अमीषा वोरा मार्केट की नब्ज समझने वाली एक्सपर्ट

र्ण्‌ीं के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाली अमीषा वोरा एक इक्विटी एक्सपर्ट भी हैं। जब भी बाजार की स्थिति का सटीक विश्लेषण करना होता है तो अमीषा वोरा को सबसे पहले याद किया जाता है। देश के प्रतिष्ठित बिजनेस चैनल जैसे ण्ऱ्‌ँण्‌ आवाज समेत कई चैनलों पर उनकी राय को हेडलाइन्स के तौर पर चलाया जाता है। मार्केट की हर नब्ज समझने वाली अमीषा के पास फाइनेंशियल सेक्टर में 30 साल से ज्यादा का अनुभव है।

बात फरवरी 1988 की है। 21 साल की चार्टर्ड अकाउंटेंट की पहली जॉब थी। उसे उस वक्त की दिग्गज फाइनेंशियल सर्विस कंपनी व्श्‌ फाइनेंशियल में पहली नौकरी लगी थी। सैलरी थी 1800 रुपए। यंग और कमिटेड र्ण्‌ीं को पहला असाइनमेंट दिया गया, टेल्को कंपनी का एनालिसिस करने का। एक तरफ जहां सालों के अनुभव से लैस उसके सीनियर कंपनी के प्रॉफिट को बाहरी फैक्टर के आधार पर नाप रहे थे। वहीं, उस 21 साल की लड़की ने कंपनी के वॉल्युम्स, वेरिएबल्स और मार्जिनल कॉस्ट जैसी चीजों का एनालिसिस कर मुनाफे का अनुमान लगाया। जहां दिग्गज विश्लेषकों का एनालिसिस कुछ और ही कह रहा था वहीं, उस 21 साल की र्ण्‌ीं का एनालिसिस उनसे काफी अलग था। र्ण्‌ीं की पढ़ाई के दौरान सीखे सभी गुरों को अप्लाई करते हुए वो लड़की इस नतीजे पर पहुंची कि कंपनी 99.8 करोड़ रुपए का मुनाफा बनाएगी। ये वो आंकड़ा था जो उस समय मार्केट में अनुमानित आंकड़े से काफी अलग था। टेल्को ने जो मुनाफा जारी किया, वो था- 100 करोड़। ये एक भविष्य के मजबूत लीडर के आगमन की पहली झलक भर थी। वो लीडर कोई और नहीं बल्कि प्रभुदास लीलाधर की को-ऑनर और ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर अमीषा वोरा थीं।

अमीषा वोरा ने उस दौर में फाइनेंशियल मार्केट में एंट्री की, जब यहां पुरुषों का बोलबाला होता था। महज कुछ ही वक्त में अमीषा ने अपने हुनर को साबित किया। अमीषा एक बेहद ही शांत और कारोबार से जुड़ी कम्युनिटी से आती हैं। अमीषा ने शुरुआत से ही मान लिया था कि उन्हें फुल टाइम करियर करना है। अपने बचपन को याद करते हुए अमीषा ने एक बार बताया था कि हम चार बहनें थीं और मेरे पिता हमें कभी भी लड़कों से कम नहीं समझते थे। वो हमें हमेशा याद दिलाते थे कि पूरी ईमानदारी से मेहनत करो और खुद को कभी भी किसी से कम मत समझो। वोरा कहती हैं कि उनके पिता की तरह ही उनके पति ने भी उनका साथ दिया। और शादी के बाद भी उन्होंने अपने करियर को नई उंचाइयों पर ले जाने का सपना पूरा किया। अमीषा ने मुंबई के नर्सी मोन्जी कॉलेज से पढ़ाई की। अपने एकेडमिक करियर के दौरान वो हमेशा बैच टॉपर रहीं। अमीषा ने ग्रेजुएशन के साथ ही चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स किया। अमीषा को र्ण्‌ीं बनने के लिए उनके पिता ने प्रोत्साहित किया। अमीषा के पिता खुद एक बैंकर थे।

मौजूदा वक्त में जब दुनिया भर में मंदी की आशंका जताई जा रही है। दुनिया की कई विकसित इकोनॉमी मंदी का खतरा महसूस करने लगी हैं। अमीषा वोरा के मुताबिक ऐसे वक्त में भी भारतीय इकोनॉमी ग्रोथ के रास्ते पर नजर रही है।

र्ण्‌ीं के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाली अमीषा वोरा एक इक्विटी एक्सपर्ट भी हैं। जब भी बाजार की स्थिति का सटीक विश्लेषण करना होता है तो अमीषा वोरा को सबसे पहले याद किया जाता है। देश के प्रतिष्ठित बिजनेस चैनल जैसे ज़ी बिज़नेस, ण्ऱ्‌ँण्‌ आवाज समेत कई चैनलों पर उनकी राय को हेडलाइन्स के तौर पर चलाया जाता है। मार्केट की हर नब्ज समझने वाली अमीषा के पास फाइनेंशियल सेक्टर में 30 साल से ज्यादा का अनुभव है। करीब तीन दशक के अपने इस करियर में अमीषा ने कई नए कारोबार का सृजन करने का भी काम किया है।

व्श्‌ फाइनेंशियल में कुछ वक्त गुजारने के बाद अमीषा ने खुद का कारोबार करने की सोची। उन्होंने व्श्‌ फाइनेंशियल के अपने एक दूसरे साथी के साथ एक एडवाइजरी फर्म शुरू की। अमीषा बताती हैं कि निजी जिम्मेदारियों के चलते कंपनी पर असर पड़ा। भले ही अमीषा की एडवाइजरी फर्म ज्यादा सफल ना रही हो लेकिन ये कतई भी अमीषा के हार मानने का वक्त नहीं था। अमीषा ने 1990 के दशक में देश की दिग्गज ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर को ज्वाइन किया। यहां वो सेल्स हेड बनकर आईं और तब से उन्होंने यहां पर कई नए कीर्तिमान रचे। आज कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर की भूमिका निभा रहीं अमीषा के नेतृत्व में कंपनी ने कई नए बिजनेस जोड़े। अमीषा वोरा की लीडरशिप में कंपनी एक व्यापक फाइनेंशियल सर्विस ऑर्गनाइजेशन में तब्दील हुई है। अमीषा को कंपनी के साथ नए कारोबार जोड़ने का श्रेय भी जाता है। अमीषा वोरा ने अपने सहयोगी दिलीप भट्ट के साथ मिलकर मर्चेंट बैंकिंग बिजनेस को बढ़ाया है। इसके साथ ही इन्होंने झ्थ्ऱ्‌ँइण्‌ को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। अमीषा ने महज 6 साल के भीतर प्रभुदास लीलाधर का संस्थागत कारोबार 36 गुना बढ़ाया था। यही नहीं, अमीषा लीलाधर प्रभुदास के इंस्टीट्यूशनल बिजनेस के साथ झ्थ्‌ एडवाइजरी सर्विस में भी काफी एक्टिव हैं। अमीषा की लीडरशिप के तहत कंपनी ने कॉरपोरेट्‌स को महज 3 साल के भीतर (2005-08) एक अरब डॉलर से ज्यादा फंड रेज करने में मदद की। 2007 में झ्थ्‌ कैपिटल मार्केट्‌स प्राइवेट लिमिटेड को शुरू करने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। इसके जरिए उन्होंने इन्वेस्टमेंट बैंकिंग बिजनेस को बढ़ाया। 2012 में अमीषा वोरा ने कंपनी के रिटेल ब्रोकिंग बिजनेस की कमान संभाली। तब से अमीषा ने कंपनी की ग्रोथ को कई गुना बढ़ाया है बल्कि कंपनी में टेक्नोलॉजी और एडवाइजरी सर्विस में नए मुकाम तैयार किए हैं। प्रभुदास लीलाधर में कई चीजें अमीषा ने लाईं। इसमें इनोवेटिव स्टॉक एडवाइजरी प्रोडक्ट इन्वेस्टएक्टिव भी था। इसके जरिए अमीषा ने देश में एल्गोरिदम आधारित एडवाइजरी की शुरुआत भी की। अमीषा का अनुभव, इनोवेशन और कुछ नया करने की सोच ही उन्हें अलग बनाती है। अमीषा को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। अमीषा ण्घ्घ्‌ कैपिटल मार्केट्‌स कमिटी की मेंबर हैं। हाल ही में अमीषा बोर्ड ऑप एसोसिएशन ऑफ पोर्टफोलियो मैनेजर्स इन इंडिया र्‌(ींझ्श्घ्‌) के बोर्ड में चुनी गई हैं। अमीषा को 9वुमन आंत्रप्रेन्योर ऑफ द ईयर“ अवॉर्ड भी मिला है। उन्हें एशिया के सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाला लीडर भी चुना गया है। उन्हें इक्विटी मार्केट में बेहतरीन एनालिस्ट की भूमिका निभाने के लिए ज़ी बिज़नेस की तरफ से मार्केट एनालिस्ट अवॉर्ड से भी नवाजा गया है। वो राइजिंग स्टार- 10 सबसे पावरफुल महिलाओं की लिस्ट में भी शामिल हैं। अमीषा जिस बेहतरी से कारोबार की समझ रखती हैं, उसी तरह वो समाज के दिक्कतों को दूर करने का प्रयास भी करती हैं। अमीषा अनाथ बच्चों की मदद करने के काम से जुड़ी हुई हैं।

अमीषा वोरा अपनी बेबाक और सटीक राय के लिए भी जानी जाती हैं। मौजूदा वक्त में जब दुनियाभर में मंदी की आशंका जताई जा रही है। दुनिया की कई विकसित इकोनॉमी मंदी का खतरा महसूस करने लगी हैं। अमीषा वोरा के मुताबिक ऐसे वक्त में भी भारतीय इकोनॉमी ग्रोथ के रास्ते पर नजर आ रही है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (घ्श्‌इ) ने भी मंदी की आशंका जताई है।

ऐसे में भारत के अगले दो साल कैसे रहेंगे? इस सवाल के जवाब में अमीषा कहती हैं कि दुनिया भर में महंगाई बढ़ रही है और इसके चलते मंदी का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। लेकिन मंदी की इन आशंकाओं के बीच भारत उन चंद इकोनॉमीज में से एक हैं, जो ग्रोथ डेस्टिनेशन के तौर पर उबर रही हैं। अमीषा कहती हैं कि भारत के पास मजबूत घरेलू डिमांड है। हमारे पास खाद्यान्नों के भी पर्याप्त स्टॉक हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के दो साल बाद पहली बार फेस्टिव सीजन में रौनक दिख रही है। लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं।

भारत आज निवेशकों को निवेश के कई मौके प्रदान कर रहा है। जब पूरी दुनिया मंदी की आशंका से डरी हुई है तब भारत इस संकट से उभरने की बेहतर स्थिति में नजर रहा है। क्योंकि हमारी घरेलू डिमांड काफी बेहतर है।

ऐसे में ये फेस्टिव सीजन वित्त वर्ष 2022 के दूसरे भाग के लिए ग्रोथ का मंच तैयार करेगा। ऐसा नहीं है कि सिर्फ अच्छा फेस्टिव सीजन ही ग्रोथ का संकेत है। इसके अलावा उएऊ कलेक्शन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। साल-दर-साल देखें तो सितंबर, 2022 में उएऊ कलेक्शन 26ज्ञ्‌ ज्यादा था। वहीं महीने-दर-महीने देखें तो ये ग्रोथ 2.8ज्ञ्‌ है। इनके अलावा रेलवे फ्राइट, इलेक्ट्रिसिटी, बिजली, ईंधन की मांग और क्रेडिट कार्ड से खर्च में काफी ज्यादा ग्रोथ देखने को मिल रही है। ये सारे इंडिकेटर्स बताते हैं कि देश में खपत बढ़ रही है।

सिर्फ डिमांड ही नहीं बल्कि भारतीय घ्‌ऊ कंपनियों की विदेशों में बढ़ती डिमांड भी अहम फैक्टर है। इसके अलावा भारत को लंबी अवधि में चाइना और यूरोप से भी सप्लाई चेन में फायदा मिलने की उम्मीद है। इन सभी फैक्टर के साथ ही सरकार की घोषणाएं भी अहम रोल ग्रोथ में निभा रहे हैं। सरकार की तरफ से झ्थ्घ्‌ स्कीम का ऐलान करना। देश को डिफेंस और इंफ्रास्ट्रक्टर खर्च पर आत्मनिर्भर बनाना, जैसे कई फैक्टर हैं, जो भारत की ग्रोथ स्टोरी को मजबूत करने का काम करेंगे। यही वजह है कि भले ही दुनिया भर में मंदी की आशंका जताई जा रही हो लेकिन ये सभी फैक्टर भारत के कई सालों तक ग्रोथ के पथ पर रहने के साफ संकेत हैं।

दूसरी तरफ, डॉलर के मुकाबले रुपए में जारी लगातार गिरावट परेशानी का सबब बनी हुई है। इसके अलावा तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस ने कच्चे तेल का उत्पादन घटाने का फैसला लिया है। ऐसे में भारत पर इसका कितना असर देखने को मिल सकता है। इस सवाल के जवाब में अमीषा कहती हैं कि ग्लोबल मंदी की आशंका कच्चे तेल को भी सता रही है। यही वजह है कि जून महीने में जहां कच्चा तेल 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था, वो बाद  में 80 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। ओपेक ने 20 लाख बैरल प्रति दिन कटौती का जो फैसला लिया है वो सिर्फ कच्चे तेल में जारी करेक्शन के मद्देनजर लिया है। वैसे भी 20 लाख बैरल कटौती का लक्ष्य ऑन पेपर है। असल में ये कटौती 12 लाख बैरल प्रति दिन होगा। क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 85ज्ञ्‌ कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में कच्चे तेल में कोई भी उथल-पुथल होगी तो उसका असर घरेलू स्तर पर दिखेगा। इसके साथ ही डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहे रुपए से महंगाई का दबाव बढ़ता जाएगा। ये भी तेल कंपनियों पर र्‌इंधन की कीमतें बढ़ाने के लिए दबाव बनाता दिखेगा।

मार्केट कैपिटलाइजेशन के मामले में भारत आज दुनियाभर में 5वें पायदान पर है। सिर्फ मार्केट कैप में ही नहीं बल्कि हाल ही में भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी पांचवीं इकोनॉमी का ताज भी अपने सिर किया है। लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि मार्केट और इकोनॉमी में कोई समान संबंध है? इस सवाल के जवाब में अमीषा कहती हैं कि मार्केट इकोनॉमी के ही प्रतिबिंब होते हैं। लेकिन बाजार आगे क्या होने की संभावना है, इस पर ज्यादा फोकस करते हैं। बाजार की प्रतिक्रिया कमोबेश देश की आर्थिक विकास दर के अनुमान के आधार पर रहती है, ना कि असल ग्रोथ के आंकड़ों के आधार पर।

भारत आज निवेशकों को निवेश के कई मौके प्रदान कर रहा है। जब पूरी दुनिया मंदी की आशंका से डरी हुई है तब भारत इस संकट से उभरने की बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है। क्योंकि हमारी घरेलू डिमांड काफी बेहतर है। मंदी की आशंकाओं के बावजूद भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी होगी। घ्श्‌इ के ही आंकड़े देखें तो वित्त वर्ष 2023 में भारत का रियल उझ्‌ ग्रोथ 7.4ज्ञ्‌ रहने का अनुमान है तो वहीं वित्त वर्ष, 2024 में इसके 6.1ज्ञ्‌ रहने का अनुमान लगाया गया है। भारत के लिए यही अनुमान बेहतर नहीं है। अमीषा कहती हैं कि अगर आप बैंक क्रेडिट डाटा देखेंगे तो ये अभी 9 साल की ऊंचाई पर है। इसमें साल-दर-साल 16ज्ञ्‌ की ग्रोथ देखने को मिली है। कॉरपोरेट इंडिया की बैलेंस शीट बेहतर शेप में है। कॉरपोरेट डेट टू उझ्‌ रेश्यो 15 साल के निचले स्तर पर है। वहीं, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का कैपिटल यूटिलाइजेशन 74.3 है। ये 3 साल में सबसे बेहतर है। भारत बड़ी कैपेक्स रिकवरी की ओर बढ़ता दिख रहा है। ऐसा नहीं है कि वैश्विक स्तर पर अगर ग्रोथ धीमी पड़ेगी तो उसका असर भारत पर नहीं होगा। असर तो होगा लेकिन कुछ असर घरेलू डिमांड की मदद से कम होगा।

इक्विटी मार्केट में रिटेल इन्वेस्टर बड़ी संख्या में उतर रहे हैं। एक तरह से देखें तो ये सिर्फ नंबर है लेकिन

 

मार्केट के लिहाज से ये काफी मायने रखते हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी इघ्घ्‌ की बिकवाली के शॉक को ये रिटेल निवेशक कम करने में मदद कर रहे हैं। हम भारत के ग्रोथ को लेकर पॉजिटिव हैं।

भारत विश्वगुरु बनने की तरफ अग्रसर हो रहा है। आज दुनियाभर में जो भी कामकाज होते हैं, उसमें भारत की छाप जरूर नजर आती है। भारत सरकार की झ्थ्घ्‌ स्कीम गेम चेंजर साबित हो सकती है। ऐसे में कारोबारियों की केंद्र सरकार से क्या मांगें हैं?

दमदार है बाजार, शानदार है ग्रोथ स्टोरी

अमीषा वोरा अपनी बात रखते हुए कहती हैं कि केंद्र सरकार भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने को प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव यानी झ्थ्घ्‌ एक कारगर स्कीम है। अभी 15 सेक्टर के लिए इस स्कीम को लाया गया है। ये स्कीम देश में ज्यादा निवेश और रोजगार बढ़ाने का काम करेगी। इसके साथ ही उझ्‌ में इन सेक्टर का योगदान भी बढ़ेगा। अनुमानों की मानें तो 2028 तक भारत का एक्सपोर्ट  एक ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच जाएगा। वित्त वर्ष 2022 में ये कारोबार 418 अरब डॉलर का है। सरकार की सहयोगी पॉलिसी, सरल इघ्‌ नॉर्म्स और कई देशों के साथ फ्री ट्रेड का करार भारत को वैश्विक पटल पर मजबूत स्थिति में रख रहा है।

अमीषा वोरा ना सिर्फ इकोनॉमी के मौजूदा हालातों पर मजबूती से अपने विचार रखती हैं बल्कि वो मार्केट की नब्ज को टटोलना भी जानती हैं। मार्केट में जब उथल-पुथल मची है, तब एक निवेशक क्या रणनीति अपनाए? इस पर अमीषा कहती हैं कि मौजूदा वक्त में भारतीय बाजार में भारी उतार-चढ़ाव नजर आ रहा है। वैश्विक स्तर पर पैदा हुए दबाव के हालात हमारे बाजारों को भी प्रभावित कर रहे हैं। अमीषा कहती हैं इन सबके बावजूद भारत की सालों की ग्रोथ साइकिल काफी मजबूत है। ऑटो, कैपिटल गुड्‌स, केमिकल्‌, कंज्यूमर, हाउंसिग फाइनेंस कंपनी, फार्मा और ट्रैवल में मजबूत ग्रोथ है। फेस्टिव सीजन की डिमांड वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में मार्जिनल रिकवरी का रास्ता बनेगी ऐसे में अगर आप बाजार में पैसे लगा रहे हैं तो आप मध्य से लंबी अवधि के लिए फंडामेंटल स्टॉक्स पर भरोसा जता सकते हैं।

रिसर्च के बिना सब अधूरा

अमीषा वोरा के करियर की शुरुआत ही रिसर्च और गहन जांच-पड़ताल के रास्ते से हुई है। उनके नेतृ्‌त्व में प्रभुदास लीलाधर ने नई ऊंचाइयां छुई हैं। लेकिन बदलते वक्त के साथ लोग जल्दी सफलता हासिल करना चाहते हैं। ऐसे में अच्छे से रिसर्च और गहरे ज्ञान का मूल्य कैसे समझा जा सकता है? अमीषा इस पर कहती हैं कि आप चाहे कोई कारोबार खड़ा कर रहे हों या फिर अपना इक्विटी पोर्टफोलियो ही बना रहे हों दोनों ही चीजों के लिए कोई शॉर्टकट नहीं है। वो कहती हैं कि निवेशकों और ट्रेडर्स को ये समझने की जरूरत है कि अच्छी रिसर्च ही आपकी सक्सेस की अहम कड़ी है। अमीषा अपना उदाहरण देते हुए कहती हैं कि प्रभुदास लीलाधर आज देश की सबसे बेहतरी वित्तीय सेवा ब्रांड में से एक है। ऐसा संभव हो पाया है बेहतर रिसर्च रिपोट्‌र्स की वजह से। कंपनी के फंडामेंटल, टेक्निकल और डेरिवेटिव्स में दी गई कॉल्स की वजह से। वो बताती हैं कि झ्थ्‌ की रिसर्च ना सिर्फ आपको ये बताती है कि क्या खरीदना है, बल्कि ये समझाती है कि क्यों खरीदना है और कब और कितना खरीदना है? ऐसे एनालिसिस और रिसर्च आपको निवेश के मजबूत फैसले लेने में मदद करते हैं ना कि वो फैसले जो आप जल्दबाजी में लेते हैं और फिर बाद में पछताते हैं।

शेयर बाजार में महिलाएं

अमीषा वोरा ने शेयर बाजार में तब शुरुआत की थी, जब यहां पुरुषों का बोलबाला था। आज वो इस मार्केट की दिग्गजों में से एक हैं। जिसकी शुरुआत अमीषा वोरा समेत कुछ चंद महिलाओं ने की थी, आज उससे कई महिलाएं जुड़ गई हैं। आज कई महिलाएं शेयर बाजार में कदम रख रही हैं। ये कितना गेमचेंजर साबित होगा, इस पर अमीषा कहती हैं कि एक जमाना था जब महिलाएं अपनी वित्तीय जरूरतों के लिए अपने पिता या पति पर निर्भर रहती थीं। शेयर बाजार में तो पुरुषों का ही बोलबाला था, लेकिन अब ये स्थिति बदल रही है। ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपना निवेश संभाल रही हैं। अपनी वित्तीय प्लानिंग कर रही हैं। कई स्टडीज तो ये भी बताती हैं कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा बेहतर निवेशक होती हैं। कई स्टडीज में पता चला है कि महिलाएं कम आवेग, ज्यादा जोखिम को समझने वाली और ज्यादा रिसर्च करने की इच्छा रखने वाली होती हैं। यही नहीं महिलाएं ज्यादातर लंबी अवधि में निवेश करना बेहतर समझती हैं।

एक निवेशक के तौर पर हम जब भी महिलाओं की बात करते हैं तो उनके अपने अलग लक्ष्य और जरूरतें होती हैं। ऐसे में जरूरी है कि महिलाओं की जरूरत के मुताबिक सेवाएं और उत्पाद लाए जाएं। ये गेमचेंजर साबित हो सकता है क्योंकि इसके लिए कंपनियों को इनोवेशन करना होगा। ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को लीडरशिप पॉजिशन में लाना होगा। और इस तरह ये वित्तीय सेवा में लिंग भेद को मिटाने का बड़ा कदम हो सकता है।

अमीषा वोरा अपनी बात रखते हुए कहती हैं कि केंद्र सरकार भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने को प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव यानी झ्थ्घ्‌ एक कारगर स्कीम है। अभी 15 सेक्टर के लिए इस स्कीम को लाया गया है।

युवा देश और झ्झ्झ्मॉडल

भारत युवाओं का देश है और यही इसकी शक्ति भी है। ऐसे में इन्हें सही गाइडेंस और कौशल दिया जाना जरूरी है। क्या इसमें पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए कोई अहम भूमिका निभाई जा सकती है? सवाल के जवाब में अमीषा कहती हैं कि ये बात एकदम सही है कि हम युवा प्रधान देश हैं लेकिन इस युवा पीढ़ी को फ्यूचर रेडी बनाने की जरूरत है। सिर्फ सरकारी योजनाओं से ये नहीं हो सकता। इसके लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप बेहद अहम है। झ्झ्झ्‌ मॉडल में जहां एक तरफ सरकार के संसाधन मुहैया होते हैं तो दूसरी तरफ निजी सेक्टर की एक्सपर्टीज भी काम में आती है।

एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेकिंग का सबक

कारोबार और मार्केट की ऊंचाई छूने वाली अमीषा वोरा एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रेकिंग कर चुकी हैं। इस पर वो कहती हैं कि एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रेकिंग करना एक अलग ही और कभी ना भुलाया जा सकने वाला अनुभव था। इस ट्रेकिंग ने मेरे उस विचार को और मजबूत किया कि अगर आप किसी चीज को मन से करो तो आप उसे जरूर पूरा कर लेंगे। बस इसके लिए आपके चाहिए थोड़ी प्रतिबद्धता, जुनून और भरोसा

अमीषा को कौनसी चीज खुश करती है?

मार्केट की तेजी के अलावा कौन सी वो चीजें हैं जो अमीषा को खुश करती हैं। इस सवाल का हंसकर जवाब देते हुए अमीषा कहती हैं कि मुझे सबसे ज्यादा खुशी तब होती है, जब मैं प्रभुदास लीलाधर के स्टेकहोल्डर्स को वैल्यू दे पाती हूं। वो कहती हैं कि चाहे हमारे कर्मचारी हों, क्लाइंट हों या फिर बिजनेस पार्टनर्स, झ्थ्की 8 दशक पुरानी विरासत पर मुझे सबसे ज्यादा खुशी होती है। हमने हमेशा हर वित्तीय जरूरत के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन बनने की दिशा में काम किया है। और अब हम ग्रोथ के दूसरे चरण की तैयारी कर रहे हैं और प्रभुदास लीलाधर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रहे हैं।

अभ्युदय वात्सल्यम डेस्क