पाचवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भारत के साथ पूरी दुनिया योग के रंग में रंग गई। इस वैश्विक आयोजन का केंद्र था झारखंड की राजधानी रांची का तारा मैदान, जहां प्रधानमंत्री ने योग के आसन भी किए, लोगों को भारतीय संस्कृति के इस प्रतीक से भी जोड़ा और यह ऐलान भी किया कि योग जाति, धर्म, अमीर-गरीब, कमजोर-सशक्त, हर दायरे से ऊपर है। सुबह साढ़े छह बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगाभ्यास के लिए जुटे लोगों से कहा-सुप्रभात और इसके साथ ही देश-दुनिया में योग के इस महाआयोजन की शुरुआत हो गई। एक अरब से ज्यादा भारतीयों के साथ दुनिया के अलग-अलग देशों में योग को सलाम करने-अपनाने का सिलसिला शुरू हो गया। सबसे ऊंचे और ठंडे युद्ध क्षेत्र सियाचिन से लेकर अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा तक सेना के विभिन्न अंगों के साथ तमाम अर्धसैनिक बलों के जवान योगाभ्यास में जुटे। पहाड़ की ऊंचाइयों पर सैनिकों ने योग किया तो समुद्र में तैरते पोत में भी। सैनिकों के साथ ही पूरे देश में अलग-अलग शहरों में भी लोग योग दिवस मनाने के लिए उमड़े। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रोहतक में योग किया तो संसद परिसर में भी सदस्यों ने योगासन किए। राजपथ पर १५ हजार साधकों के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई मंत्रियों व मुख्यमंत्रियों ने योगाभ्यास में हिस्सा लिया। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल भी इसमें शामिल हुए। लालकिला परिसर में आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के साथ ४० हजार से अधिक लोगों ने योग किया।
पाकिस्तान की सरकार ने भी पहली बार योग का महत्व स्वीकार किया। पाक सरकार के ट्वीट में इसके फायदे की ओर इंगित करते हुए लिखा गया कि यह फिटनेस के लिहाज से महत्वपूर्ण है। योग शारीरिक और मानसिक क्षमता का तेजी से विकास करता है, जो शरीर व मस्तिष्क को लंबे समय तक स्वस्थ रखता है। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन भी योग से जुड़े। उन्होंने योग को भारत-श्रीलंका की साझी विरासत के तौर पर पेश किया है। सिरिसेन ने वृक्षासन और भुजंगासन करते हुए वीडियो भी शेयर किए हैं, जबकि चीन की सेना के जवानों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर भारतीय जवानों के साथ योगासन किया। यह था योग के प्रति दुनिया की बढत़ी दिलचस्पी का प्रमाण। इधर, रांची में पीएम ने आम लोगों के बीच बारिश की धीमी फुहार में बैठकर ४५ मिनट तक योग के १३ आसन किए। उनकी सहजता, अपनापन लोगों को भीतर तक सराबोर कर गई। झारखंड में अभिवादन के लिए उन्होंने जहां राऊरे मन के जोहार (आप लोगों को नमस्कार) से शुरुआत की तो अंग्रेजी में सात समुंदर पार बैठे योग प्रेमियों तक भी अपना यह संदेश पहुंचाया कि योग को जन-जन तक पहुंचाएं। महज पांच वर्ष पूर्व २०१४ में संयुक्त राष्ट्र की आमसभा में योग को अंतर्राष्ट्रीय फलक पर लाने वाले नरेंद्र मोदी का संदेश इस मायने में भी अहम है कि वह इसे शहर से गांव की ओर ले जाने का आह्वान करते दिखे। यानी उस वर्ग को योग से जोडऩे की कोशिश की गई जो अब तक इसे विशिष्ट वर्ग के काम की चीज मानता है।
पीएम ने कहा, हमें उसी तरह योग के बारे में ज्ञान बढ़ाते रहना चाहिए जिस तरह हम फोन को अपडेट करते रहते हैं। योग अनुशासन व प्रतिबद्धता का दूसरा नाम है और पूरा जीवन इसके अनुरूप बिताना चाहिए। योग हर किसी का है और हर कोई योग के लिए है। प्रभात तारा मैदान से जाते-जाते मोदी योग को वैश्विक समर्थन पर आभार भी जता गए। उन्होंने अपनी चिंता भी साझा की और उसका निदान भी सुझाया। कहा-शांति, सद्भाव और समृद्धि के लिए योग ही पांचवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का संदेश है।