इंश्योरेंस सेक्टर के माहिर खिलाड़ी अभय तिवारी

छह सालों तक अभय तिवारी की निष्ठा, ईमानदारी, लगन और कड़ी मेहनत की बदौलत आज कंपनी सफलता की ऊंचाइयों को छू रही है। अभय की इसी मेहनत का फल है कि 2021 में उन्हें एळ थ्ग्‌िा कंपनी के एमडी और सीईओ के पद पर पदोन्नत किया गया। आज उनका काम ही नहीं बल्कि उनका नाम भी देश में एक ब्रांड बन चुका है।

डेढ़ साल पहले मई 2021 में स्टार यूनियन दाई-इची लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एळ थ्घ्‌इिं) ने अभय तिवारी को कंपनी के प्रबंध निदेशक (मैनेजिंग डायरेक्टर) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (ण्ध्‌िं) के पद पर नियुक्त किया था। कंपनी की इस बड़ी और अहम जिम्मेदारी का  निर्वहन करने से पहले अभय तिवारी कंपनी में संयुक्त अध्यक्ष और अपोइंटेड एक्चुअरी यानि नियुक्त बीमांकक के तौर पर शामिल हुए थे। उन्होंने छह साल तक इस पद का कार्यान्वहन किया। इससे पहले कि हम अभय तिवारी के बारे में आपको विस्तार से बताएं, आपको बता दें कि एळ लाइफ बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और जापान स्थित दाई-इची लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का जॉइंट वेंचर है।

छह सालों तक अभय तिवारी की निष्ठा, ईमानदारी, लगन और कड़ी मेहनत की बदौलत आज कंपनी सफलता की ऊंचाइयों को छू रही है। अभय की इसी मेहनत का फल है कि 2021 में उन्हें एळ थ्ग्‌िा कंपनी के एमडी और सीईओ के पद पर पदोन्नत किया गया। आज उनका काम ही नहीं बल्कि उनका नाम भी देश में एक ब्रांड बन चुका है। अभय तिवारी जैसे कर्मचारी ही हैं जो आगे चलकर लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत और मिसाल बनते हैं। 2014 में एक्चुअरी के तौर पर ज्वाइन होने के बाद उन्होंने ग्रोथ स्टोरी लिखी। कंपनी में ही कॉरपोरेट के ज्वाइंट प्रेसिडेंट और चीफ एक्चुअरी को रोल भी निभाया। उन्होंने कंपनी के ओवरसीज ऑपरेशन और कॉरपोरेट गवर्नेंस फंक्शन को भी मैनेज किया। आज अभय तिवारी एळ लाइफ को नई उंचाइयों पर लेकर जा रहे हैं। वो दिन-रात कंपनी की ग्रोथ स्टोरी को और भी बेहतर करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

भारत के ग्रोथ में इंश्योरेंस

अभय तिवारी ने देश के विकास में इंश्योरेंस सेक्टर के योगदान और भविष्य में इसके विकास की क्या संभावनाएं हैं इस पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि देश के विकास में इंश्योरेंस का योगदान काफी बड़ा है और इसमें केवल अपर क्लास ही नहीं बल्कि अपर-मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास भी है। सभी लोगों के पास इंश्योरेंस है। गांव में कहीं न कहीं इंश्योरेंस पहुंचा हुआ है। लोग इंश्योरेंस के बारे में जानते और समझते हैं लेकिन समस्या यह है कि जितना इंश्योरेंस लेना चाहिए उसका केवल दसवां हिस्सा लोगों ने ले रखा है। विदेशों में इंश्योरेंस को देखने के दो नजरिया हैं। पहला ये कि जीडीपी का कितना हिस्सा इंश्योरेंस में लोगों ने लगा रखा है। इंडिया में जीडीपी का 3 से 3.5 परसेंट इंश्योरेंस में है और बाहर के देशों में यह 6 से 6.5 परसेंट तक है। भारत अगर विकसित देश बनता है तो यह 6.5 परसेंट तक जाएगा, लेकिन अभी भारत में ज्यादातर लोगों ने जिसमें सेविंग्स है वही इंश्योरेंस खरीद रखा है। दरअसल, उनके पास लाइफ कवर इंश्योरेंस नहीं है। यदि फैमिली में किसी का एक्सिडेंट हो जाता है तो काफी बड़ी दिक्कत खड़ी हो जाती है। सिंगापुर या जापान जैसे देशों में या फिर अमेरिका में समर शॉर्ट टर्म इंश्योरेंस तक मिलता है। यहां इसका परसेंटेज ढाई सौ से तीन सौ पर्सेंट तक होता है। यानी जीडीपी से ढाई से 3 गुना ज्यादा। भारत में ये केवल 23 से 24 परसेंट। यह सेविंग का एक अच्छा जरिया है, इसमें 30 साल से 40 साल तक के अच्छे प्रोडक्ट्‌स हैं। कभी-कभी गारंटीड रिटर्न मिलता है। आप बैंक जाएं या म्यूचुअल फंड जाएं तो वहां 5 से 10 साल बाद कोई गारंटीड रिटर्न नहीं है। यह केवल इंश्योरेंस कंपनी ही है जो आपको 35 – 40 साल तक 6 परसेंट तक की गारंटीड रिटर्न देने की बात करती है।

कंपनी का सबसे पहला प्रयास कृषि के क्षेत्र में है और यहां एळ थ्ग्िा पिछले सातआठ वर्षों से काम कर रही है। कंपनी का यह भी प्रयास है कि पब्लिक हेल्थ के लिए भी कुछ काम किया जा सके।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति

जिस तरह इंश्योरेंस सेक्टर लगातार आगे बढ़ रहा है उससे साफ जाहिर है कि आने वाले समय में भारत इस सेक्टर के मार्केट में छठे नंबर पर होगा। अब एक सीईओ के तौर पर अभय तिवारी इंश्योरेंस सेक्टर को और सफल बनाने के लिए क्या तैयारी कर रहे हैं, इस पर उन्होंने कहा कि अगर इसे जीडीपी के रूप में देखा जाए तो यह पूरे भारत में 3 से 3.15 परसेंट है। इसमें लाइफ इंश्योरेंस, जनरल इंश्योरेंस सब कुछ ऐड कर दें तो इतना ही है। विकसित देशों में ये 6.30ज्ञ्है। अगर भारत को उस 6ज्ञ्‌ वाली कैटेगरी में पहुंचना है तो उझ्‌ की ग्रोथ रेट से डबल रेट में अगले 5-6 सालों तक ग्रोथ करना होगा। अभय का मानना है कि भविष्य में भारत अमेरिका और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा इंश्योरेंस मार्केट बन सकता है। रेगुलेटर ने काफी चीजें आसान की है। थ्घ्ण्‌ के अलावा भी कई कंपनियों को बढ़ावा मिला है। हेल्थ में, जनरल में, लाइफ में इघ्‌ यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। कोरोना के बाद से चीजें बदली हैं। जीडीपी के ग्रोथ रेट से डबल ग्रोथ रेट में इंश्योरेंस कंपनी बढ़ रही है। एळ थ्ग्‌िा कंपनी भी तेजी से बढ़ते इंश्योरेंस सेक्टर में अपना योगदान दे रही है।

इंश्योरेंस को मिला रेगुलेटर का सपोर्ट?

जैसा कि अभय तिवारी ने बताया कि रेगुलेटर की वजह से इंश्योरेंस सेक्टर के लिए कारोबार करना काफी आसान हो गया है। इस विषय पर उन्होंने रोशनी डालते हुए कहा कि रेगुलेटर इंश्योरेंस इंडस्ट्री के लिए काफी सपोर्टिव रहा है। पिछले एक या डेढ़ सालों में बहुत सारे बदलाव, रेगुलेटर ने किए हैं। लोगों को बिजनेस करने में सुलभता हो गई है। रेगुलेटर, इंश्योरेंस कंपनीज पर मॉनिटरिंग का दबाव नहीं रखता है। रेगुलेटर कंपनी के सबमिशन पर विश्वास करता है और कंपनी को हर प्रकार से सहायता प्रदान करता है। जबकि पहले माना जाता था कि रेगुलेशन, इंश्योरेंस के सेक्टर में एक बहुत बड़ा ब्लॉकेज है लेकिन अब उनकी भूमिका समर्थक के रूप में परिवर्तित हो चुकी है।

भारत की अनुमानित ग्रोथ में मिडिल क्लास की भूमिका बहुत बड़ी मानी जाती है। अब सवाल ये उठता है कि मिडिल क्लास की मदद से इंश्योरेंस को कैसे मजबूत किया जा सकता है? इस पेचीदा सवाल का अभय तिवारी ने सटीक जवाब दिया है। उन्होंने कहा, ”मिडिल क्लास हो या अपर मिडिल क्लास, अपर क्लास या लोअर मिडल क्लास, इन सभी में इंश्योरेंस की पहुंच कम ही है। पहले ऐसा माना जाता था कि मिडिल क्लास और अपर मिडिल क्लास में इंश्योरेंस की  ज्यादा पहुंच है लेकिन अवेयरनेस है पर इंश्योरेंस नहीं। लोगों को लगता है कि इंश्योरेंस ले लिया है तो अपना काम खत्म। लेकिन वह इंश्योरेंस काफी है या नहीं इस पर उन्होंने कभी ध्यान भी नहीं दिया। पहले ऐसा होता था कि लोग समझते थे कि टैक्स सेविंग कर लो, इंश्योरेंस कर लो, काफी हो गया। लेकिन अब यह एक अंडर इंश्योरेंस अंडर पेनिट्रेशन का मार्केट है। इंश्योरेंस का छोटा कंपोनेंट बहुत से लोगों के पास है। प्रधानमंत्री बीमा योजना कई लोगों के पास है।  लेकिन वो काफी नहीं। इसीलिए इंश्योरेंस मार्केट को बढ़ाने की जरूरत है।““

अगले तीन सालों में एळ लाइफ

आते हैं अभय तिवारी की कंपनी एसयूडी लाइफ पर। कंपनी की करंट ग्रोथ क्या है और अगले 3 सालों में कंपनी की ग्रोथ को अभय तिवारी कहां तक पहुंचाना चाहते हैं। इसपर उन्होंने बताया कि एसयूडी लाइफ इंश्योरेंस ने पिछले 6 महीने में 45 से 46 परसेंट का ग्रोथ दिखाया है। पिछले साल भी 48 से 50 फ़ीसदी तक ग्रोथ था। पिछले वर्ष कोरोना के बावजूद कंपनी फायदे में थी। अभय का अनुमान है कि इस वर्ष डेढ़ सौ से 200 करोड़ का प्रॉफिट होने की संभावना है।

कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिब्लिटी यानी ण्‌एीं को लेकर एळ थ्ग्‌िा में क्या गतिविधियां चल रही हैं, इस सवाल पर अभय तिवारी का कहना है कि जितनी ज्यादा कंपनी की पूछ होगी उतने लोग इससे जुड़ेंगे और ज्यादा परिणाम आएंगे। कंपनी ने अभी तक सबसे ज्यादा इन्वेस्टमेंट महाराष्ट्र में किया है लेकिन उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भी प्रयास चल रहा है। महाराष्ट्र के कई गांवों में जहां पानी की दिक्कत थी, जहां रेन वाटर को रिटेन करना जरूरी था, सोलर पैनल से लेकर स्कूल और महिलाओं के लिए ग्राम उद्योग जैसे समाज के विकास में कंपनी ने मदद की लेकिन कंपनी का सबसे पहला प्रयास कृषि के क्षेत्र में है और यहां एळ थ्ग्‌िा पिछले सात-आठ वर्षों से काम कर रही है। कंपनी का यह भी प्रयास है कि पब्लिक हेल्थ के लिए भी कुछ काम किया जा सके। अभय तिवारी ने कहा कि एळ थ्ग्‌िा लाइफ का प्रयास ण्‌एीं में हर वर्ष 1.5 से 2 करोड़ रुपए खर्च करना है।

जब विश्व पर कोरोना कि मार पड़ी तब लाखों लोगों ने इंश्योरेंस में निवेश किया जबकि इससे पहले लोग सीमित अमाउंट या सीमित इंश्योरेंस लेते थे। इंश्योरेंस निवेश से अलग है इसपर लोगों की धारणा में अब बदलाव देखने को मिल रहा है। अभय कहते हैं कि पहले लोग किसी एक लिमिटेड इंश्योरेंस को काफी समझते थे। लाइफ कवर को लोग टैक्स बेनिफिट के हिसाब से देखते थे, लेकिन अब लगभग सभी कंपनी लोगों को इंश्योरेंस की जरूरत समझा रही है। इसे लेकर लोगों के बीच कंपनी प्रयास भी कर रही है। संभव है कि आप एक साथ इन्वेस्ट ना कर पाएं ऐसे में इंश्योरेंस की जरूरत देखते हुए इसे धीरे-धीरे बढ़ाएं। यह निवेश के लिए भी अच्छा ऑप्शन है। मार्केट की बात करें तो अगर कोई यहां ढाई लाख रुपए निवेश करता है तो उसकी मैच्योरिटी टैक्स फ्री है जो कि म्यूचुअल फंड में नहीं है, लेकिन यहां गारंटीड रिटर्न नहीं रहेगा क्योंकि यह मार्केट से लिंक्ड है।

कंपनी के टर्म प्लान

अभय तिवारी ने कंपनी के टर्म प्लान और कस्टमर्स की संख्या पर चर्चा करते हुए अपनी बात जारी रखी। उन्होंने बताया कि इस वक्त कंपनी का टर्म प्लान 4 से 5ज्ञ्‌ ही है। उसका प्रीमियम भी कम होता है। उदाहरण के लिए, एक करोड़ के निवेश के लिए 3000 रुपए लगते हैं और अगर किसी कि उम्र 30 से 35 साल है तो 3000 रुपए में उन्हें एक करोड़ का इंश्योरेंस मिलता है। वहीं एक करोड़ के सेविंग्स प्लान में 10 लाख रुपए सेविंग्स में लग जाते हैं जिससे उसकी प्रीमियम कम हो जाती है। आगे उन्होंने झ्श्व्व्भ्‌ से एळ थ्ग्‌िा की तुलना करते हुए बताया कि झ्श्व्व्भ्‌ टर्म प्लान में कोई सेविंग्स नहीं है। उसमें 436 रुपए में दो लाख का इंश्योरेंस है वहीं एळ थ्ग्‌िा के पास एक करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं और सेविंग्स में 10 लाख ग्राहक।

कंपनी मार्केट लिंक्ड, गारंटीड रिटर्न वाले इंश्योरेंस और सिक्योरिटी वाली लाइफ कवर इंश्योरेंस में निवेश और फोकस कर रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि तीनों कैटेगरी में ग्राहक हैं जिन्हें पर्याप्त कवर और ज्यादा मार्केट लिंक चाहिए।

सफलता के रास्ते में एसयूडी, क्या है प्लानिंग?

भविष्य में कंपनी के ग्रोथ की क्या प्लानिंग है और आगे कितने नए प्रोडक्ट्‌स जोड़े जाएंगे। इस सवाल के जवाब में अभय तिवारी ने कहा कि भविष्य में हेल्थ एक बड़ा स्पेस है जिसपर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा कंपनी मार्केट लिंक्ड, गारंटीड रिटर्न वाले इंश्योरेंस और सिक्योरिटी वाली लाइफ कवर इंश्योरेंस में निवेश और फोकस कर रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि तीनों कैटेगरी में ग्राहक हैं जिन्हें पर्याप्त कवर और ज्यादा मार्केट लिंक चाहिए। पिछले 12-15 साल का रिटर्न देखें तो कंपनी का मार्केट लिंक में रिटर्न ज्यादा है लेकिन इसमें रिस्क ज्यादा है, वहीं गारंटीड रिटर्न में रिस्क कम है पर रिटर्न 5 से 6 परसेंट ही है। कंपनी निवेश के प्रोडक्ट और सिक्योरिटी वाले प्रोडक्ट दोनों पर फोकस कर रही है, उसके साथ-साथ हेल्थ प्रोडक्ट जैसे कैंसर के लिए हार्ट की बीमारी के लिए कवर, लीवर-किडनी के लिए कवर पर लॉन्ग टर्म केयर में लाइफ इंश्योरेंस पर ज्यादा फोकस करने का प्लान है। बुढ़ापे में सहायता के लिए जो खर्च हो उसको संभालने के लिए भी प्लान्स पर कंपनी फोकस कर रही है। साथ ही कंपनी टियर 2 और टियर 3 पर फोकस कर रही है। देश के हर कोने में जहां बैंक है वहां एळ थ्ग्‌िा लाइफ इंश्योरेंस भी अपने पैर पसार रही है।

टीमवर्क पर अभय तिवारी का ओपिनियन

इंश्योरेंस सेक्टर में टीमवर्क काफी मायने रखता है। अभय तिवारी ने भी टीमवर्क पर जोर देते हुए एक लीडर की क्वालिटी पर अपनी राय साझा की।  उनके मुताबिक कई तरह के लीडर ने अपने तरीके से सफलता हासिल की है। जो कॉमन है वो उनका विश्वास, उनकी आशा, हिम्मत, ऊर्जा, टीम को भी ऊर्जा देती है। किसी भी प्रोडक्ट की सफलता के लिए पहले लीडर का विश्वास उस प्रोडक्ट या सेक्टर में होना चाहिए। लीडर की उम्मीद से ही टीम की उम्मीद बनती है। टीमवर्क लीडर को सफल बनाती है। टीमवर्क पर कंपनी के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए अभय तिवारी ने कहा कि कंपनी में सबसे अच्छे आइडियाज और सबसे अच्छे दृष्टिकोण का इस्तेमाल करना चाहिए और ये सुझाव कौन दे रहा है इससे फर्क नहीं पड़ता। एळ थ्ग्‌िा में टीमवर्क सेवा का महत्व बहुत ज्यादा है। इंश्योरेंस सेक्टर में उत्पाद सेकेंडरी और सेवा प्राथमिकता हो जाती है। जब कोई उत्पाद 20-30 सालों से बाजार में है तो वह विश्वास का प्रतीक बन जाता है। अगर आप किसी और से ज्यादा बेहतर रिटर्न दे रहे हैं तो  लोग आपको महत्व देंगे। लेकिन इसमें सेवा का महत्व भी बहुत है। इसमें दूसरा पहलू है लीडर का विश्वास और हिम्मत, अगर किसी कंपनी में अच्छे टीम वर्क वाले हैं तो टीम मेंबर्स की स्किल या तकनीकी समझ मिलकर दोगुनी हो जाती है।

कंपनी की सक्सेस पर अभय तिवारी ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उनकी खुशी ग्राहकों की खुशी में है। जब कंपनी की वजह से दूसरों को लाभ होता है या ग्राहकों की पसंद के मुताबिक काम होता है तो उन्हें अच्छा लगता है। इसी के साथ उन्होंने अपनी प्रोफेशनल लाइफ के अलावा अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़ी बातें भी साझा की। उन्होंने बताया कि जिस दिन उन्हें फ्री डे मिलता है तो उन्हें पढ़ना, नई चीजों के बारे में जानना, सीखना पसंद है। अभय का मानना है कि व्यक्ति को अपनी उत्सुकता हमेशा बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि एक उत्सुक मन ज्ञान के भंडार में से अपने लिए सबसे जरूरी और सही चीज ढूंढता है। इसलिए किताबें पढ़कर अभय अपनी उत्सुकता को शांत कर ज्ञान को बढ़ाते हैं। इसके अलावा उन्हें अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद है।

कामपरिवारऑफिस है घर

अभय तिवारी के लिए घर और ऑफिस दोनों जरूरी हैं, इसलिए वे दोनों जगह बराबर समय देते हैं। वे अपने काम को परिवार समझते हैं और इसलिए ऑफिस को घर की तरह मानते हैं। वक्त पर घर जाने के सवाल पर उन्होंने जवाब दिया कि कभी-कभी उन्हें ऑफिस पहुंचने में देर हो जाती है, वहीं घर लौटने में उन्हें साढ़े सात से आठ बज जाते हैं। उन्होंने एळ थ्ग्‌िा में दिए गए वर्क फ्रॉम होम की सुविधा पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी गई है जिससे लोगों को अपनी सुविधा अनुसार काम करने में आसानी होती है। कोविड के दौरान कई बार लोग ऑफिस आवर्स के बीच ब्रेक लेकर वापस ऑफिस आते थे, जिसका कंपनी की ग्रोथ पर कोई निगेटिव इफेक्ट नहीं पड़ा, बल्कि ग्रोथ ही होती रही। साक्षात्कार के अंतिम सवाल पर खुशमिजाजी अभय तिवारी ने उस खास चीज का जिक्र किया जिससे उन्हें खुशी मिलती है। उन्होंने अपनी खुशी का राज खुशियां बांटने और बच्चों की सफलताओं में बताई।

 

 

 

 

 

 

अभ्युदय वात्सल्यम डेस्क