प्रशांत कारुलकर एक ऐसे युवा उद्योगपति हैं , जिन्होंने अपनी क्षमता , पात्रता और सुयोग्यता के माध्यम से साईं रिदम रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड को व्यावसायिक सफलता के बुलंदियों पर पहुंचा दिया है । यह कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर , कंस्ट्रक्शन, रेत विनिर्माण और लैंड बैंक के क्षेत्र में प्रमुखता से काम करती है । प्रशांत ने बहुत कम उम्र में ही इस कंपनी की स्थापना कर रियल एस्टेट की दुनिया में कदम रखा था । प्रशांत कारुलकर आर्थिक रूप से जितने सुसमृद्ध हैं , उससे भी अधिक वह व्यावहारिक सरलता और सहजता के मामले में समृद्ध हैं । आज प्रशांत की कंपनी देश के बड़े – बड़े निर्माण समूहों को उत्पादन सामग्री उपलब्ध कराती है और इसके पास देश के प्रतिष्ठित कंपनियों की ग्राहक श्रृंखला है । साईं रिदम रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक प्रशांत कारुलकर ने अभ्युदय वात्सल्यम् के प्रधान संपादक आलोक रंजन तिवारी से रियल एस्टेट और आर्थिक , सामाजिक एवं राजनीतिक विषयों पर विस्तृत बातचीत की । प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश –
आपकी कंपनी है – सार्इं रिदम रियलटर्स प्रा. लि.। यह कंपनी किस तरह का व्यवसाय करती है ? आपकी व्यावसायिक यात्रा की शुरुआत कब और कैसे हुई ?
साईं रिदम रियल्टर्स की स्थापना १९९९ में हुई और इसी से जुड़ी २७ कंपनियां और हैं, वो जमीन खरीदने से लेकर, निर्माण कार्य, इमारतों का निर्माण या जमीन साफ करने तक का काम करती हैं । इन कंपनियों के माध्यम से हम सीसी करके बिल्डर्स को एफएसआई बेचते हैं और एग्रिगेट में काम करते हैं । इंफ्रास्ट्रक्चर में जैसे रोड बनाना हो या कुछ भी हो, हम वह काम करते हैं। हमारे पास एशिया का सबसे बड़ा सैंड डेवेलपमेंट या सैंड मैन्युफैक्चरिंग का प्रोजेक्ट है। अल्ट्राटेक जैसी बड़ी कंपनियों ने हमारे एक साल बाद इस प्रोजेक्ट को लाया। त्रयंबकेश्वर तक मेरी लैंड बैंक है, १९०० एकड़ जमीन हमने लिया है । एग्रिगेट से जुड़े सभी प्रोडक्ट हम बनाते हैं । आईआरबी , एल एंड टी , शिरके ,म्हाडा , मेट्रो, जितने भी बड़े बिल्डर्स हैं , सब हमारा ही सैंड इस्तेमाल करते हैं।
वर्तमान में आपके व्यवसाय की क्या स्थिति है ?
हम एक अवसर देख रहे हैं । भारत एक विकासशील देश है और व्यवसाय के लिए यहाँ अपार संभावनाएं हैं। हमारे यहाँ एक मानसिकता बन गई है कि अच्छा काम सिर्फ विदेशी ही कर सकते हैं और हम नहीं कर सकते । हमें इस सोच को बदलना है । हमारे यहाँ रिसर्च एण्ड डेवेलपमेंट पर एक टीम करती है , उस टीम में इस क्षेत्र के विशेषज्ञ लोग शामिल हैं । वे लोग शोध करते रहते हैं । जहाँ तक मेरा मानना है कि भारत को विकसित होने में अभी १५ वर्ष लग सकते हैं। जहाँ तक सवाल है हमारी व्यावसायिक स्थिति का तो हम निरंतर प्रगतिशील बने हुए हैं। अपने ग्राहकों की एक लम्बी श्रृंखला खड़ी कर रहे हैं। हमारे इस क्षेत्र में पहले सैंड माफिया किस्म के लोग रहते थे , लेकिन अब सरकार ने ऐसे तमाम नियम , कानून और प्रावधान बना दिया है कि पारदर्शिता के साथ काम करने वाले लोग ही इस रेस में दौड़ सकते हैं, भ्रष्टाचार और बेईमानी से व्यवसाय करने वाले इस बिजनेस में अब ठहर नहीं सकते । और इस चीज से एक बेहतर व्यावसायिक माहौल का सृजन हुआ है । हम अपने हर एक प्रोजेक्ट के लिए सरकार से कानून और प्रावधानों के अंतर्गत अनुमति लेते हैं और उन अनुमतियों में निहित निर्देशों का पालन भी करते हैं ।
जब आप रेत निकालते हैं तो किसी न किसी तरीके से पर्यावरण का दोहन तो होता ही है । पर्यावरण संतुलन के लिए आप क्या करते हैं?
हम वही क्षेत्र अपने प्रोजेक्ट्स के लिए चुनते हैं , जो इको सेंसिटिव जोन से बाहर होते हैं, जिनका आबादी वाले क्षेत्रों पर कोई असर नहीं पड़ता । पर्यावरण संतुलन हेतु हम व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण भी करते हैं । हम अपने एनजीओ राष्ट्र सेवा समिति के माध्यम से हर साल लगभग १० हजार पौधे लगवाते हैं।
आप कंस्ट्रक्शन की दुनिया से जुड़े हैं तो रेरा के आने से इस व्यावसायिक क्षेत्र में किस प्रकार का परिवर्तन आप देख रहे हैं ?
रेरा के पहले एमारटीपी था , वह बहुत कमजोर था । उसमे बहुत सारी कमियां थीं , लेकिन रेरा के आने के बाद सारी चीजें व्यवस्थित हो गई हैं । इससे बिल्डर्स और उपभोक्ता में एक सुरक्षा की भावना आ गई है और सबका आत्मविश्वास ब़़्ाढ गया है कि मेरा पैसा कहीं नहीं जाएगा ।
क्या सिंगल विंडो क्लियरेंस को व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाना चाहिए?
इसमे वक्त लगेगा । पहल बहुत अच्छी है और हमारे मुख्यमंत्री जी भी अतिशय सक्रिय हैं । वह बहुत बारीकी से इस पर काम कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जो व्यक्ति सही है, जिसके सारे कागजात सही हैं, उसके लिए कोई भी नियम कानून लगा दो उसे परमिशन मिल ही जाएगी और अब तो इन सब चीजों की आदत भी पड़ गई है । लेकिन जो गलत है या जिन्हें गलत तरीक़ों से काम करना है, वे कोई ना कोई कमी निकाल ही लेंगे ।
कुछ महीने पूर्व मुंबई की नई डीपी आयी है । इस पूरे डेवलपमेंट प्लान को आप कैसे देखते हैं?
पहले जो डीपी आई थी उसमें काफी कमियां थीं , लेकिन अब जो डीपी डेवलप होकर आई है ,वह काफी अच्छी है । मेरे दृष्टिकोण से ये डीपी बेहतर है और इसका पालन हम भी कर रहे हैं । नई डीपी में शहर के विकास के लिए असीम संभावनाएं हैं ।
कई सारे नो एकोनिमिक जोन को भी इस्तेमाल करने लायक बना दिया गया है , इसका क्या असर होगा ?
बनाना ही पड़ेगा , क्योंकि उसकी जरूरत है । आज की तारीख में, मुम्बई में जगह ही कहा बची है ? इससे ह्यूमन शिफ्टिंग होगी और खाली जमीन पर निर्माण कार्य करने के अवसर उत्पन्न होंगे ।
आज आप जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुँचने में किस चीज को सवार्धिक महत्वपूर्ण मानते हैं?
आज मैं जिस मुकाम पर हूँ , उसमें हमारे परिवार की सबसे बड़ी भूमिका है । हमारा परिवार बहुत शिक्षित रहा है । मेरी दादी भी स्नातक थीं , मेरे दादा जी भी स्नातक थे । ये लोग उस दरम्यान उच्च शिक्षा ग्रहण किये थे , जब बहुत सारी कठिनाइयां होती थीं । इसलिए मुझ पर भी शिक्षा और पारिवारिक संस्कारों का गहरा असर पड़ा है और मैं आज जो कुछ भी हूँ , इन्हीं पारिवारिक संस्कारों की वजह से ही हूँ । मेरा परिवार संघ से जुड़ा रहा है , संघ से जुड़ाव के नाते राष्ट्र निर्माण में योगदान करने की प्रेरणा भी यहीं से मिली।
आपका परिवार संघ से जुड़ा रहा है तो राष्ट्र निर्माण में संघ की भूमिका को किस दृष्टि से देखते हैं ?
जहाँ तक मेरा मानना है, संघ इस देश का एक बैकबोन ( रीढ़ की हड्डी ) है । संघ के निःस्वार्थ प्रयासों से ही आज हमारा हिन्दू राष्ट्र सुरक्षित है । संघ देश के समावेशी विकास के लिए तरह – तरह के सामजिक और सांस्कृतिक कार्य करता रहता है । संघ के कई उपक्रम हैं जो विभिन्न जनकल्याणकारी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सामाजिक जीवन में गतिमान हैं । राष्ट्र निर्माण में सघ की भूमिका इसके स्थापना काल से ही बहुत सराहनीय रही है ।
मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल के बारे में आपका क्या विचार है ?
मोदी सरकार बहुत उत्साह के साथ काम कर रही । देश को सुव्यस्थित तरीके से आगे बढ़ा रही है। जन – जन का विकास हो, इस संकल्प के साथ केंद्र की मोदी सरकार प्राणपण से लगी हुई है। आने वाले समय में इस सरकार के कार्यों का सुखद परिणाम हम सबके सामने होगा।
क्या आपको लगता है कि २०१९ में बीजेपी दोबारा सत्ता में आएगी ?
बिल्कुल आएगी । अपने काम की वजह से आएगी। इस वजह से नही आएगी कि विपक्ष कमजोर है, बल्कि अपने विकास कार्यों की वजह से आएगी । अगर आप २-४% बिजनेसमैन की बात करेंगे तो वो नाराज हैं, क्योंकि उन्हें कालेधन की आदत थी और वो चिल्ला रहे हैं कि बिजऩेस खत्म हो गया । मैं तो यह कहना चाहूंगा कि बिजनेस खत्म नहीं हुआ है, बल्कि कन्वर्ट हो गया है और अब सही तरीके से स्थापित हो गया है ।
आपका इतना बड़ा व्यवसाय है । क्या सामाजिक कार्य भी करते हैं ? हाँ , बिलकुल करता हूँ मैं व्यक्तिगत रूप से करता ही हूँ , साथ में मेरी पत्नी शीतल भी समाजसेवा में बढच़ढ़ कर हिस्सा लेती हैंं । गरीब बच्चों को उनकी पढाई में हम मदद करते हैं, वृक्षारोपण करते हैं। अभी पालघर में हम परम पूज्य श्री वासुदेवानंद स्वामी महाराज नाम से एक बहुत बड़ा मंदिर बना रहे हैं। सामाजिक , सांस्कृतिक और धार्मिक कार्य करना तो हमारे परिवार के स्वाभाव में पहले से ही रहा है । हम भी इसी पावन भावना का अनुसरण कर रहे हैं।