स मावेशी विकास एक अवधारणा के रूप में बहुत विशद् और व्यापक है। इसके सभी आयामों को समग्रता से समझना बेहद कठिन है और इससे भी कहीं अधिक कठिन है वास्तविक अर्थों में समावेशी विकास को मूर्त रूप दे पाना। मई २०१४ में जब देश की जनता ने तीस वर्षों में पहली बार किसी राजनीतिक दल को लोकसभा में पूर्ण बहुमत के रूप में जनादेश दिया तो इस जनादेश के नायक भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाथों में देश को आर्थिक बदहाली, निर्धनता और असंतुलित विकास के दुश्चक्र से निकालने का दायित्व भी आया। यह अब सर्वज्ञात है कि २०१४ से ठीक पहले के कुछ महीनों में देश पॉलिसी पैरालाइसिस की स्थिति में बुरी तरह फंस गया था और इस निराशा से देश को निकालने हेतु विकास से बेहतर कोई माध्यम नहीं हो सकता था। चुनौती केवल इतनी सी थी कि यह विकास पहले की तरह किसी एक क्षेत्र, किसी एक सेक्टर या किसी एक वर्ग के पक्ष में झुका हुआ न हो बल्कि सब तक पहुँचे और समानता के साथ पहुँचे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस चुनौती से बख़ूबी पार पाते हुए और ”सबका साथ – सबका विकासह्ण के नारे को वास्तविकता में बदलते हुए विकास को समावेशी बनाया है और देश के कोने-कोने तक इसकी डिलीवरी सुनिश्चित करवाई है।
प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में मोदी जी ने वित्तीय समावेशन की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए जन-धन योजना की घोषणा की। तब तक देश के जनसाधारण को शायद ही एक बैंक खाता होने की महत्ता का आभास रहा हो, परंतु इस योजना के अंतर्गत करो़डाें शून्य बचत बैंक खाते खोले गए और स्वतंत्रता के बाद पहली बार वास्तविक अर्थों में बैंकिंग व्यवस्था को जन-जन तक पहुँचाया जा सका। देश में सभी का बैंक खाता होने का ही लाभ बाद में तब मिला जब गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी को बीच की सभी जटिलताएँ समाप्त करते हुए सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजा जाने लगा। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की इस नीति का बाद में कई तरीकों से लोगों तक प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ पहुँचाने के लिए किया गया। यहाँ तक कि कोरोना वायरस से उपजी विभीषिका के दौरान सरकार इसीलिए सहजता से लोगों की सहायता करने में सक्षम हो पाई क्योंकि उनके पास बैंक खाते मौजूद थे और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का सुचारु तंत्र पहले ही स्थापित किया जा चुका था। जन-धन योजना के तहत लोगों के बैंक खाते खुलवाए जाना प्रधानमंत्री मोदी के नेतÀत्व वाली सरकार का ऐसा पहला ब़डा कदम था, जिसने समावेशी विकास को लक्षित किया और सफलता से इसे प्राप्त भी किया। साथ ही, यह आगे आने वाली अनेक समावेशी विकास पहलों का प्रस्थान बिंदु भी बना और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना तथा प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी पहलों के माध्यम से देश के दूरस्थ वंचित वर्गों तक वे सुविधाएँ पहुँचाई गईं, जो पिछले ७४ वर्षों में ऐसी तीव्रता और सफलता के साथ कभी नहीं पहुँचाई जा सकी थीं।
ऐसा भी नहीं कि सरकार के विकास कार्य सामाजिक कल्याण तक ही सीमित रहे, बल्कि सरकार ने सर्क्रिंगीण व समावेशी रूप से प्रयास करते हुए सभी क्षेत्रों में विकास सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। डिजिटल इंडिया अभियान ऐसे ही एक प्रयास के उदाहरण के रूप में गिना जा सकता है। २०१४ से पूर्व भारत में इंटरनेट केवल कुछ शहरों तक सीमित था और काफ़ी महंगा हुआ करता था, जिससे यह आम भारतीय की पहुँच से बहुत दूर चला जाता था। प्रधानमंत्री मोदी के नेतÀत्व में सरकार द्वारा भारत को डिजिटलीकरण की राह पर ले जाने का प्रभाव आज देश के गाँव-गाँव में हर व्यक्ति तक इंटरनेट की पहुँच के रूप में दिखता है और डिजिटलीकरण को अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रकों (विशेष रूप से भुगतान) से जो़डने के चलते आर्थिक विकास को भी समावेशी बना पाना संभव हुआ। और आज कहीं भी डिजिटल भुगतान की सुविधा देखकर यह अंदाजा लगाना बेहद आसान है कि इस पहल का ज़मीनी स्तर पर कितना व्यापक प्रभाव हुआ है।
जन-धन योजना के तहत लोगों के बैंक खाते खुलवाए जाना प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का ऐसा पहला ब़डा कदम था, जिसने समावेशी विकास को लक्षित किया और सफलता से इसे प्राप्त भी किया।
महिलाओं के संदर्भ में विशेष रूप से बात की जाए तो १५ अगस्त, २०१४ को ऐसा पहली बार देखा गया कि भारत के प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से खुले में शौच की समस्या को संबोधित करते हुए स्वच्छ भारत बनाने की बात की। यह समस्या देश के ग्रामीण इलाकों में विशेष तौर पर महिलाओं की अस्मिता से जु़डती थी और आज जब लगभग समूचा देश खुले में शौच से मुक्त हो गया है तो इससे महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है। वहीं दूसरी ओर ”बेटी बचाओ – बेटी प़ढाओह्ण योजना और ”सेल्फी विद डॉटरह्ण जैसे अभियानों से देश में लिंगानुपात की बदहाल स्थिति को सुधारने की दिशा में निर्णायक प्रगति हुई है और शनैः-शनैः इसके सकारात्मक परिणाम भी देखे जा रहे हैं। मुस्लिम महिलाओं को फौरन तलाक के खतरे से बाहर निकालने हेतु तीन तलाक का अपराधीकरण किए जाने से अल्पसंख्यक महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है और स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं से वंचित वर्गों की महिला उद्यमियों को अपने और देश के विकास में भूमिका निभाने के अभूतपूर्व अवसर दिए जा रहे हैं। हाल में जब टोक्यो ओलंपिक व पैरालंपिक खेलों में भारत की बेटियों ने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए तो उनकी सफलता में देश की सभी महिलाओं की सफलता व प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा महिलाओं के समावेशी विकास हेतु उठाए गए कदमों का महत्त्व प्रतिबिंबित हो रहा था।
भारत अनेक कारणों से अब तक बहुत ब़डा विनिर्माण हब नहीं बन पाया है। इस बात की ओर कोरोना काल में अधिक ध्यान गया जब यह लगा कि सारा विश्व विनिर्माण के लिए चीन पर निर्भर नहीं रह सकता है और विनिर्माण चेनों का वितरण अन्यत्र किया जाना आवश्यक है। ऐसे में भारत का नाम दुनिया की नई फैक्ट्री बनने के दावेदारों में सबसे आगे रहा। इसके पीछे भी मोदी सरकार की पिछले सात वर्षों की दूरदर्शी नीतियाँ जिम्मेदार हैं। कार्यभार संभालते ही प्रधानमंत्री ने ‘मेक इन इंडिया” पहल की घोषणा की और विश्व को भारत में विनिर्माण करने व यहाँ निवेश करने हेतु आमंत्रित किया। और उन्होंने इसे कोई खोखला वादा नहीं बनने दिया बल्कि अपनी सरकार के अनेक प्रयासों के माध्यम से भारत में निवेश व निर्माण को सुगम बनाया। इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में कई स्थानों की छलांग लगाते हुए ६३वें स्थान तक पहुँच गया और विश्व के एक प्रमुख विनिर्माण व व्यापार बाजार के रूप में उभरा। इसके बाद हाल ही में क्रांतिकारी श्रम सुधारों के माध्यम से सैंक़डाें श्रम कानूनों को चार प्रमुख श्रम संहिताओं में समायोजित करते हुए उन्हें श्रमिकों व व्यवसायियों दोनों के लिए परस्पर हितकारी बनाया गया। इसी क्रम में २०२० में ही कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार करते हुए कृषकों को मंडी व बिचौलियों की ज़ंजीरों से मुक्त किया गया और महत्त्वपूर्ण कृषि कानूनों के माध्यम से भारतीय किसान को मुक्त बाजार से जो़डनेे और कृषि को लाभ का सौदा बनाने की दिशा में एक युगांतरकारी कदम उठाया गया। इन कानूनों से पहले भी प्रधानमंत्री जी के नेतÀत्व में किसानों की आय २०२२ तक दुगुनी करने, उन्हें सीधे आर्थिक लाभ पहुँचाने, सिंचाई अवसंरचना दुरुस्त करने और किसानों को संधारणीय उर्वरक उपलब्ध कराने की पहलों से किसानों की स्थिति पहले की तुलना में आज कहीं अधिक बेहतर है और आज भारत में लोग कृषि केवल विवशता के चलते ही नहीं कर रहे, बल्कि इससे होने वाले लाभ भी उठा रहे हैं।
पिछले सात वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के यशस्वी नेतÀत्व में भारत सरकार ने ऐसे अनेक कदम उठाए हैं, जिससे देश का विकास भी हुआ है और वह विकास देश के सभी भौगोलिक क्षेत्रों व सभी व्यक्तियों तक पहुँचा भी है। वास्तव में इसे ही समावेशी विकास माना जाता है। इन विकास कार्यों का सबसे ब़डा प्रतिफल २०१९ के चुनाव में और ब़डे जनादेश के रूप में मिला, जिसके बाद यह पूर्ण विश्वास से कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी के विकास कार्यों का समग्र समर्थन देशवासियों द्वारा किया जा रहा है। सरकार के अब तक के कार्यकाल में इतने महत्त्वपूर्ण विकास कदम उठाए गए हैं कि उन सब को गिनाने में भी शब्द सीमा का कई बार उल्लंघन हो जाएगा। लेकिन समग्रतः एक बात समझना बहुत महत्त्वपूर्ण है कि भारत बीते सात दशकों के अधिकांश भाग में विकास से उतना वंचित नहीं रहा जितना वह विकास के असंतुलित और