शिक्षा और प्रारंभिक कैरियर
सुश्री राधिका गुप्ता एक निवेश पेशेवर हैं। इनके पास परिसंपत्ति प्रबंधन में विविध अनुभव हैं। इन्होंने मैकिन्से के साथ अपना कैरियर शुरू किया, बाद में वॉल स्ट्रीट में चली गईं। इसके बाद वह 2009 में अपना उद्यम शुरू करने के लिए भारत आ गईं और फ़ोरफ़्रंट कैपिटल मैनेजमेंट शुरू किया। यह भारत में पहला पंजीकृत हेज फंड था जिसे 2014 में एडलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड द्वारा अधिगृहित किया गया था। साथ ही उन्होंने एडलवाइस के जेपी मॉर्गन के म्यूचुअल फंड व्यवसाय के अधिग्रहण का नेतृत्व किया। 2017 में वो एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट की सीईओ बनीं। तब से, उनका प्रयास एडलवाइस एएमसी को तेजी से आगे बढ़ाने पर केंद्रित है। भारत सरकार के साथ साझेदारी में भारत बॉन्ड ईटीएफ का हालिया लॉन्च, इस दिशा में एक और कदम है।
राधिका एक वैश्विक नागरिक हैं, जो चार महाद्वीपों में पली-बढ़ी हैं। राधिका की स्कूली पढ़ाई ज्यादातर देश के बाहर ही हुई है। इनके पिता विदेश मंत्रालय में रहे हैं। इनका जन्म पाकिस्तान में हुआ और यूएस, नाइजीरिया, जांबिया तथा यूरोप में स्कूलिंग हुई। यूएस से इनकी कॉलेज की पढ़ाई पूरी हुई और इन्होंने कंप्यूटर साइंस और बिजनेस में जॉइंट डिग्री हासिल की।
2005 में जब ये ग्रेजुएट हुईं तब इन्होंने अपना कैरियर कंसलटिंग के क्षेत्र से शुरू किया था और करीब डेढ़ साल तक कंसलटिंग का काम किया। 2009 के बाद ये भारत लौट आईं और अपना बिजनेस शुरू किया। 2017 से म्युचुअल फंड्स की इनकी यात्रा शुरू होती है। इसके बाद वो लगातार आगे बढ़ती रही हैं। म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के बारे में वो कहतीं हैं – “देखिए कुछ चुनौतियॉं इंडस्ट्री के लेवल की होती हैं कुछ चुनौतियां म्यूच्यूअल फंड से जुड़ी होती हैं। जब हमने शुरुआत की थी तब म्यूच्यूअल फंड बिल्कुल नया ब्रांड था। तब उस ब्रांड को स्थापित करने की चुनौती थी। जो उस दौरान के बड़े ब्रांड थे उनके सामने अपने को बना कर रखना, इन्वेस्टर हमारे पास क्यों आए यह भी एक चुनौती थी। हमारा शुरू से एक अप्रोच रहा है कि हम ऐसे प्रोडक्ट्स डिजाइन करें जिससे निवेशक की वित्तीय जरूरतों को हम पूरा कर सकें।”
भारतीय बाजार की स्थिति
भारतीय संदर्भ में बात करें तो यहॉं मुख्य चुनौती यह है कि म्यूच्यूअल फंड को कैसे निवेशकों तक लेकर जाया जा सके और कैसे उन्हें बाजार में टिके रहने के लिए प्रेरित कर सकें। आमतौर पर बार-बार बात इस पर होती है कि कितना एयूएम आया इसकी जगह हमें यह देखना चाहिए कि लोग कितना टिके रहे बाजार में। बाजार में लोगों का टिका रहना बना रहना जरूरी है।
भारत और अमेरिकी बाजार के बीच तुलना पर राधिका कहतीं हैं “मुझे नहीं लगता कि ऐसी तुलना करनी चाहिए। पिछले 5 साल पहले की बात करें तो जब मैं कहती थी किसी से कि मैं म्यूचुअल फंड में काम करती हूँ तो लोग यही समझते थे कि मैं किसी बैंक में काम करती हूँ। अभी एसआईपी और म्यूचुअल फंड मेन स्ट्रीम हो गए हैं। नए-नए इन्वेस्टर आ रहे हैं।”
भविष्य की योजनाएँ
राधिका बताती हैं कि पिछले चार-पांच साल उनकी कंपनी के लिए बहुत अच्छे बीते हैं। इन 4- 5 सालों में 6000 करोड़ से 80 हजार करोड़ का एयूएम हुआ है। इसी दौरान 10 हजार पोर्टफोलियो से आज 80 हजार पोर्टफोलियो हो गए हैं। ये ऑंकड़े बताते हैं कि लोग इनसे साथ आ रहे हैं जुड़ रहे हैं। इनके प्रोडक्ट को प्रशंसा मिल रही है। इक्विटी में बहुत ग्रोथ हुई है। कस्टमर फीडबैक भी अच्छे मिले हैं। म्यूच्यूअल फंड ब्रांड का बिजनेस है ट्रस्ट का बिजनेस है, और राधिका का सबसे अधिक ध्यान इसी पर रहता है। वो आगे कहती हैं “अभी हमें बहुत दूर जाना है। हमारे प्रोडक्ट बास्केट बहुत अच्छे हैं। इक्विटी फंड हैं, डेट फंड हैं। अपनी टीम का विस्तार करेंगे। हम अपने को डिजिटली भी बेहतर करेंगे। हम साधारण काम करेंगे, अपने वितरण को और प्रसारित करेंगे।”
ओमीक्रोन का बाजार पर कितना असर होगा, इस पर वो कहतीं हैं कि इसका अनुमान करना थोड़ा मुश्किल है। जैसे कोविड की दूसरी लहर भारत के लिए बहुत मुश्किल थी लेकिन बाजार के लिए इतनी मुश्किल नहीं हुई। अगर बाजार परिणाम के हिसाब से देखें तो यह बहुत विपरीत नहीं रहे। चीजें और बेहतर ही होंगी।
कंपनी की भावी नीतियों के संदर्भ में राधिका कहती हैं कि पहला काम म्यूच्यूअल फंड को ज्यादा से ज्यादा घरों तक ले जाना है। दूसरा यह कि जो महिलाओं, चाहे वो निवेशक हों, वितरक हों, कर्मचारी हों उनके लिए हम क्या बेहतर कर सकते हैं। वो निवेश और सलाह की पेशेवर दुनिया में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की हिमायती हैं।
निवेशक शिक्षा और निवेश का सूत्र
निवेशकों की शिक्षा के संदर्भ में राधिका कहती हैं इस संदर्भ में इंडस्ट्री में एक साथ हमने काफी काम किया है। सबसे बड़ा काम यह हुआ कि ‘म्युचुअल फंड सही है’ एक नारा बन चुका है। वो मानती हैं कि इंडस्ट्री बहुत जिम्मेदारी से विज्ञापन कर रही है, जैसे म्यूच्यूअल फंड है मैजिक फंड नहीं। इस स्लोगन के साथ हम अपनी जिम्मेदारीसमझ रहे हैं। लोगों को सही सीख दे रहे हैं। राधिका यह भी कहती हैं “हमारा प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक म्यूच्यूअल फंड को ले जाएँ। दूसरा हमारा प्रयास है कि वितरण को कैसे बढ़ाएँ। हमारा काम पूरी पारदर्शिता के साथ हो।”
बेहतर रिटर्न के लिए उनका मुख्य सलाह यही है कि अपनी ऐसेट एलोकेशन को बनाकर रखिए। निवेश अपने हिसाब से कीजिए। वो कहतीं हैं कि आजकल यह बहुत चलता है कि किसी दोस्त ने सलाह दे दी, किसी ट्विटर पर एडवाइस मिल गई तो निवेश कर दिया आपने। मूल बात यह है कि आप अपनी समझदारी से अपनी जरूरतों के हिसाब से निवेश करिए। और यह भी कि निवेश लॉन्ग टर्म के लिए हो। अपनी पसंदीदा स्कीम के बारे में वो कहती हैं “मैं यही कहूंगी कि लिटिल वाइज बैलेंस एडवांटेज स्कीम। इसमें मैं खुद इन्वेस्ट करती हूँ। यह बहुत पॉपुलर है। इसमें सब कुछ मिलता है इक्विटी भी डेब्ट भी।”
राधिका अपने जीवन और पेशेवर कैरियर को लेकर काफी संजीदा हैं। अपने काम से लोगों की जिंदगी में सुखद परिवर्तन लाना, उनका सबसे बड़ा संतोष है। खाली समय में राधिका को लिखना बहुत पसंद है। अपने आदर्श के बारे में वो कहती हैं “शायद कुछ साल पहले तक मैं इसका कुछ और जवाब देती, लेकिन मुझे सबसे ज्यादा सीख अपने मां-बाप से मिलती है। ज्यादातर मूल्य, ज्यादातर संस्कृति हमें अपने माता-पिता से मिलती है।” उनका YouTube वीडियो, “द गर्ल विद ए ब्रोकन नेक”, जो उनकी जीवन यात्रा को बताता है, को कम समय में 100K से अधिक बार देखा है। वह AMFI बोर्ड की सदस्य हैं तथा म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स की समिति की अध्यक्षता करती हैं। इन्हें हाल ही में बिजनेस टुडे पत्रिका द्वारा “भारतीय व्यापार में 30 सबसे शक्तिशाली महिलाओं” के रूप में नामित किया गया था।