यह भारत का परम सौभाग्य है कि हमें योगी आदित्यनाथ के रूप में, एक महान विभूति प्राप्त है जो देश – दुनिया के लिए मुख्यमंत्री के रूप में एक आदर्श हैं, प्रेरणा हैं। वैदिक काल से इतिहास साक्षी है कि जब एक तपस्वी, योगी सत्तासीन होता है तो राज्य में सुख, शांति और खुशहाली का वातावरण प्राकृतिक रूप से निर्मित होने लगता है।
योगी जी के यौगिक – राजनैतिक जीवन का यथार्थ पक्ष यह है कि आप सत्य का आग्रह करने वाले, अन्याय- अत्याचार तथा शोषण के विरुद्ध धर्म युद्ध का शंखनाद करने वाले वीरव्रती संन्यासी हैं।
भारतीय सनातन संस्कृति में 9राजर्षि“ एक ऐसे राजा को कहते हैं जो क्षत्रिय कुल में उत्पन्न हो, राजा हो, ऋषि हो, योगी हो, सन्त हो, महात्मा हो…। 9राजर्षि“ मात्र एक शब्द, उपाधि, सम्मान या उपमा मात्र नहीं है। 9राजर्षि“ एक ऐसे प्रजावत्सल, प्रतापी, तपस्वी, योगी शासक (राजा) की परमोच्च आत्मिक स्थिति की परिचायक दिव्य पद, स्थिति और महिमा है, जिसकी नीति, सुकीर्ति और पराक्रम प्रजा (जनता)को निर्भयता, सुख-शांति एवं समृद्धि प्रदान करती हो। योगी आदित्यनाथ जी उपरोक्त समस्त दिव्य गुणों से सुसम्पन्न ऐसे ही राजनेता हैं, लोकहित साधक-उपासक, शासक हैं, मुख्यमंत्री हैं, जनतंत्र के राजा हैं। हालांकि, जनतंत्र में कोई राजा नहीं होता है किन्तु जनतांत्रिक देश में निर्वाचित सरकार के नेतृत्वकर्ता मुख्यमंत्री को एक राजा की ही स्थिति,अवस्था, उत्तरदायित्व एवं हैसियत प्राप्त होती है, जो राजतंत्र में राजा को प्राप्त होती थी। योगी जी सर्व प्रथम एक सन्यासी हैं, योगी हैं और उसके बाद देश के सुविशाल राज्य उत्तर प्रदेश के कर्मठ मुख्यमंत्री हैं।
भारतीय भू-मण्डल पर वैदिक काल में सर्व प्रथम ऋषि विश्वामित्र को राजर्षि की उपाधि(पद) प्राप्त हुई थी। विश्वामित्र जी पहले राजा थे और बाद में ऋषि हुए। योगी आदित्यनाथ जी के साथ एक बहुत ही अद्भुत सुसंयोग और सुखद स्थिति यह है कि आप सबसे पहले सन्यासी हैं, योगी हैं और बाद में हमारे मुख्यमंत्री हैं। आप वास्तविक रूप में करोड़ों जनता के दिलों पर राज करने वाले महाराजा हैं।
एक शासक, राजा या मुख्यमंत्री से सबसे बड़ी अपेक्षा यही की जाती है कि वह समदर्शी, सत्यभाषी, ईमानदार, निष्पक्ष व कर्मठ हो, सन्त की भांति उसकी दृष्टि में सब समान हों, छोटा-बड़ा, ऊंच-नीच,भेद भाव की भावना न हो और एक पिता की भांति राज्य की जनता का पालक-पोषक-रक्षक हो। योगी जी उपरोक्त सभी गुणों के स्वामी हैं। यह युगांतरकारी सुखद तथ्य और सुसंयोग ही है कि योगी आदित्यनाथ जी हमारे राजा बनने के पूर्व से ही समदर्शी हैं क्योंकि योगी -ऋषि समदर्शी होते ही हैं। योगी जी का हृदय और भावनाएं अत्यंत निर्मल हैं, आप निर्भयता की साक्षात् मूर्ति हैं, तपस्वी हैं।
आप जन-जन के स्वाभिमान-सम्मान एवं हितों के रक्षक हैं, आपका हृदय करुणा- दया से ओत-प्रोत है क्योंकि आप एक योगी हैं, सन्त हैं, ऋषि हैं। किन्तु, दुष्टों के लिए आपका हृदय वज्र के समान कठोर भी है। लोककल्याण हेतु माता-पिता, घर-परिवार आदि का त्याग करने वाले योगी जी साक्षात् त्याग मूर्ति हैं, निःस्वार्थ सेवा भावना के प्रकाश पुंज हैं। ऐसी दिव्य विभूति यदि हमारे सेवक हैं, शासक है, मुख्यमंत्री हैं तो निर्विवादित है कि आप देश-प्रदेश की करोड़ों जनता के दिलों पर राज करने वाले असली राजा हैं। यह भारत का परम सौभाग्य है कि हमें योगी आदित्यनाथ के रूप में, एक महान विभूति प्राप्त है जो देश – दुनिया के लिए मुख्यमंत्री के रूप में एक आदर्श हैं, प्रेरणा हैं। वैदिक काल से इतिहास साक्षी है कि जब एक तपस्वी, योगी सत्तासीन होता है तो राज्य में सुख, शांति और खुशहाली का वातावरण प्राकृतिक रूप से निर्मित होने लगता है। वर्तमान में इस तथ्य की सत्यानुभूति उत्तर प्रदेश में की जा रही है। आज प्रदेश की जनता निर्भय है, सुरक्षित है और प्रादेशिक जन जीवन में सुख-शांति और खुशहाली की बयार बह रही है जो भविष्य में और अधिकता स्पष्टता के साथ तथा और अधिक गहराई के साथ अनुभव की जा सकेगी। प्राणिमात्र से प्रेम करने वाले आप मानवता के पथ प्रदर्शक महापुरुष हैं। राष्ट्रहित के विषयों पर हिमालय पर्वत की तरह अडिग रहने वाले गोरक्षपीठाधीश्वर भारत के गर्व हैं, अनमोल रत्न हैं। योगी जी के यौगिक – राजनैतिक जीवन का यथार्थ पक्ष यह है कि आप सत्य का आग्रह करने वाले, अन्याय- अत्याचार तथा शोषण के विरुद्ध धर्म युद्ध का शंखनाद करने वाले वीरव्रती संन्यासी हैं। आपका आत्मबल अत्यंत प्रचंड है और इस प्रचंड आत्मबल का आधार सत्य, प्रेम एवं करुणा पर आधारित आपका यौगिक जीवन और ऋषित्व ही है।
मन, वाणी और कर्म में एकरूपता ही योगी जी की सबसे बड़ी शक्ति है, जो जनता के मन में उनके प्रति विश्वास और आदर की भावना की वृद्धि करता है। किसी भी राजनेता के प्रति जनता का विश्वास ही वह सबसे बड़ी पूँजी और शक्ति है, जो लोकतंत्र में जनता जनार्दन और उसके सेवक (जननेता, राजनेता) के सम्बन्धों को सुदृढ़ आधार प्रदान करता हुआ समाज और नेता के बीच गरिमापूर्ण स्थिति की स्थापना करता है। प्रायः देखा जाता है कि अधिकारी, मंत्री या मुख्यमंत्री अपने आसन पर विराजमान रहते हैं और फरियादी जनता जिसे जनार्दन (भगवान) कहा जाता है, वह हाथ जोड़े कतार में खड़ी रहती है। उत्तर प्रदेश के सन्यासी मुख्यमंत्री ने इस परम्परा को तोड़ा।
भारतीय धर्म, संस्कृति एवं सभ्यता को अपने विराट व्यक्तित्व में समेटे हुए एक सन्यासी मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ जी को जनता देखती है कि उनका सेवक, उनका संन्यासी मुख्यमंत्री जनता 9जनार्दन“ के पास खुद जाता है, खड़े होकर उनकी बात सुनता है और जनता जनार्दन के रूप में आसन पर विराजमान रहती है। ऐसा हृदय स्पर्शी दृश्य देखकर ऐसा लगता है कि हमें वास्तविक रूप में 9जनता का सेवक मुख्यमंत्री“ प्राप्त हुआ है। इस मामले में उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की किसी से तुलना नहीं की जा सकती है। आप स्वयं में अद्वितीय हैं। योगी जी एक संत हैं और स्वाभाविक रूप से आप परमोच्च आत्मिक स्थिति के स्वामी हैं। आप सत्यानुरागी, सत्यभाषी, कर्मयोगी सन्यासी हैं और लौकिक रूप से अलौकिक गुणों को धारण करने वाले ऋषि हैं, योगी हैं। आपके व्यक्तित्व में सभी रसों का अद्भुत सम्मिश्रण है-जिसमें वात्सल्य, करुण एवं वीर रस की प्रधानता है। आपने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को धन्य किया है।
आपके कृतित्व – व्यक्तित्व एवं सेवाओं पर एक वृहद् ग्रंथ लिखे जाने की आवश्यकता है, इस अकिंचन द्वारा निकट भविष्य में इस आवश्यकता पूर्ति की प्रबल संभावना है।
राम राज्य की अवधारणा को साकार करने हेतु भगीरथ प्रयास करने वाले उत्तर प्रदेश के कर्मठ, यशस्वी एवं लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भारतीय सनातन संस्कृति में ऋषि परम्परा के संवाहक हैं, लोकोपकारी सन्त हैं और
जनता के हृदय सिंहासन पर विराजमान भारत के 9राजर्षि“ हैं। आपका विराट व्यक्तित्व वंदनीय है, अभिनंदनीय है, महिमामंडनीय है।