2005-06 के दौर में एक इतिहास रचा गया। ऑलकार्गो लॉजिस्टिक्स ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ऱ्न्न्ध्ण्ण् (कंपनियां जो गेटवे पोट्र्स तक कंटेनर की बिक्री, भरान और ट्रांसपोर्ट का काम संभालती हैं) ण्ळिं-थ्घ्ऱ्िं का अधिग्रहण किया। आप कहेंगे कि इसमें कौन सी बड़ी बात है, अधिग्रहण तो होते ही रहते हैं। लेकिन ये अधिग्रहण कुछ खास था। इसकी चर्चा पूरे मीडिया में थी। क्योंकि ऑलकार्गो ने बेल्जियम की उस कंपनी का अधिग्रहण किया था, जिसकी आय ऑलकार्गो के मुकाबले 5 गुना ज्यादा थी। अधिग्रहण का ये दौर 2013 तक चलता रहा। इस दौरान ऑलकार्गो लॉजिस्टिक्स ने चीन, यूरोप और यूनाइटेड स्टेट्स जैसे अहम भौगोलिक जगहों पर अधिग्रहण किए। आज कंपनी के नाम 10 से ज्यादा प्रमुख वैश्विक अधिग्रहण दर्ज हैं। और ये सब संभव हो पाया शशि किरण शेट्टी की दूरदर्शी सोच के चलते। शशि किरण शेट्टी मौजूदा वक्त में एक – दो नहीं बल्कि चार कंपनियों के ग्रोथ में अहम भूमिका निभा रहे हैं। शशि ऑलकार्गो लॉजिस्टिक्स, ण्ळिं वर्ल्डवाइड (पहले ण्ळिं-थ्घ्ऱ्िं), गति और ऱ्घ्ऊघ्िं के चेयरमैन हैं।
शशि किरण शेट्टी ने भारत में तब लॉजिस्टिक कारोबार के बीज बोए जब ये इंडस्ट्री अपने शुरुआती चरण में थी। शशि ने 1993 में ऑलकार्गो लॉजिस्टिक्स की स्थापना की और तब से उन्होंने पीछे मुडकऱ नहीं देखा। शशि किरण शेट्टी ने दो दशक से भी ज्यादा समय से भारत की लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को बढ़ावा देने में काफी ज्यादा योगदान दिया है। शशि ने महज दो दशक के भीतर ऑलकार्गो को देश की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक्स कंपनी के तौर पर विकसित किया है। आज कंपनी वर्ल्ड क्लास लॉजिस्टिक्स सेवाएं देती है। शशि के नेतृ्व में कंपनी देश ही नहीं बल्कि दुनिया की बड़ी लॉजिस्टिक्स कंपनियों में लीडर के तौर पर उभर रही है। आज ये कंपनी दुनिया के 180 से भी ज्यादा देशों में अपनी सेवा दे रही है। कंपनी एक अरब डॉलर का मुनाफा बना रही है।
भारत में शशि किरण शेट्टी ने तब अपने लॉजिस्टिक्स कारोबार की शुरुआत की, जब कारोबार करने के नियम काफी मुश्किल थे लेकिन शशि किरण शेट्टी ने न तब हिम्मत हारी थी और न ही अब। वो लगातार अपने बिजनेस का विस्तार करने में जुटे हुए हैं। शशि के नेतृत्व में ही ऑलकार्गो पहली लॉजिस्टिक कंपनी बनी, जो लिस्टेड हुई। लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री की नींव रखने में शशि किरण शेट्टी ने अहम भूमिका निभाई है। ऐसा नहीं है कि शशि ने सिर्फ भारतीय लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री में ऐतिहासिक बदलाव किए हों। बेल्जियम में भी लॉजिस्टिक्स सुधारों के लिए उन्हें जाना जाता है। यही वजह है कि बेल्जियम ने ट्रेड और इंडस्ट्री में शशि के योगदान के लिए उन्हें ‘कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ लियोपोल्ज घ्घ् से नवाजा। ये सम्मान उन्हें खुद बेल्जियम के राजा किंग फिलिप ने दिया था। शशि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम और एसोचैम जैसी इंडस्ट्री बॉडी के कार्यक्रमों और योजनाओं में हिस्सा लेते रहते हैं। शशि को मैंगलुरु यूनिवर्सिटी से साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली है।
शशि किरण शेट्टी का फोकस सिर्फ कारोबार पर नहीं है बल्कि बेहतर समाज और दुनिया बनाने के लिए भी वो काम कर रहे हैं। शशि किरण शेट्टी तब से पिछड़े हुए वर्ग और गरीब बच्चों के लिए काम करते हैं, जब कंपनियों के लिए ण्एीं यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिब्लिटी जैसे कोई नियम अनिवार्य नहीं थे। गोल्फ और आर्ट के शौकीन शशि अवश्य फाउंडेशन के जरिए भी समाज की बेहतरी के लिए योगदान देते रहते हैं। अवश्य फाउंडेशन ग्रुप की ण्एीं शाखा है।
गेमचेंजर होगी नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी
हाल ही में केंद्र सरकार ने नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी पेश की है। ऐसे वक्त में जब ये अनुमान जताया जा रहा है कि भारत अपनी उझ् का 13 से 14 फीसदी लॉजिस्टिक्स पर खर्च करता है, तब ये पॉलिसी क्या बदलाव लाएगी। जापान और जर्मनी जैसे देशों में लॉजिस्टिक पर खर्च भारत से काफी कम उझ् का करीब 8 से 9 फीसदी है। ऐसे में क्या नई लॉजिस्टिक पॉलिसी भारत के लिए गेमचेंजर साबित होगी? इस पर शशि का जवाब हां होता है। वो कहते हैं कि इस पॉलिसी के जरिए केंद्र सरकार देश में बेस्ट इन क्लास लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना चाहती है। इस इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए ना सिर्फ माल की बेरोकटोक आवाजाही संभव होगी बल्कि इस इंडस्ट्री की कई चुनौतियों को कम करने में मदद मिलेगी। ये पॉलिसी कारोबारियों का ना सिर्फ पैसा बचाएगी बल्कि उनका वक्त बचाकर मुनाफा बढ़ाने का भी काम करेगी। शशि कहते हैं कि ये पॉलिसी कृषि उत्पादों की बरबादी रोकती है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बुनियादी ढांचे का विकास कर लॉजिस्टिक खर्च में कमी लाना, देश में प्रतिस्पर्धा का माहौल तैयार कर रोजगार पैदा करना। लॉजिस्टिक पॉलिसी में डिजिटलाइजेशन पर भी फोकस किया गया है। डिजिटल पुश लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री के तंत्र में अंतराल को कम करने में मदद करेगा। इस नीति के जरिए सरकार की कोशिश लॉजिस्टिक खर्च को उझ् के 10 फीसदी से कम करना भी है।
देश में लॉजिस्टिक सेक्टर प्रमुख तौर पर सडव़ परिवहन पर निर्भर है। अलग – अलग हितधारकों के बीच टेक्नोलॉजी के जरिए समन्वय काफी कम है। इसकी वजह से सप्लाई चेन में दिक्कत होने के साथ ही फर्स्ट से लास्ट माइल कनेक्टिविटी में तालमेल नहीं है। तालमेल ना होने की वजह से अप्रत्यक्ष लागत काफी ज्यादा बढ़ जाती है। इस दिक्कत को दूर करने के लिए राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पॉलिसी झ्श् गति शक्ति योजना के साथ मिलकर काम करेगी। इसके जरिए खामियों को दूर करके लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत को कम किया जाएगा। एक तरफ जहां गति शक्ति बुनियादी ढांचे जैसे कनेक्टिविटी परियोजनाओं के एकीकृत विकास के लिए एक अनोखा डिजिटल मंच होगा। जबकि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी विशेष रूप से देश के कमर्शियल रियल एस्टेट, गोदामों और औद्योगिक पार्कों के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत नियामक वातावरण और संस्थागत ढांचा तैयार करेगी।
ऑलकार्गो की बात करें तो इसका वेयरहाउस बेस 60 लाख वर्ग फुट है। कंपनी ई–कॉमर्स की जरूरत को भी पूरा करने के लिए विस्तार कर रही है।
कुल मिलाकर देखें तो राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी का उद्देश्य बुनियादी ढांचे का समग्र विकास, सिस्टम की कमियों को दूर करना और लागत में कटौती के लिए तकनीक को बढ़ावा देना है। इस नीति के चलते बेहतर ट्रैकिंग और डिजिटलीकरण होगा। लॉजिस्टिक क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ेगा। जब क्षेत्र में सुधार होगा तो ईज ऑफ डूइंग बिजनेस भी बेहतर होगी। ये पॉलिसी ना सिर्फ आर्थिक विकास बल्कि दूसरे सुधारों की दृष्टि से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है।
नए बदलाव और लॉजिस्टिक सेक्टर
इकोनॉमी के दूसरे सेक्टर्स की तरह ही लॉजिस्टिक सेक्टर में भी कई नए बदलाव हो रहे हैं। सप्लाई चेन- बैकएंड प्रोग्राम, ड्रोन डिलिवरी, डिजिटल डिलिवरी जैसी नई सुविधाएं इस क्षेत्र में आ रही हैं। अब इन नई इनोवेटिव सर्विसेज से इस सेक्टर की सूरत क्या बदलेगी और अगर बदलेगी तो कितनी? इस सवाल के जवाब में शशि कहते हैं कि इन नई सुविधाओं के चलते लॉजिस्टिक सेक्टर का दायरा और भी बड़ा हो गया है। शशि कहते हैं कि आने वाले वक्त में इस क्षेत्र का पूरा भविष्य डिजिटल होगा। सेक्टर का संचालन काफी हद तक डिजिटल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि डिलिवरी के लिए ड्रोन इन क्षेत्र को काफी आगे लेकर जा सकते हैं। ड्रोन हो चाहे वैकल्पिक डिजिटल डिलिवरी के नए उपकरण और इनोवेशन कारोबारियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होंगे। ये कारोबारियों को ना सिर्फ समय और लागत बचाने में मदद कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अपने ग्राहकों की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने में भी सक्षम बना रहे हैं। कारोबारी अब इन नई सुविधाओं का इस्तेमाल कर अपनी लागत कम कर रहे हैं, जो कि काफी अच्छी पहल है।
शशि बताते हैं कि ऑलकार्गो में भी लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के बदलते चेहरे के साथ तालमेल रखने के लिए सिस्टम, प्रक्रियाओं और संचालन में डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। डाटा साइंस और एनालिटिक्स में केंद्र के लिए राइट फॉर्म प्रॉपराइटरी टूल्स और सॉफ्टवेयर मुहैया करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऑलकार्गो में क्षमताओं के निर्माण के लिए कमर कसी जा रही है। ये क्षमताएं नए युग, डिजिटल व्यापार आपूर्ति श्रृंखला के साथ समन्वय तो बिठाएंगे ही, इसके साथ ही राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी और झ्श् गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की सफलता में भी योगदान देंगे। ऑलकार्गो में ऐसा करना हमारे लिए गर्व की बात है।
लॉजिस्टिक्स सेक्टर में रोजगार के मौके
भारत आने वाले कुछ वक्त में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बनने वाला है। लॉजिस्टिक्स क्षेत्र का उझ् में योगदान 14% है। ये क्षेत्र 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है। अब जब नए बदलाव इस सेक्टर में हो रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि बदलते बदलावों के साथ ये नए रोजगार देने के लिए बड़ी जगह कैसे बन सकता है? सवाल के जवाब में शशि कहते हैं कि इस सेक्टर में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पॉलिसी से इस सेक्टर में नए बदलाव आएंगे। मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान, सागरमाला, भारतमाला जैसे प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। ये सब योजनाएं खासकर टियर 2 और टियर 3 शहरों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाएंगे। लॉजिस्टिक्स सेक्टर का डिजिटलीकरण हो रहा है। ये नया बदलाव युवाओं को रोजगार के नए अवसर देगा। इसमें डाटा एनालिटिक्स, बिजनेस इंटेलिजेंस, रियल-टाइम टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन
लर्निंग जैसे मौके हैं। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पॉलिसी वैश्विक स्तर पर भारत को इस क्षेत्र में एक स्किल्ड ह्यूमन रिसोर्स के तौर पर पेश करेगी। इसका काम शुरू भी हो चुका है। प्रधानमंत्री कौशल केंद्र योजना के तहत राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (ऱ्एण्), कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार के साथ साझेदारी में व्ऱ्झ्ऊ और सिडको (ण्घ्ण्ध्) के सहयोग से महाराष्ट्र के उरण में देश के पहले लॉजिस्टिक्स से संबंधित एक कौशल विकास केंद्र का संचालन किया जा रहा है। यहां आसपास के करीब 500 से ज्यादा युवाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। सरकार इन योजनाओं के जरिए इस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के लिए एक संसाधनों का पूल बना रही है। इस तरह की पहल से देश में बड़े सकारात्मक प्रभाव की संभावना है। अगले 3 से 5 साल के भीतर वैश्विक कंपनियां स्किल्ड लेबर के लिए भारत की ओर देखेंगी। भारत अपने उपलब्ध कुशल प्रतिभा से विश्व की सप्लाई चेन, बैक-एंड और संचालन योजना कार्यक्षेत्र बनने की क्षमता रखता है।
लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत जब एक अंक में आ जाएगी। जाहिर तब कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा, निवेश के नए अवसर खुलेंगे, तब हालात किस तरह से बदलेंगे। इस पर शशि शेट्टी कहते हैं कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पॉलिसी का सबसे अहम मकदस बुनियादी ढांचे का विकास कर एक ठोस नींव रखना है। ताकि इसके जरिए रोजगार के नए मौके तैयार किए जा सकें। ये पॉलिसी भारत के लॉजिस्टिक सेक्टर को लचीला, लागत कुशल और सुव्यवस्थित बनाएगा। यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ळथ्घ्झ्) और ईजी ऑफ लॉजिस्टिक्स सर्विसेज (ई-लॉग)) जैसे प्लेटफॉर्म से सेक्टर का डिजिटल ग्रोथ मैप तैयार किया जा रहा है। बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर, मजबूत निर्यात और भरोसेमंद लॉजिस्टिक्स के चलते भारत को 2040 तक त्र्20 ट्रिलियन की इकोनॉमी और 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा। शशि कहते हैं कि मैं एक ऐसी अर्थव्यवस्था की कल्पना करता हूं जहां लॉजिस्टिक्स एक महत्वपूर्ण अंग होगा। पूरा इकोसिस्टम अपने वर्तमान योगदान से विकास और प्रगति के लिए तेजी से आगे बढ़ेगा।
भारत की तस्वीर बदलेगी लॉजिस्टिक पॉलिसी
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी कैसे भारत को एक बेहतरीन वेयरहाउस में तब्दील कर सकती है? इस पर शशि बताते हैं कि ये नीति भारत की तस्वीर बदलने का काम करेगी। क्योंकि इस पॉलिसी का अहम पहलू हैं- मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स पार्क (श्श्थ्झ्)। इसके साथ ही अन्य केंद्रों के विकास को विशेष रूप से अंतर्देशीय कंटेनर डिपो, कार्गो टर्मिनलों के साथ-साथ एयर फ्रेट स्टेशनों के लिए माल को स्थानांतरित करने के लिए बढ़ावा देना है। इसे मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स सिस्टम के दायरे से देश में कार्गो के लिए एक रोडमैप बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। ये नीति प्रमुख बाजारों और उद्योग समूहों में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क के लिए ढांचा तैयार करेगी। इससे कार्गो की बेरोकटोक आवाजाही संभव हो सकेगी। ई-कॉमर्स, 3झ्थ् ऑपरेटरों की बढत़ी मांग और विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि के चलते पूरे देश में ग्रेड-ए गोदामों का तेजी से विकास होगा। ग्रेड-ए गोदाम लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने और मूल्य श्रृंखला में न्यूनतम अपव्यय सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
राष्ट्र निर्माण में जुटी ऑलकार्गो
ऑलकार्गो की बात करें तो इसका वेयरहाउस बेस 60 लाख वर्ग फुट है। कंपनी ई-कॉमर्स की जरूरत को भी पूरा करने के लिए विस्तार कर रही है। ऐसे में कंपनी की आगे क्या योजनाएं हैं? इस पर अपनी बात रखते हुए शशि कहते हैं कि ऑलकार्गो ग्रुप ने ऑर्गैनिक तरीके से 15% वार्षिक विकास दर प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। 3-4 सालों में कंपनी ग्लोबल लॉजिस्टिक क्षेत्र के शीर्ष 10 खिलाड़यिों में शामिल है। समूह की 2026 तक 25,000-30,000 करोड़ रुपए की टॉपलाइन हासिल करने की आकांक्षा है। इसमें अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति-श्रृंखला व्यवसाय से लगभग 20,000-25,000 करोड़ रुपये और एक्सप्रेस और अनुबंध
लॉजिस्टिक हिस्से से 2700-3500 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। शशि ने बताया, वर्तमान में हम कर्नाटक के मलूर, हरियाणा के फारुख नगर, मुंबई में व्ऱ्झ्ऊ बंदरगाह, हैदराबाद में पाटनचेरू में विश्व स्तरीय लॉजिस्टिक्स पार्क संचालित करते हैं। ग्रुप राष्ट्रव्यापी वेयरहाउसिंग को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है। ग्रुप भारत के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर अपने कदम मजबूत करने में जुटा है।
छोटे शहरों को जोडऩे के लिए लास्ट माइल कारोबार बढ़ रहा है। यहां पर शशि को किस तरह की संभावनाएं दिखती हैं, इस पर शशि कहते हैं कि कोई भी देश जैसे-जैसे समृद्ध होता है और सकारात्मक आर्थिक विकास का अनुभव करता है, उसके सामने अंत-उपभोक्ताओं से लेकर ई-कॉमर्स खुदरा विक्रेताओं तक की बहु-आयामी आवश्यकताएं होती हैं। सेक्टर का मकसद यही है कि ग्राहकों को फर्स्ट और लास्ट माइल डिलिवरी मुहैया की जाए। इसके लिए ऑलकार्गो ग्रुप जैसे लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं और हमारी ग्रुप कंपनी ‘ख्याति“ द्वारा पेश किए जाने वाले एक्सप्रेस वितरण में उत्कृष्टता की आवश्यकता है। गति पिक-अप और डिलिवरी के लिए 1850 से अधिक व्यापार भागीदारों के साथ काम करती है। ये काम पूरे भारत में रिटेल पिक-अप के लिए 350 समर्पित चैनल भागीदारों के साथ होता है। गति में, हमारे साझेदार हमारी उपस्थिति स्थापित करने और देश के सबसे दुर्गम क्षेत्रों तक अपने ग्राहकों को सेवा प्रदान करने में हमारी मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि हम पहले से ही भारत के 739 जिलों में से 735 में 19800 से अधिक पिनकोड कवर कर चुके हैं। हालांकि संभावनाएं अभी और भी हैं।
कौशल विकास से कुशल लोग तैयार करना
शशि किरण शेट्टी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में अध्यक्ष के तौर पर उनकी आगे क्या योजनाएं हैं। इस पर बात करते हुए शशि बताते हैं कि आर्थिक मोर्चे पर भारत लगातार आगे बढ़ रहा है। भारत के आर्थिक विकास की कहानी लॉजिस्टिक क्षेत्र में कई प्रगतियों से प्रेरित होगी। शशि कहते हैं कि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र उझ् में प्रभावी रूप से योगदान दे। इसके लिए अनुभवी पेशेवरों के साथ-साथ नई प्रतिभाओं को साथ लिया जाएगा। तकनीक की मदद भी इसमें अहम रोल निभाएगी। हालांकि इसके लिए देश के युवाओं को नवीन कौशल और टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षित होने की आवश्यकता है। आज की पीढ़ी को योग्य बनाने के लिए शिक्षा और उद्योग का सक्रिय सहयोग जरूरी है। युवाओं को बिजनेस एक्सपोजर देकर तैयार किया जाने की जरूरत है। ऱ्घ्ऊघ्िं में उचित उद्योग-अकादमिक सहयोग स्थापित करके युवाओं को उद्योग के क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हमने डिजिटलीकरण, विश्लेषण, घ्ध्ऊ अनुप्रयोगों आदि पर उन्नत ज्ञान का प्रसार करने के लिए ऱ्घ्ऊघ्िं में लॉजिस्टिक और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया है। ये जटिल लॉजिस्टिक संचालन की निगरानी और विश्लेषण को मजबूत कर सकता है।
ऱ्घ्ऊघ्िं भारत के शीर्ष 10 प्रमुख संस्थानों में शामिल है। इसके बाद ऱ्घ्ऊघ्िं अधिक मान्यता और गौरव की आशा करता है। श्झ् योजनाएं चल रही हैं और मेरा लक्ष्य है कि ऱ्घ्ऊघ्िं कॉरपोरेट जगत के साथ-साथ समाज के लिए नेतृत्व विकसित करे।
शशि किरण शेट्टी की सफलता का राज
180 देश, 10 हजार से ज्यादा कर्मचारी और कई अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण करने वाले शशि किरण शेट्टी की सफलता का राज कौन नहीं जानना चाहेगा। अपनी सफलता को लेकर बात करते हुए शशि कहते हैं कि मेरी सफलता सही समय पर निर्णय लेने का परिणाम है। दूसरा कारण ये है कि मैंने कभी विश्वास नहीं किया कि मैं सब जानता हूं। मैं हमेशा सीखते रहा, अपने ज्ञान और कौशल को लगातार अपडेट किया और इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण उद्योग के भीतर और बाहर से प्रतिभा को साथ में लाने का चुनाव किया है और आज भी करता हूं। ये वही प्रोफेशनलिज्म है जिसने हमें अच्छी स्थिति में रखा है।
अगर विलय और अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण की बात करें तो ऑलकार्गो ग्रुप के भीतर कंपनियों का सांस्कृतिक एकीकरण गेमचेंजर साबित हुआ है। आखिर वो समान धारणाएं ही हैं जो अलग-अलग परिवेश के लोगों को एकजुट करती हैं और बेजोड़ तालमेल बनाती हैं। शशि कहते हैं कि हमारा ध्यान हमेशा संस्थान निर्माण पर रहा है। ताकि हम ऐसी क्षमताएं निर्मित कर सकें जो हमें लगातार विकसित हो रहे इंडस्ट्रियल माहौल में नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर सके। शशि बताते हैं कि हमने हमेशा कारोबार और मुनाफे से आगे देखा है। हमने विश्व स्तरीय पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस के मानकों को स्थापित करने का प्रयास किया है। वो कहते हैं, “मेरा मानना है कि इन सभी की परिणति ही है ये सतत विकास और सफलता जिसे आप आज देख रहे हैं।”
समाज को बदलने में जुटे शशि
शशि एक सफल कारोबारी होने के साथ ही समाज में बदलाव करने के प्रणेता भी हैं। अपनी सभी व्यस्तताओं के बीच वो सामाजिक कार्यों के लिए वक्त निकाल ही लेते हैं। फाउंडेशन के लिए कारोबार के बीच टाइम निकालना कैसे संभव होता है, इस पर उन्होंने दलाई लामा की एक बात कही। उन्होंने बताया कि दलाई लामा ने एक बार कहा था- “मेरा मानना है कि हमारे समय की चुनौतियों का सामना करने के लिए मनुष्य को सार्वभौमिक जिम्मेदारी की एक बड़ी भावना विकसित करनी होगी। हम में से प्रत्येक को न केवल अपने लिए, अपने परिवार या राष्ट्र के लिए बल्कि पूरी मानव जाति के लाभ के लिए काम करना सीखना चाहिए। सार्वभौमिक जिम्मेदारी मानव अस्तित्व की कुंजी है। यह विश्व शांति के लिए सबसे अच्छी नींव है।“
शशि कहते हैं ये एक ऐसा विचार है जो मेरे जीवन का अंग बन चुका है। वो कहते हैं, “मेरा मानना है कि अगर मैं भाग्यशाली हूं कि मैं ऐसी स्थिति में हूं जहां मैं किसी और के लिए कुछ कर सकता हूं, तो अपने प्रयास को सच्चे मन से करना मेरा कर्तव्य है। मैं फाउंडेशन के साथ अपनी भागीदारी को एक अतिरिक्त प्रयास या कार्य के रूप में नहीं देखता, बल्कि एक व्यक्ति के रूप में मैं कौन हूं और मैं किसमें विश्वास करता हूं, इसके विस्तार के रूप में देखता हूं। मुझे अपनी पत्नी और फाउंडेशन की चेयरपर्सन श्रीमती आरती शेट्टी के नेतृत्व में ण्एीं टीम द्वारा किए जा रहे अविश्वसनीय काम पर बहुत गर्व है। ऱ्उध् के विशाल नेटवर्क के साथ सहयोग करते हुए, हमारे पास स्वास्थ्य, पर्यावरण, शिक्षा, महिला अधिकार, खेल और आपदा राहत के क्षेत्रों में कई परियोजनाएं हैं, जिनसे अब तक 3 लाख 60 हजार से ज्यादा लोगों को फायदा मिला है।
गोल्फ से प्रेरणा लेते हैं शशि
शशि किरण शेट्टी कला और गोल्फ के माहिर खिलाड़ी हैं। ऐसे में शशि एक व्यक्ति के तौर पर सबसे ज्यादा खुश कब होते हैं? इस पर शशि कहते हैं कि मैं गोल्फ कोर्स पर सबसे ज्यादा खुश रहता हूं। ये एक ऐसा खेल है जो कि मुझे ध्यान केन्द्रित करने, शांति से सोचने और स्ट्रैटिजिक थिकिंग में काफी मदद करता है। साथ ही, ये खेल मुझे त्वरित सोचने की क्षमता और बदलते हालातों में सहज बने रहने की क्षमता भी देता है। लेकिन जैसा कि सद्गुरु कहते हैं, 99हम जो करते हैं उसके कारण हमारा जीवन सुंदर नहीं होता है, हमारा जीवन केवल इसलिए सुंदर हो जाता है क्योंकि हमने अपने कल्याण के सपने के हिस्से के रूप में अपने आस-पास के सभी लोगों को शामिल किया है।““ वही मेरे लिए सच्चा सुख है। जब मैं देखता हूं कि मेरी यात्रा अकेले मेरी नहीं है, बल्कि इस लंबी यात्रा ने इतने सारे लोगों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित किया है और कुछ छोटे तरीकों से, मैं उन्हें बेहतर करने, बेहतर जीने और बड़ेसपने देखने में और उन्हें सच करने में मदद करने में सक्षम रहा हूं। इससे ज्यादा खुशी मुझे किसी और चीज से नहीं मिलती है।