वर्तमान में हम औद्योगिक क्रांति के चौथे चरण में प्रवेश कर रहे हैं जिसमें सूचना और संचार प्रौद्योगिकी अपनी मुख्य भूमिका में है। एक बेहतर संचार तंत्र और डिजिटल अर्थव्यवस्था के माध्यम से आज पूरी दुनिया आपस में जुड़ चुकी है। ऐसे में आज किसी भी देश की वास्तविक प्रगति के लिए आवश्यक है कि वह तकनीकी रूप से सहज,सक्षम और उन्नत हो। समय की इस अपरिहार्य आवश्यकता को अगर किसी व्यक्ति ने भली-भांति समझा है तो वह हैं हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी। उम्र के इस पड़ाव में आकर भी तकनीक के प्रति जो लगाव व सहजता हमारे प्रधानमंत्री जी में है वह वास्तविक मायनों में एक बेहतर नेतÀत्वकर्ता में ही हो सकती है। वे प्रौद्योगिकी के सवाेत्तम उपयोग की बात करते हुए अक्सर सरकार के उन कदमों की ओर इशारा करते हैं जिसमें अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने से लेकर समाज में डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देना शामिल है। उदाहरण के लिए नीति आयोग द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए एक पर्यवेक्षण निकाय की स्थापना, उमंग और डिजिलॉकर ऐप के माध्यम से ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु पीएलआई स्कीम, राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन और डिजिटल इंडिया कार्यक्रम जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उनका कहना है कि पाषाण युग से औद्योगिक क्रांति तक आने में जहां लाखों वर्ष लग गए वहीं संचार क्रांति महज पिछले २०० वर्षों का परिणाम है जबकि डिजिटल क्रांति ने यह दूरी कुछ ही वर्षों में पूरी कर ली।
भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के पहले चरण में २.५ लाख गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने की पहल की है।
बदलाव की कहानी
प्रभाव के दृष्टिकोण से देखा जाए तो डिजिटल क्रांति ने आज हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया है। आज जो भी देश डिजिटल साक्षरता में जितना पीछे हैं वह प्रगति की रपतार में भी उतना ही धीमा है। इस तथ्य को भलीभांति समझते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कैशलैस इकोनॉमी और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम की शुरुआत की है ताकि भारत को डिजिटल रूप से एक सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में परिणत किया जा सके। अब अगर बात डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की करते हैं तो यह मूलतः तीन दृष्टिकोण पर आधारित है -डिजिटल अवसंरचना का निर्माण, मांग आधारित ई गवर्नेंस सेवा और डिजिटल साक्षरता। यह कार्यक्रम नौ स्तंभों पर टिका हुआ है जो हैं ब्रॉडबैंड हाईवे, मोबाइल कनेक्टिविटी तक सार्वभौम पहुंच,पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम, ई-गवर्नेंस, ई-क्रांतिः २.०, सभी के लिए सूचना, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण,रोजगार हेतु सूचना एवं प्रौद्योगिकी और अगली हार्वेस्ट प्रोग्राम, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत शिक्षा, अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी दपतरों को देश की राजधानी से जोड़ा जा रहा है। भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के पहले चरण में २.५ लाख गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने की पहल की है। साथ ही देश के प्रत्येक हिस्से में डिजिटल इंडिया का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से ढाई लाख से अधिक सामान्य सेवा केंद्रों का एक विशाल नेटवर्क संजित किया गया है जिसने भारत के निर्धनों, हाशिए पर खड़े समूहों ,दलितों और महिलाओं के मध्य डिजिटल उद्यमियों का विकास किया है। इसी पहल का परिणाम है कि आज लोग लोग घर से काम करने, कैशलेस भुगतान पाने, छात्र ऑनलाइन शिक्षा पाने, मरीज टेली-कंसल्टेशन से डॉक्टरी सलाह लेने और किसान सीधे अपने बैंक खाते में पीएम-किसान जैसी योजना का लाभ लेने में सक्षम हो पाए हैं। यहीं पर हमें ई-क्रांति जिसे अन्य रूप में हम राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना २.० के नाम से भी जानते हैं, की बात कर लेना भी ज्यादा समीचीन होगा।
इस योजना का उद्देश्य परिवर्तनशील और परिणामोन्मुखी ई-गवर्नेंस पहलों को प्रोत्साहन देना, एकीकृत सेवाएं प्रदान करना तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के इष्टतम उपयोग व नागरिक केंद्रित सेवाओं को बढ़ावा देना आदि शामिल है। इसके अलावा सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कुछ अन्य एजेंसियों के माध्यम से डिस्ट्रीब्यूटर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी जैसी बहु-संस्थागत परियोजना का भी समर्थन किया है जिसके माध्यम से शासन,बैंकिंग,वित्त,साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में ब्लॉकचेन आधारित अनुप्रयोगों को बढ़ावा देना व उनका विकास करना शामिल है। इसी तरह कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा नैसकॉम की साझीदारी से पयूचर स्किल प्लेटफार्म को लांच किया गया है जो ब्लॉकचेन,कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित दस उभरती हुई तकनीकों पर केंद्रित है।
कहने का अर्थ यह है कि माननीय मोदी जी के दिशा निर्देशन में काम करते हुए प्रत्येक विभाग आधुनिक सूचना व प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग व समन्वयन करते हुए इस क्षेत्र में एक क्रांति का सूत्रपात कर रहा है। यहां यह उल्लेख कर देना आवश्यक है कि भले ही सूचना व संचार प्रौद्योगिकी का प्रारंभ किसी भी सरकार के कार्यकाल में हुआ हो लेकिन उसे निरंतर नित नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का श्रेय निश्चित रूप से मोदी जी को जाता है। यहां हम कुछ मुद्दों पर गौर करें तो ये बातें और भी स्पष्ट हो जाती हैं।
भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के पहले चरण में २.५ लाख गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध कराने की पहल की है।
तकनीक के सहारे गरीबों का भला करने की नीति
मोदी जी के आने से पहले अधिकांश भारतीय न्यूनतम बैंकिंग सेवाओं से भी वंचित थे। जो इन सेवाओं का लाभ उठा भी रहे थे उन्हें इसके लिए काफी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। ऐसे में कैशलेस इकोनॉमी तो और दूर की कौड़ी हुआ करती थी। लेकिन, मोदी जी के आगमन के बाद जहां इन कठिनाइयों ने सहजता का रूप लेना शुरू किया वहीं कैशलैस इकोनॉमी भी परिकल्पना से निकलकर यथार्थ के धरातल पर अवतरित हुई। अपने शपथ ग्रहण समारोह के कुछ ही महीनों बाद यानी १५ अगस्त, २०१४ को मोदी जी ने विशाल जन-धन योजना के शुभारंभ की घोषणा की जिसके माध्यम से करोड़ों भारतीयों के बैंक खाते खुले और वे औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ने में समर्थ हो सके। हालांकि, शुरुआत में विरोधियों द्वारा इन खातों में जमा हुई न्यून राशि को आधार बनाकर मोदी सरकार का उपहास भी उड़ाया गया किंतु कोविड-१९ महामारी के दौरान जब आवागमन और कामकाज पूरी तरीके से ठप्प पड़ गए थे तब इन्हीं बैंक खातों में विभिन्न माध्यमों और लोगों द्वारा अंतरित की गई राशि ने निर्णायक भूमिका अदा की। ठीक यही बात मोदी जी के कहद सपने कैशलेस अर्थव्यवस्था पर भी लागू होती है। एक पल के लिए हम समय में पीछे जाएं और यह विचार करें कि अगर कोविड-१९ के दौरान हमारे पास भुगतान का कैशलेस विकल्प नहीं होता तो हम किस प्रकार अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ पाते। दुनिया हमारा उपहास उड़ाती और हमारी भूखों मरने की नौबत आ जाती। किंतु मोदी जी की दूरदृष्टि की बदौलत हम उस नारकीय अवस्था में नहीं गए। अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही जिस तरह से उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल क्षेत्र के विकास व विस्तार पर अपना ध्यान केंद्रित किया वह स्वयं में काबिले तारीफ है।
आज बैंकिंग,पेंशन, बीमा और सब्सिडी आदि का निपटारा चंद मिनटों में ऑनलाइन हो जा रहा है। एक बड़े दुकानदार से लेकर साधारण फेरीवाले तक के पास यूपीआई के माध्यम से भुगतान प्राप्त करने की सुविधा है। बच्चे घर बैठे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और किसान टेलीविजन अथवा अन्य डिजिटल माध्यमों से फसलों और मौसम की जानकारी प्राप्त कर पा रहे हैं। इसके अलावा भी अनेक ऐसे कार्य हैं जिनके लिए पहले घर के बाहर जाना पड़ता था किंतु अब नहीं। इसका सबसे ज्यादा फायदा बुजुर्गों को तो हुआ ही साथ ही उन समूहों को भी हुआ जो सरकारी कार्यालयों तक पहुंच पाने में सक्षम नहीं थे।
समग्र रूप से कहा जाए तो सूचना एवं प्रौद्योगिकी और डिजिटल अर्थव्यवस्था समय की मांग थी जिसे मोदी जी ने ना केवल बखूबी समझा बल्कि उसे आम जनमानस के बीच प्रचारित व प्रसारित भी किया। भारत जैसे विकासशील और विशाल जनसंख्या वाले देश में जहां अभी भी व्यापक पैमाने पर गरीबी,भुखमरी व कुपोषण पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ है वहां अत्याधुनिक संचार व तकनीकी व्यवस्था का विकास करना काफी दुरूह एवं जटिल
इस योजना का उद्देश्य परिवर्तनशील और परिणामोन्मुखी ई-गवर्नेंस पहलों को प्रोत्साहन देना, एकीकृत सेवाएं प्रदान करना तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के इष्टतम उपयोग व नागरिक केंद्रित सेवाओं को बढ़ावा देना आदि शामिल है। इसके अलावा सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कुछ अन्य एजेंसियों के माध्यम से डिस्ट्रीब्यूटर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी जैसी बहु-संस्थागत परियोजना का भी समर्थन किया है जिसके माध्यम से शासन,बैंकिंग,वित्त,साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में ब्लॉकचेन आधारित अनुप्रयोगों को बढ़ावा देना व उनका विकास करना शामिल है। इसी तरह कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा नैसकॉम की साझीदारी से पयूचर स्किल प्लेटफार्म को लांच किया गया है जो ब्लॉकचेन,कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित दस उभरती हुई तकनीकों पर केंद्रित है।
कहने का अर्थ यह है कि माननीय मोदी जी के दिशा निर्देशन में काम करते हुए प्रत्येक विभाग आधुनिक सूचना व प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग व समन्वयन करते हुए इस क्षेत्र में एक क्रांति का सूत्रपात कर रहा है। यहां यह उल्लेख कर देना आवश्यक है कि भले ही सूचना व संचार प्रौद्योगिकी का प्रारंभ किसी भी सरकार के कार्यकाल में हुआ हो लेकिन उसे निरंतर नित नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का श्रेय निश्चित रूप से मोदी जी को जाता है। यहां हम कुछ मुद्दों पर गौर करें तो ये बातें और भी स्पष्ट हो जाती हैं।
तकनीक के सहारे गरीबों का भला करने की नीति
मोदी जी के आने से पहले अधिकांश भारतीय न्यूनतम बैंकिंग सेवाओं से भी वंचित थे। जो इन सेवाओं का लाभ उठा भी रहे थे उन्हें इसके लिए काफी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। ऐसे में कैशलेस इकोनॉमी तो और दूर की कौड़ी हुआ करती थी। लेकिन, मोदी जी के आगमन के बाद जहां इन कठिनाइयों ने सहजता का रूप लेना शुरू किया वहीं कैशलैस इकोनॉमी भी परिकल्पना से निकलकर यथार्थ के धरातल पर अवतरित हुई। अपने शपथ ग्रहण समारोह के कुछ ही महीनों बाद यानी १५ अगस्त, २०१४ को मोदी जी ने विशाल जन-धन योजना के शुभारंभ की घोषणा की जिसके माध्यम से करोड़ों भारतीयों के बैंक खाते खुले और वे औपचारिक बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ने में समर्थ हो सके। हालांकि, शुरुआत में विरोधियों द्वारा इन खातों में जमा हुई न्यून राशि को आधार बनाकर मोदी सरकार का उपहास भी उड़ाया गया किंतु कोविड-१९ महामारी के दौरान जब आवागमन और कामकाज पूरी तरीके से ठप्प पड़ गए थे तब इन्हीं बैंक खातों में विभिन्न माध्यमों और लोगों द्वारा अंतरित की गई राशि ने निर्णायक भूमिका अदा की। ठीक यही बात मोदी जी के कहद सपने कैशलेस अर्थव्यवस्था पर भी लागू होती है। एक पल के लिए हम समय में पीछे जाएं और यह विचार करें कि अगर कोविड-१९ के दौरान हमारे पास भुगतान का कैशलेस विकल्प नहीं होता तो हम किस प्रकार अपनी अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा पाते। दुनिया हमारा उपहास उड़ाती और हमारी भूखों मरने की नौबत आ जाती। किंतु मोदी जी की दूरदृष्टि की बदौलत हम उस नारकीय अवस्था में नहीं गए। अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही जिस तरह से उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल क्षेत्र के विकास व विस्तार पर अपना ध्यान केंद्रित किया वह स्वयं में काबिले तारीफ है।
आज बैंकिंग,पेंशन, बीमा और सब्सिडी आदि का निपटारा चंद मिनटों में ऑनलाइन हो जा रहा है। एक बड़े दुकानदार से लेकर साधारण फेरीवाले तक के पास यूपीआई के माध्यम से भुगतान प्राप्त करने की सुविधा है। बच्चे घर बैठे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और किसान टेलीविजन अथवा अन्य डिजिटल माध्यमों से फसलों और मौसम की जानकारी प्राप्त कर पा रहे हैं। इसके अलावा भी अनेक ऐसे कार्य हैं जिनके लिए पहले घर के बाहर जाना पड़ता था किंतु अब नहीं। इसका सबसे ज्यादा फायदा बुजुर्गों को तो हुआ ही साथ ही उन समूहों को भी हुआ जो सरकारी कार्यालयों तक पहुंच पाने में सक्षम नहीं थे।
समग्र रूप से कहा जाए तो सूचना एवं प्रौद्योगिकी और डिजिटल अर्थव्यवस्था समय की मांग थी जिसे मोदी जी ने ना केवल बखूबी समझा बल्कि उसे आम जनमानस के बीच प्रचारित व प्रसारित भी किया। भारत जैसे विकासशील और विशाल जनसंख्या वाले देश में जहां अभी भी व्यापक पैमाने पर गरीबी,भुखमरी व कुपोषण पूरी तरीके से खत्म नहीं हुआ है वहां अत्याधुनिक संचार व तकनीकी व्यवस्था का विकास करना काफी दुरूह एवं जटिल कार्य था। इसके लिए एक ऐसे नेता की आवश्यकता थी जिनके पास भविष्य को लेकर एक सुस्पष्ट दृष्टिकोण हो और जो वैश्विक परिवर्तनों के प्रति पहले से ही सचेत एवं तैयार हो। मोदी जी ने इन बातों का ध्यान रखते हुए विभिन्न प्रयासों एवं माध्यमों से लगातार जनमानस को इन परिवर्तनों को अपनाने के प्रति जागरूक व विवेकशील बनाया और इसी का परिणाम है कि आज हम वैश्विक अर्थव्यवस्था की कतार में अग्रणी स्थान धारण करते हैं। फिर चाहे वह अंतरिक्ष क्षेत्र हो,साइबर क्षेत्र हो,रक्षा क्षेत्र हो अथवा अन्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र, हमने कई बार वैश्विक समूहों को भी अपनी अभूतपूर्व प्रगति के माध्यम से अचंभे में डाल दिया है।
(लेखक केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री हैं)