण योजना लायी है – डिजीलॉकर । अगर आप एक विद्यार्थी हैं तो अपने सारे सर्टिफिकेट डिजिटल लाकर में रख सकते हैं । इसका लांग टर्म इफ़ेक्ट काफी अच्छा है , जैसे कि अगर आप कहीं जाते हैं तो आपको कुछ भी ले जाने की जरूरत नहीं है, सारी जानकारी उस पर मौजूद होंगी और अगर किसी कंपनी को वेरीफाई करना होगा तो वो ऑटोवेरिफाई हो जाएगा । यह सारी प्रक्रिया डिजिटलाइजेशन के माध्यम से पेपरलेस हो गई है । इसमें काफी प्रामाणिकता आ गई है और काम करने की तीव्रता काफी हद तक बढ़ गई है। हेल्थकेयर में मेरे एक मित्र ने एक स्वास्थ्य सेवा के अंतर्गत एक एप विकसित किया है , जिसके माध्यम से गाँवों में रहने वाला व्यक्ति अपनी बीमारी उस एप में दर्ज कर सकता है और फिर उस व्यक्ति के रोग के निवारण के क्रम में डॉक्टर उन्हें दवाइयाँ प्रिस्क्राइब करते हैं। हाल ही में मेरे बेटे ने कॉलेज में एक प्रोजेक्ट बनाया था । प्रॉजेक्ट ऐसा था कि जैसे आज कल लोग अपनी दवाइयां समय पर लेना भूल जाते हैं। ज्यादातर ये बुजुगोर्ं में होता है, तो उन्होंने एक ऐसे घड़ी बनाई है जिसमें उन्होंने सारी जानकारियाँ डाल दी हैं कि कौन सी दवा किस समय पर लेना है ? यह सब बताने का उद्देश्य यही है की डिजिटलाइजेशन से हमारे काम – काज में बहुत आसानी हुई है, इससे हमारा समय बचता है । हमारा कार्य सुगमता से पूर्ण हो जाता है ।
डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया निरंतर गतिमान है , लेकिन साइबर सिक्योरिटी की भी घटनाएं बढ़ रही हैं । इस सन्दर्भ में आप का क्या विचार है ?
साइबर सिक्योरिटी अब हर व्यक्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण विषय बन गया है । डिजिटलाइजेशन की इस दुनिया में बहुत आसानी और सुगमता तो है ही , लेकिन साथ में बहुत हानियां भी निहित हैं । इस समय जितने भी साइबर अपराध हो रहें हैं वे सारे रिपोर्ट नहीं हो रहे हैं । शायद न लोगों का समझ में आता है कि उनसे कैसे निपटा जाय और न ही उन्हें विश्वास है कि इसका संतोषजनक हल निकल सकता है । सच यह भी है कि इस समय हमारे पास इस तरह के अपराधों की जांच करने के लिये बहुत कम प्रशिक्षित अन्वेषक हैं । सरकार इस दिशा में अपना काम कर रही है लेकिन जब तक एक्सपर्ट इस कार्य में नहीं लगेंगे , तब तक जा इस अपराध को नहीं रोका जा सकता है । लोगों को जागरूक करने की भी आवश्यकता है, क्योंकि इस डिजिटल दुनिया में बहुत गहराई है ।
मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल को कैसे देखते हैं ?
केंद्र की मोदी सरकार बहुत ही अच्छा काम कर रही है । इस सरकार ने लोगों के कल्याण हेतु बहुत ही तत्परता के साथ काम किया है । बहुत सारी कल्याणकारी योजनाएं लागू की गर्इं और उन्हें जमीनी स्तर पर क्रियान्वित भी किया गया । लेकिन कुछ योजनाओं को ठीक से क्रियान्वित किया जाना चाहिए , जैसे स्किल डेवलपमेंट है , इसे एम्प्लॉयबिलिटी से जोड़कर आगे बढ़ाना चाहिए ताकि व्यापक स्तर पर रोजगार का सृजन हो सके ।
प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी । इस अभियान की सफलता के बारे में क्या कहना चाहेंगे ?
देखिये , यह अभियान कितना सफल हुआ है और कितना असफल हुआ है , उसके बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता । लेकिन इतना तो जरूर हुआ है कि लोगों की मानसिकता परिवर्तित हुई है । अब लोग सड़क पर कचरा फेंकने में संकोच करते हैं, हिचकिचाते हैं , शर्माते हैं । अगर हम अपने परिवेश को स्वच्छ रखेंगे तो हम एक मनमोहक और शांतिपूर्ण वातावरण का निर्माण कर सकते हैं। इससे मानव जीवन स्वस्थ रहेगा । प्रधानमंत्री जी ने इस अभियान की शुरुआत कर भारत को एक नवीन दिशा में ले जाने का सराहनीय कार्य किया है ।
आप बाल्यकाल से ही आरएसएस से जुड़े हैं और काफी सक्रिय भी हैं। अभी हाल ही में संघ प्रमुख ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में देश के प्रबुद्धजनों को एक व्याख्यानमाला के अंतर्गत सम्बोधित किया । उनके सम्पूर्ण सम्बोधन को आप किस दृष्टि से देखते हैं ?
मुझे लगता है कि संघ के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है और यह अपने आप में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम हम सबने देखा । पहली बार बालासाहब देवरस जी ने इसी तरह सामाजिक समरसता पर अपना विचार साझा किया था । सामाजिक समरसता पर उनका वक्तव्य बहुत प्रख्यात हुआ था । उसी तरह अब संघ प्रमुख जी ने व्याख्यानमाला के अंतर्गत जो वक्तव्य दिया है , वह भी अपने आप में ऐतिहासिक हो गया । संघ को लेकर राष्ट्र और समाज में जो भ्रांतियाँ फैलाई गई थीं, जो अफवाह फैलाए गये थे , कम से कम उस पर अब विराम लगेगा । इस व्याख्यानमाला से संघ को लेकर एक स्पष्टता सृजित हुई है और यह कार्यक्रम अपरिहार्य और प्रासंगिक भी हो गया था ।