पाकिस्तान सरकार की वेबसाइट पर योग की महत्ता को बताया गया लेकिन इसे भारतीय परंपरा मानने के बजाय एक पुरानी वैश्विक परंपरा करार दिया और कहा गया कि दुनिया के कई हिस्सों में इसके कई रूप प्रचलित हैं।
योग दिवस ने एक बार फिर साबित कर दिया कि इस पारंपरिक जीवन पद्धति को दुनिया जितनी तेजी से अपना रही है भारत दुनिया में उतनी ही मजबूती से अपनी सॉफ्ट पावर की इमेज पुख्ता कर रहा है। इस बार योग दिवस के लिए अगर सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहली बार ओम का उच्चारण गूंजा तो अभी तक इसे अपनाने में आनाकानी कर रहा पाकिस्तान भी आधिकारिक तौर पर इसमें शामिल हुआ। हालांकि पाकिस्तान ने पूरी कोशिश की है कि इसका श्रेय भारत को ना मिले।
विदेश मंत्री एस जयशंकर की अगुआई में भारतीय विदेश मंत्रालय ने यहां रह रहे विदेशी राजनयिकों के लिए खास तौर पर योग दिवस का आयोजन किया। इसमें ५६ देशों के २५० राजनयिकों ने हिस्सा लिया। जयशंकर ने योग आयोजन को सामान्य मानवता के जश्न के तौर पर चिन्हित किया। दुनिया भर में फैले भारतीय उच्चायोग और मिशन पहले से ही (१५ जून से ही) योग दिवस के अवसर पर तमाम कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे थे। इस बार दुनिया के जितने भी प्रमुख पर्यटन स्थल हैं वहां पर खास तौर पर योग दिवस आयोजित करने की रणनीति रही। सिडनी के ओपेरा हाउस, पेरिस के एफिल टावर से लेकर वाशिंगटन स्थिति वाशिंगटन स्मारक, चीन के शाओलीन टेंपल और नेपाल के माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप जैसे स्थलों पर योग का आयोजन किया गया। इनमें से कुछ स्थलों पर हजारों की संख्या में लोगों ने योगासन किया। भारतीय मिशनों ने छोटे शहरों में योग को प्रचारित करने पर खास तौर पर ध्यान दिया और इसका असर भी दिखा। कई देशों की प्रसिद्ध हस्तियों ने भी इन आयोजनों में हिस्सा लिया।
पड़ोसी देश पाकिस्तान जो पिछले पांच वर्षो से योग दिवस की अनदेखी कर रहा था इस बार बदला हुआ दिखा। पाकिस्तान सरकार की वेबसाइट पर योग की महत्ता को बताया गया लेकिन इसे भारतीय परंपरा मानने के बजाय एक पुरानी वैश्विक परंपरा करार दिया और कहा गया कि दुनिया के कई हिस्सों में इसके कई रूप प्रचलित हैं। लेकिन,पाकिस्तान के कई शहरों से सोशल मीडिया पर जो खबरें आई वे साफ तौर पर बताती हैं कि वहां का आवाम अब खुल कर योग कर रहा है। इस्लामाबाद से लेकर पेशावर तक के पार्को में योग का आयोजन किया गया।
संयुक्त राष्ट्र में ओम शांति, शांति ओम की गूंज
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में योग कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें कई देशों के राजनयिक, अधिकारियों, योग गुरु व बच्चों के साथ कई लोग शामिल हुए। इस दौरान महासभा का हॉल ओम शांति, शांति ओम के मंत्रोच्चार से गूंज उठा। बीते पांच सालों में यह पहली बार है, जब यूएनजीए के हॉल में योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। बता दें कि २०१४ में महासभा में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने २१ जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद २०१५ से हर साल पूरे विश्व में योग दिवस मनाया जा रहा है।
इस साल योग विथ द गुरुज कार्यक्रम का थीम योग फॉर क्लाइमेट एक्शन था। पहले इसका आयोजन यूएन मुख्यालय के नार्थ लॉन में होना था। हालांकि, बारिश की वजह से यूएनजीए हॉल में कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत नरेंद्र मोदी के वीडियो मैसेज से हुई। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, मुझे उम्मीद है कि योग से स्वच्छ, हरित और चिरस्थायी भविष्य की परिकल्पना सुदृढ होगी। उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन मानवता के अस्तित्व पर संकट बन गया है। योग हमें ऐसी जीवनशैली अपनाने में मदद करेगा, जो सतत है और पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित भी है। कार्यक्रम में मौजूद संयुक्त राष्ट्र की उपमहासचिव अमीना मुहम्मद ने कहा, योग का सार ही संतुलन है। यह हमारे अंदर ही नहीं, बल्कि मानवता व प्रकृति के साथ भी संतुलन बनाने में मदद करेगा। इस मौके पर कार्यक्रम में शामिल लोगों ने योग गुरुओं के निर्देशों का पालन करते हुए ‘ओम शांति, शांति ओम“ मंत्र का उच्चारण करने के साथ ही अनुलोम – विलोम प्राणायाम का अभ्यास व ध्यान भी लगाया।
इजरायल में भी मना योग दिवस
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इजरायल स्थित भारतीय दूतावास ने हटाचना परिसर में कार्यक्रम आयोजित किया था। इस योगाभ्यास में इजरायली अभिनेत्री मिशल यनाई के साथ जानी-मानी हस्तियों समेत ४०० से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। मौके पर इजरायल में भारत के राजदूत पवन कपूर ने कहा, ‘मैं इस बात को लेकर हैरान हूं कि इजरायल में योग इस कदर मशहूर है।
पड़ोसी देश चीन व बांग्लादेश में भी मना योग दिवस
चीन की राजधानी बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने इंडिया हाउस में योग दिवस मनाया। इस कार्यक्रम में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी और उनकी पत्नी डॉली भी मौजूद रहीं। विक्रम ने कहा, ”योग ना सिर्फ दोनों देशों की पुरातन सभ्यता को जोडऩे की कड़ी है, बल्कि यह दोनों देशों के नागरिकों की आधुनिक आकांक्षाओं को भी दर्शाता है।ह्ण वहीं बांग्लादेश की राजधानी में भी योग कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें करीब सात हजार लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमीन व रेल मंत्री मुहम्मद नुरुल इस्लाम सुजन भी शामिल थे।