अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक जगत के दिग्गज मुकेश अम्बानी

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1877

मुकेश जी एक कुशल रणनीतिकार होने के साथ-साथ दूरदर्शी व्यक्तित्व के स्वामी हैं और समय की सही नब्ज को पहचानने वाले विवेक वान और गम्भीर संकल्प-संयोजना मेें सिद्धहस्त हैं और अनथक परिश्रम करने वाले महान औद्योगिक योद्धा हैं।

धीरूभाई अम्बानी पिता के रूप में एक युयोग्य और परम पुरूषार्थी पिता थे। दूरदर्शिता, कर्मठता, कर्तव्य परायणता, विनम्रता और कठोर परिश्रम तथा लक्ष्य की ओर एकाग्रता पूर्वक सतत्‌ आगे बढत़े रहना आपके सुविशाल व्यक्तित्व के प्रमुख गुण थे । पिता की भांति श्री मुकेश अम्बानी के व्यक्तित्व में भी इन्हीीं गुणों का समावेश है। श्रीमती कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी की पावन कोख से उनकी प्रथम संतान मुकेश का जन्म १९ अप्रैल, १९५७ को हुआ। अत्यंत शांतिपूर्ण ढंग से प्रशासनिक कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लेने में स्वयं सिद्ध मुकेश बाल्यावस्था से ही मितभाषी और थोड़े संकोची स्वभाव के हैं। वे बातचीत से अधिक कार्य को पूर्ण हुआ देखना चाहते हैं । मुकेश जी स्वभाव से ही दृढ़ विचार के हैं, यदि किसी कार्य को करने का निर्णय ले लिया गया तो उसे पूर्ण कर ही लिया जाना चाहिए । वैचारिक व निर्णयात्मक दृढत़ा आपके व्यक्तित्व का विशिष्ट गुण है । मुकेश जी ने पिता स्व० धीरूभाई अंबानी जी की संघर्षपूर्ण जीवन गाथा को बहुत करीब से देखा है (क्योंकि उनकी बाल्यावस्था भी समृद्धि में नहीं गुजरी थी ), उसमें साझीदार रहे हैं। यही कारण है कि मुकेश जी के व्यक्तित्व में कठोर परिश्रम, संघर्ष और जुझारूपन संस्कार रूप में व्याप्त है । धीरूभाई अम्बानी कहते थे – मैं गीता पढऩे में नहीं उसमें जीने में विश्वास करता हूँ । धीरूभाई अपने उक्त कथन के अनुसार ही कर्मयोग में आचरणशील रहे, अनुरक्त रहे और वही कर्मयोग का सारतत्व आत्मसात्‌ कर मुकेश जी भी पिता की भांति गीता जीने में विश्वास करते है, वह भी गीता जी रहे हैं । भारत और विश्व में अनेक उद्योगपतियों का व्यक्तित्व आर्थिक जगत के मसीहा के रूप में स्थापित है परन्तु पिता-पुत्र धीरूभाई-मुकेश अन्यों की अपेक्षा अधिक विराट व्यक्तित्व के स्वामी हैं। मुकेश अम्बानी का विराट व्यक्तित्व सुअवसर की प्रतीक्षा करने के बजाय सुअवसर उत्पन्न करने वाला है । पिता धीरूभाई अम्बानी के सपनोें के साम्राज्य को मूर्तरूप देने में मुकेश जी की योग्यता, क्षमता, कार्यकुशलता और साहस का महत्वपूर्ण योगदान है । आपने पूर्ण मनोयोग से औद्योगिक गतिविधियों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और उन्हें घरातल पर साकार रूप प्रदान कर अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया । जब रिलायंस उद्योग समूह ने इंटीग्रेटेड जामनगर परियोजना को साकार रूप देना आरम्भ किया, तब देश का औद्योगिक जगत उसे जैसे सहन नहीं कर पाया और उसने रिलायंंंंंस समूह को अतिमहत्वाकांक्षी कहकर उसकी निंदा शुरू कर दी और परियोजना का विरोध शुरू कर दिया । परियोजना की सफलता और भविष्य का पता लगाने हेतु कुछ विदेशी विशेषज्ञ नियुक्त किये गये जिन्होंने अपने अध्ययन के अनुसार घोषणा की कि इस परियोजना के सफलता की संभावना नहीं के बराबर है । विदेशी विशेषज्ञों द्वारा निकाले गये निष्कर्ष से तनिक भी विचलित हुए बिना मुकेश अम्बानी ने अपनी दूरदर्शिता और साहस का परिचय देते हुए ठान लिया कि परियोजना को तो सफल बनाना ही है। बस फिर क्या था? जैसे ही रिफायनरी का कार्य शुरू हुआ उसकी देख – रेख का उत्तरदायित्व मुकेश जी ने खुद पर ले लिया और प्रत्येक सप्ताह जामनगर साइट पर जाकर कार्य का निरीक्षण करने लगे । मुकेश जी के ही परामर्श पर परियोजना हेतु पूर्व निर्धारित कार्य नीति में बदलाव किया गया और अपने अति भरोसेमंद सहयोगी युवा, ऊर्जावन श्री हेतल मेसवानी (मुकेश जी के फुफेरे भाई) को जामनगर में रखा गया जो निर्माण कार्य की पल-पल की सम्पूर्ण जानकारी रखते और मुकेश जी को उससे अवगत कराते थे । मुकेश जी की सूझबूझ से निर्माण कार्य तीव्रगति से चला और रिकॉर्ड स्थापित करते हुए तीन वर्ष में ही पूरा कर लिया गया । कार्य योजनाबद्ध एवं तीव्रगति से पूरा होने के कारण इस रिफाइनरी की लागत एशिया महाद्वीप की अन्य रिफाइनीरियों की अपेक्षा प्रति टन ३० से ५० प्रतिशत कम आई । विशेषज्ञों ने जिस परियोजना की सफलता के विषय में नकारात्मक राय दी थी वही आज भारत में रिफाइन किये जाने वाले कुल कच्चे तेल का एक-चौथाई भाग अकेले रिफाइन करती है। इसका सर्वाधिक श्रेय मुकेश भाई अम्बानी को जाता है जिनकी दूरदर्शिता, दृढ़ इच्छाशक्ति और कुशल रणनीति की बदौलत उक्त परियोजना पूर्णतया सफल हुई । मुकेश जी एक कुशल रणनीतिकार होने के साथ-साथ दूरदर्शी व्यक्तित्व के स्वामी हैं और समय की सही नब्ज को पहचानने वाले विवेक वान और गम्भीर संकल्प-संयोजना मेें सिद्धहस्त हैं और अनथक परिश्रम करने वाले महान औद्योगिक योद्धा हैं।

धीरू भाई अम्बानी परिस्थिति की प्रतिकूलता और अपनी औद्योगिक महत्वाकांक्षा के कारण स्वयं भले ही उच्च शिक्षा नहीं प्राप्त कर सके किंतु वे उच्च शिक्षित थे, डिग्री भले ही न हासिल की थी, शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्ता भली भांति महसूस किए थे। उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। मुकेश अम्बानी की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के अबाय मोरिस्चा स्कूल में सम्पन्न हुई। मुकेश ने पिता जी के स्वप्न को साकार किया और मुंबई विश्वविद्यालय से केमिकल इंजिनियर की उपाधि प्राप्त की। तत्‌पश्चात्‌ वे एम. बी. ए. की डिग्री प्राप्त करने के लिए स्टैन फोर्ड विश्व विद्यालय अमेरिका गए। वहां से भारत लौटने पर बड़ी सूझबूझ के साथ उद्योग के क्षेत्र में सक्रिय हुुए। रिलायंस कंपनी पुराने – परंपरागत तरीके से टेक्सटाइल कारोबार कर रही थी। मुकेश अंबानी ने १९८१ में रिलायंस में प्रवेश किया और परंपरागत टेक्सटाइल व्यापार को पोलिएस्टर फाइबर और फिर पेट्रोकेमिकल्स में परिवर्तन कर आगे बढ़ाने का कार्य किया। इसी क्रम में रिलायंस ने महाराष्ट्र (पाताल गंगा) में १९८२ में सर्व प्रथम पी. एफ. वाई की फैक्ट्री स्थापित की और १९८६ से पी. एस. एफ. (पॉलिएस्टर स्टेपल फाइबर) का उत्पादन शुरू किया। परिवर्तन की प्रक्रिया में मुकेश अम्बानी ने विश्व स्तरीय ६० नई विभिन्न तकनीक संयुक्त निर्माण सुविधाओं की रचना को निर्देशित कर और महत्वपूर्ण स्वरूप दिया। मुकेश जी ने अपनी औद्योगिक प्रतिभा का परिचय देते हुए पिता जी के सपनों को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। मुकेश जी के काम संभालने से पहले रिलायंस की उत्पादन क्षमता लगभग १० लाख टन वार्षिक थी। मुकेश जी ने अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए उसकी उत्पादन क्षमता एक करोड़ बीस लाख टन वार्षिक के उच्चांक तक ले गए। धीरु भाई की छत्र-छाया में उन्होंने अपना भरपूर सहयोग प्रदान करते हुए जिम्मेदारियों को बखूबी संभाला और पिता जी को विश्वास दिलाया कि आप के साम्राज्य को बढ़ाने के लिए मैं हर कदम पर साथ हूँ। धीरु भाई अम्बानी चाहते थे कि भारतीय उत्पादन में आधुनिकता का समावेश हो और उसकी किस्म अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हो और दाम भी प्रतियोगी स्तर पर कम हो। पिता की इस कामना की पूर्ति के लिए मुकेश जी हमेशा तत्पर रहे। उन्होंने भारत में बुनियादी स्तर को देखते हुए गुजरात प्रांत के जामनगर में संसार की सबसे बड़ी पेट्रोलियम रिफाइनरी की स्थापना की। आज इस रिफाइनरी की दैनिक क्षमता ६ः लाख साठ हजार बैरल से अधिक है अर्थात वार्षिक तीन करोड़ तीस लाख टन। एक लाख करोड़ के निवेश से स्थापित इस रिफाइनरी में आज पेट्रोकेमिकल, पावर जनरेशन, पोर्ट तथा संबंधित आधारभूत ढाँचा है जो विश्व के उद्योग जगत में भारत के लिए गर्व की बात है। मुकेश जी ने रिलायंस ग्रुप के शोध आधारित जीवन – विज्ञान (लाइफ साइंस) के क्रिया कलापों में सक्रियता का श्रेष्ठ परिचय दिया। उन्होंने भारत की सबसे बड़ी दूर संचार कंपनियों में शुमार की जाने वाली रिलायंस कम्युनिकेशन्स (पहले रिलायंस इन्फोकॉम नाम था) लिमिटेड की स्थापना की। मुकेश जी के कुशल नेतृत्व में रिलायंस ने अपने पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी रिलायंस रिटेल के माध्यम से खुदरा बाजार के उद्योग जगत में प्रवेश कर कार्य शुरू किया है। उनका उद्‌देश्य आम उत्पादक और उपभोक्ता दोनों को लाभ पहुँचाते हुए कारोबार करना है। श्री मुकेश अम्बानी स्वभाव से अंतर्मुखी और अल्पभाषी हैं। वे कम बोलने में विश्वास रखते हैं। वे बेहद शांत मस्तिष्क के व्यवस्थापक, नीति और योजना बुनने वाले व्यक्तित्व हैं। अपने उत्पादन की प्रगति और उसके मूल्यांकन पर शुरू से ही उनकी गहन पकड़ रही है। उनकी उसी योग्यता को भाँप कर उनको वाइस चेयरमैन नियुक्त कर उनके महत्व को रेखांकित किया गया था।

अपने पिता के वृहद औद्योगिक साम्राज्य की प्रगति और सुरक्षा के दृष्टिकोण से मुकेश जी ने कई बार संकट के समय ट्रबलशूटर की भूमिका निभाई है। सन्‌ १९८०में जब बांम्बे डार्इंग के नुस्ली वाडिया, इंडियन एक्सप्रेस और रिलायंस समूह के बीच तीव्र विवाद एवं उलझन पैदा हुई थी, तब मुकेश जी की ही प्रबंधन एवं समन्वय क्षमता ने उस विवाद को सुलझाने में सफलता प्राप्त की थी। उन्होंने रिलायंस ग्रुप की महत्वपूर्ण नई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूर्णता प्रदान की। इसी प्रकार पातालगंगा प्रोजेक्ट और हजीरा काम्प्लेक्स के निर्माण में भी मुकेश अम्बानी की भूमिका का लोग लोहा मानते हैं। जामनगर की २७ हजार करोड़ की रिफाइनरी के प्रोजैक्ट को समय पर पूरा करते हुए उन्होंने अपनी कार्यक्षमता का परिचय दिया। उल्लेखनीय है कि जामनगर की रिफाइनरी की लागत विश्व की अन्य रिफाइनरियों की तुलना में आश्चर्यजनक रूप से कम रही है। धीरु भाई के जीवन काल में ही मुकेश जी ने छोटे भाई अनिल अम्बानी को साथ लेकर उद्योग जगत के कई मुकाम सफलता पूर्वक तय किए और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त की। उनकी प्रतिभा का ही परिणाम रहा कि रिलायंस ग्रुप का कारोबार अस्सी गुना अधिक हो गया। आई.सी.एल., इंडिया पॉलीफाइबर्स, उड़ीसा सिंथेटिक्स, रेमण्ड सिंथेटिक्स, डी.सी.एल.पॉलिएस्टर तथा जे सी डी एवं आई. पी. सी. एल. जैसी कंपनियों के अधि ग्रहण की रणनीति और सफलता में मुकेश जी की कुशाग्रबुद्धियुक्त भूमिका कारगर साबित हुई। अपनी कार्यक्षमता और दायित्वबोध को स्पष्ट करते हुए १९७७ में एक साक्षात्कार में मुकेश जी ने कहा भी था कि – हम दोनों भाइयों ने रिलायंस समूह की तमाम जिम्मेदारियों को सँभाल लिया है, हम इसके उत्तराधिकारी न होकर इसका हिस्सा बन चुके हैं। बाद में यदि दोनों भाइयों में उलझन न पैदा हुई होती, दोनों अलग न हुए होते और मुकेश अंबानी प्रेसिडेंट बने रहते तो उनकी कुल संपत्ति एक साथ होने से वे संसार के सबसे ज्यादा धनी व्यक्ति होते और वह भी एक बहुत बड़े अंतर से जिसको (अंतर को) मिटा पाना निकट भविष्य में किसी औद्योगिक समूह के लिए असम्भव होता।

मुकेश अम्बानी रिलायंस इण्डस्ट्रीज, रिलायंस इन्फोकॉम और आई.पी.सी.एल. के चेयरमैन, रिलायंस यूरोप लिमिटेड के डायरेक्टर हैं और व्यक्तिगत आमदनी के आधार पर सबसे अमीर भारतीय हैं। भारत और भारतीय उद्योग जगत के लिए अभिमान का अवसर मुकेश अम्बानी ने प्रदान किया। रिलायंस इण्डस्ट्रीज के प्रमुख के रूप मेें उन्हें युनाइटेड बिजनेस कांउंसिल लीडरशिप ॲवार्ड -ग्लोबल विजन २००७ के लिए वाशिंग्टन में ससम्मान प्रदान किया गया। एन.डी.टी.वी. द्वारा कराये गये सार्वजनिक चुनाव में उन्हें बिजनेस मैन आफ दि इयर – २००७ का सम्मानजनक पद प्राप्त हुआ। विश्व के सबसे सम्मानित बिजनेस लीडरों में बयालीसवाँ स्थान प्राप्त किया। फाइनेन्सियल टाइम्स लंदन के अनुसार चार सी. ई. ओ. में. द्वितीय स्थान का सम्मान प्राप्त हुआ। दूरसंचार के क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में वर्ल्ड कम्युनिकेशन अवॉर्ड प्राप्त किया और

टेलीकॉम मैन आफ दि ईयर से सम्मानित किए गए। इनके अतिरिक्त तमाम अवॉर्ड, पुरस्कार, सम्मान के साथ-साथ गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों चित्रलेखा पर्सन आफ दि इयर – २००७ पुरस्कार से सम्मानित हुए। श्री धीरु भाई अम्बानी का महत्वपूर्ण कथन है कि मेरा लक्ष्य भारत के लोगों की बचत पर उन्हें अधिक से अधिक मुनाफा प्रदान करना है। आम व्यक्ति की खुशहाली में ही रिलायंस की खुशहाली का राज छुपा है। इसी आम आदमी की खुशहाली के उद्‌देश्य से ही मुकेश जी ने खुदरा बाजार संस्कृति की तरफ कदम बढ़ाया और रिलायंस मार्ट की महत्वकांक्षी योजना शुरू की। उन्होंने रिटेल मार्केटिंग की संस्कृति को इस कारण प्रोत्साहन देने की शुरूआत की ताकि उपभोक्ताओं को उचित दरों पर उत्तम क्वॉलिटी का सामान प्राप्त हो, यह उनका अधिकार है। साथ ही बिचौलिया पद्धति से भी उत्पादक को मुक्ति मिले। इससे उनके लाभ का प्रतिशत बढ़ेगा और उपभोक्ताओं को वाजिब दर पर वस्तुओं की प्राति होगी। मुकेश अम्बानी इस समय संसार के सबसे कीमती (मँहगे) घर के मालिक हैं। मुंबई शहर के महत्वपूर्ण आवासीय – व्यापारिक क्षेत्र में निर्मित उनका आवास एंटीलिया सत्ताइस फ्लोअर वाला साठ मंजिला स्क्रेपर है जिसमें नौकरों-चाकरों का भी निवास है। इस महत्वपूर्ण मकान की कीमत दो अरब डॉलर है।

क्रिकेट के विश्व कप का आयोजन धीरुभाई अंबानी की महान सफलता है। रिलायंस वर्ल्ड कप के आयोजन से पहले निजी क्षेत्र की किसी भी भारतीय कंपनी ने तब तक इस प्रकार के आयोजन का गौरव हासिल नहीं किया था। क्रिकेट के प्रति पिता जी के लगाव का सम्मान करते हुए मुकेश जी ने इंडियन प्रीमियर लीग की टीम मुंबई इंडियन्स का मालिकाना हक लिया। सचिन तेंदुलकर की सौवीं सेंचुरी के बाद उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम मुकेश जी के क्रिकेट प्रेम, मानवता, भारतीयता और अन्य की उपलब्धि पर आनंदित होने की उनमें रची-बसी भारतीय संस्कृति का प्रमाण है। पिता धीरु भाई अम्बानी शिक्षा को जीवन में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते थे और कामना करते थे कि देश का प्रत्येक बच्चा शिक्षा प्राप्त करे। उनकी उसी भावना को पूजनीय मानते हुए आपने मुंबई में धीरुभाई अम्बानी इंटरनैशनल स्कूल की स्थापना की है जो सफलतापूर्वक अपना दायित्व पूर्ण कर रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि मुकेश अम्बानी को सशक्त, समृद्ध, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक संबंधों की विरासत प्राप्त हुई है। पिता के स्थान पर धीरु भाई अम्बानी अपने आप में गर्व एवं सफलता का सौभाग्य हैं तथापि मुकेश जी की योग्यता को विरासत के नाम पर रंच मात्र भी कम नहीं आँका जा सकता है। मुकेश अंबानी जैसे विलक्षण व्यक्तित्व के धनी संसार में कम ही हैं जो विरासत को आधार मान कर चलने के बजाय स्वयं के पुरुषार्थ पर भरोसा करते हैं। महान लोगों के जीवन में खुद के साथ-साथ समाज, देश और विश्व के व्यापक हित सिद्धि का महती दृष्टिकोण होता है और इसी कारण उनके समस्त कार्य न केवल उच्च कोटि के परिणाम प्रदाता होते हैं बल्कि दिव्य भी होते हैं। निजी जीवन और औद्योगिक जगत में श्री मुकेश अंबानी की स्थिति अत्यंत मर्यादित, सुसभ्य और सम्मानजनक है। मुकेश जी ने अपनी योग्यता, समर्पण, कर्मठता, प्रतिबद्धता और कुशल प्रबंधन के द्वारा विरासत के परचम को दिन-प्रति दिन उच्चता ही प्रदान की है। वे अपनी अनवरत नवोन्मेषी प्रतिभा सम्पन्न दृष्टि के परिणाम स्वरूप विश्व में अग्रगण्य उद्योग पतियों के बीच अत्यंत सम्मानित हैैं । मुकेश अम्बानी भारत की आन-बान – शान हैैं, देश के सपूत हैैं, देश के गर्व हैैं। मुकेश जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से भारत ही नहीं अपितु विश्व भी सुशोभित है। निश्चित ही ईश्वर ने आप के जीवन के रहस्य में लोक कल्याण की महान भावना का समावेश सुनिश्चित किया है तभी तो आपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के आलोक में लाखों-करोड़ों का जीवन सुव्यवस्थित रूप से गतिमान है, समाज, राष्ट्र और विश्व लाभान्वित है ।

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