2022 का यह वर्ष भारत के लिए बेहद खास है। समूचा देश भारत की आज़ादी की ७५वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ”आज़ादी का अमृत महोत्सवह्ण मना रहा है। इस महोत्सव को एक जन-उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है जो जन भागीदारी की भावना को दर्शाता है। माननीय प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत की उपलब्धियां पूरी मानव जाति के लिए उम्मीद की किरण हैं और यह किरण पूरे विश्व को अपने प्रकाश से रोशन करते हुए विकास के रास्ते को गति प्रदान करेगी।
भारत एक उभरता हुआ देश है। यह विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बहुत तेजी से प्रगति कर रहा है। भारत आज बदलाव की छोर पर खड़ा है। भारत ने वर्तमान दौर में खुद को दुनिया की सबसे तेज गति से बढऩे वाली बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पुनः स्थापित कर लिया है। यह सराहनीय है। हालांकि, हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत को आने वाले 30 वर्षों में जीडीपी की उच्च दर को ना केवल प्राप्त करना होगा, बल्कि बरकरार भी रखना होगा। इस लंबी और कठिन यात्रा में कई पल ऐसे आएंगे जो मील के पत्थर साबित होंगे।
आज, भारत पारदर्शी और पूर्वानुमेय कर व्यवस्था के साथ दुनिया की सबसे सुलभ अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), जो कि भारत की आजादी से ले कर अभी तक का सबसे बड़ा कर सुधार है, उसे कार्यान्वित किया। हम रेल, सडव़, बन्दरगाह एवं हवाई जैसी आधारभूत संरचनाओं में तेजी से न केवल सुधार कर रहें हैं बल्कि नव-निमार्ण में भी हम काफी अग्रसर हैं। राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन परियोजना जैसे विश्व-स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हम कर रहे हैं।
भारत में सरकार ने दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में से एक, आयुष्मान भारत की शुरुआत की है।
हम वैश्विक हितों के साथ चलने वाले देश का हिस्सा हैं। प्रवासी भारतीयों का भी विश्व में बोलबाला है, जिनकी संख्या न केवल सबसे अधिक है बल्कि उनकी योग्यता भी बेहतरीन है। हमारी अर्थव्यवस्था और हमारा भौतिक सुख, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़ा हुआ है। भारत दुनिया भर के सर्विस सेक्टर का पावर हाउस है। हम दुनिया को सीमा रहित अर्थव्यवस्था की दृष्टि से देखते हैं, जिसमें सभी बाज़ार एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। मोदी सरकार ने पिछले कुछ सालों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बेहतर करने के लिए कई ऐतिहासिक सुधार किए हैं। विदेशी निवेश के लिए आज भारत पहली पसंद है।
भारत ने अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में काफी बदलाव करते हुए इसे उदार किया, जिसके तहत अंतरिक्ष, रक्षा और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्था में बदलाव किया गया। कृषि क्षेत्र में भी अभूतपूर्व सुधार किए गए हैं। भारत सरकार ने हाल ही में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना, जो मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरण,फार्मा जैसे कई क्षेत्रों को जोडत़ा है, का शुभारंभ किया है। आने वाले समय में इस तरह की योजनाओं को और भी अलग-अलग सेक्टर्स के लिए शुरू किया जाएगा।
डिजिटल इंडिया प्रोग्राम, सार्वभौमिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और कैशलेस आर्थिक लेनदेन को बढ़ावा देने वाले माध्यमों के जरिए एक मजबूत ज्ञान अर्थतंत्र का निर्माण कर रहा है।
डिजिटल इंडिया प्रोग्राम, सार्वभौमिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और कैशलेस आर्थिक लेनदेन को बढ़ावा देने वाले माध्यमों के जरिए एक मजबूत ज्ञान अर्थतंत्र का निर्माण कर रहा है। र्व्ींश् त्रिकोण यानी- जनधनः दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल; आधारः दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक परियोजना; मोबाइल कनेक्टिविटीः मौजूदा सरकार द्वारा त्वरित रूप से प्रसारित, वर्तमान सरकार की नीतियों का परिणाम है, जिसके माध्यम से भारत में फिनटेक (फाइनेंस और टेक्नॉलिजी) क्रांति का मंच दृढत़ा से तैयार हो रहा है।
हाल ही की वैश्विक महामारी ने हमारा ध्यान अपनी स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की ओर खींचा है। भारत में सरकार ने दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में से एक, आयुष्मान भारत की शुरुआत की है। इसके साथ ही, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देश के नागरिकों को अच्छी एवं किफायती स्वास्थ्य सेवा डिजिटल माध्यम से मुहैया करवाना है। भारतीय चिकित्सा क्षेत्र, आज 22 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक वृद्धि के साथ निवेश एवं संयुक्त उपक्रम के लिए बहुत ही आशाजनक क्षेत्र बना हुआ है।
देश की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की दृष्टि से प्रधानमंत्री ने सौर ऊर्जा को विकसित करने पर जोर दिया है। इसी प्रयास को मद्देनजर रखते हुए उन्होंने एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड का नारा दिया है। नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने ठोस कदम उठाए हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के गठन में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसके अलावा पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत की सफलता वैश्विक चर्चा का हिस्सा है। किंतु एक सत्य यह भी है कि आने वाले कुछ समय तक भारत की ऊर्जा आपूर्ति के मुख्य माध्यम पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत एवं हाइड्रो पॉवर ही रहेंगे। प्रधानमंत्री ने ट्रिपल-पी या प्रो-प्लैनेट पीपल के वैश्विक आंदोलन द्वारा संचालित सतत पोषणीय जीवन और उपभोग पैटर्न के माध्यम से पर्यावरण के लिए लाइफ या लाइफस्टाइल के संदेश पर भी जोर दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा बनाई गयी कई प्रमुख नीतियां जनकल्याण को ध्यान में रख कर निर्धारित की गई हैं। स्वच्छ भारत अभियान, मनरेगा जैसी योजनाओं पर अधिक जोर, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत करने के लिए रोजगार सृजन बढ़ा रहा है, आधार के जरिए डीबीटी माध्यम से 110 करोड़ से अधिक लोगों को सीधे तौर पर, पारदर्शिता के साथ योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
स्टार्ट-अप इंडिया और अटल इनोवेशन मिशन जैसी योजनाएं इनोवेशन और नव-उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रही हैं। स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री जी का विजन है कि देश के 100 से अधिक प्रमुख शहर आधुनिक तकनीक, बेहतरीन कार्यशीलता और सतत विकास के तहत विकसित किए जाएं।
स्टार्ट-अप इंडिया और अटल इनोवेशन मिशन जैसी योजनाएं इनोवेशन और नव-उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रही हैं। स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री जी का विजन है कि देश के 110 से अधिक प्रमुख शहर आधुनिक तकनीक, बेहतरीन कार्यशीलता और सतत विकास के तहत विकसित किए जाएं। इस पहल का उद्देश्य स्थानीय विकास को सक्षम बनाना और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करना है जो नागरिकों के जीवन में सुगमता ला सके।
यदि युवाओं को कौशल और शिक्षा के माध्यम से सशक्त किया गया तो वे हमारे विकास की धुरी बन सकते हैं। हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में स्किल इंडिया अभियान चलाया गया है, जिसका उद्देश्य इस वर्ष के अंत तक 40 करोड़ लोगों को कौशल और ट्रेनिंग देना है। अब यह जिम्मेदारी हमारे ऊपर है कि हम अपने युवाओं के लिए एक ऐसा वातावरण तैयार कर के दें जिसमें उनकी प्रगति हो और वे देश के भविष्य में बेहतरीन रूप से योगदान देने में सक्षम हों। भारत को कौशल, पैमाने और गति द्वारा संचालित विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी मैनुफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित किया जाए, इस कार्य पर भारत सरकार का विशेष जोर है।
इस उद्देश्य से सरकार, देश में फैले डेडिकेटेड फ्रेट और औद्योगिक गलियारों के साथ, विश्व-स्तरीय निवेश और औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना कर रही है। इसके अलावा, वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए, सरकार प्रक्रियाओं को सरल बना रही है और लेनदेन के समय और लागत को कम करने के लिए व्यापार के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है। इसके तहत पीएम गतिशक्ति योजना, मल्टी-मोडल दृष्टिकोण के तालमेल से लाभ ग्रहण करने के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए बड़े सार्वजनिक निवेश का मार्गदर्शन करेगी।
हालाँकि, हम नैतिक शून्यता में नहीं रह रहे हैं। दुनिया कोविड -11 के परिणामों और वैश्विक अनिश्चितता की स्थिति से जूझ रही है जिसने अंतरराष्ट्रीय वातावरण को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक दूरदर्शी आर्थिक दृष्टिकोण की शुरुआत की है, जिसका मुख्य उद्देश्य महामारी से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों से निपटना और हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती देना है। अभियान के तहत प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए लगभग 270 बिलियन अमरीकी डालर (20 लाख करोड़ रुपये) के प्रोत्साहन पैकेज का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त वेग देना और देश के कमजोर तबके को एक सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। महामारी की पूरी अवधि में, सरकार ने हमारे 80 करोड़ नागरिकों को लगातार खाद्य सहायता प्रदान की है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा, आत्मानिर्भर भारत पांच स्तंभों पर खड़ा हैः अर्थव्यवस्था, आधारभूत संरचना, प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित हमारी प्रणाली, जनसांख्यिकी, और मांग। आत्मनिर्भर भारत की सफलता, इन पांचों स्तंभों के सुचारु एकीकरण और इन्हें आत्मसात करने पर ही मुख्य तौर पर निर्भर करती है।
भारत की उम्मीद केवल भौतिक विकास की नहीं हैं। भारत ने एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय प्रणाली विकसित करने में रचनात्मक भूमिका निभाई है जो मानव-केंद्रित है। हमने अपनी प्रगति के जटिल सफर के अनुभवों को साझा करने के लिए पार्टनर देशों के साथ मिलकर काम किया है। हमने प्रशांत से अटलांटिक तक फैले भौगोलिक क्षेत्र में मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियान चलाए हैं। हमने कोरोना महामारी के दौरान अपने कई मित्र देशों और सहभागी देशों की सहायता की है। भारत ने अपनी सुरक्षा का साया हमेशा उपलब्ध कराया है।
महामारी की शुरुआती चरण से ही, भारत अपने अनुभव, विशेषज्ञता और संसाधनों को वैश्विक समुदाय के साथ साझा करने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में भारत कोविड-11 की आपदा को अवसर में बदलने में सक्षम हुआ। कोविड -11 महामारी पर चर्चा के लिए सऊदी अरब द्वारा बुलाई गई G-20 के असाधारण शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया कि कोविड की आपदा ने अंतरराष्ट्रीय प्रणालियों की कमियों को सामने लाया है। आर्थिक प्रगति के विशुद्ध अजेंडा के बजाए, पीएम मोदी ने कोविड के बाद की दुनिया में निष्पक्षता, समानता और मानवीय मूल्यों को रेखांकित करती मानव-केंद्रित वैश्वीकरण की नई अवधारणा का आह्वान किया। मानवता को वैश्विक समृद्धि और सहयोग के केंद्र में रखने के प्रधानमंत्री के इस दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत ने स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध कराने का कार्य तीव्रता से किया।
भारत दुनिया भर के देशों को दवाईयों और कोविड टीकों की आपूर्ति करके दुनिया की फार्मेसी के रूप में अपनी प्रतिष्ठा पर कायम रहा। अपने इस प्रयास में देश ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री की भारत-निर्मित वैक्सीन को किफायती बनाने और संपूर्ण मानवता तक इसकी पहुंच सुलभ बनाने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा किया।
हम प्रधानमंत्री के एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य की धारणा को मानते हैं। हमने अपने पड़ोसी देशों के लिए क्लिनिकल परीक्षण और क्लिनिकल प्रैक्टिसेज में क्षमता विकसित करने के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए हैं।
पिछले एक दशक में भारत की दो-तिहाई से अधिक ऋण सहायता अफ्रीकी देशों को प्रदान की गई है। भारत दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका और अन्य विकासशील क्षेत्रों के देशों को बुनियादी ढांचे के विकास और संस्था निर्माण के लिए सहायता प्रदान करता है। भारत हर वर्ष विकास सम्बन्धित साझेदारी गतिविधियों पर तकरीबन 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक खर्च करता है। अपने तकनीकी सहायता कार्यक्रमों के जरिए, भारत ने 47 संस्थानों द्वारा संचालित विविध विषयों में 161 देशों के लगभग 10,000 व्यक्तियों को सालाना प्रशिक्षण के अवसर प्रदान किए हैं। इसके अतिरिक्त, भारत अन्य विकासशील देशों के छात्रों को 2,300 छात्रवृत्तियां भी प्रदान करता है। भारत अपने साथी विकासशील देशों को जो कुछ सहायता प्रदान करता है, उसमें अपनी क्षमताओं को साझा करना और आपदा-जोखिम में कमी के लिए रिमोट-सेंसिंग और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों जैसे उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में क्षमता-निर्माण समर्थन भी शामिल है।
प्रधानमंत्री ने कोविड के बाद की दुनिया में मानव कल्याण पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए वैश्वीकरण को फिर से उन्मुख करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री जी ने भारत द्वारा प्रारंभ किए गए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन या आपदा-प्रतिरोधी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए गठबंधन जैसे महत्वपूर्ण योजनाओं को रेखांकित करते हुए बताया कि इन योजनाओं का मानव-केन्द्रित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था तैयार करने में अहम योगदान है।
प्रधान मंत्री ने अगले 25 वर्षों को भारत 75 से भारत 100 तक संदर्भित किया है, जिसे 100वीं वर्षगांठ तक अमृत काल कहा जाएगा। यह भारत के 130 करोड़ लोगों के सामूहिक प्रयासों का समय है ताकि भारत अपनी पूरी क्षमता का उपयोग देश के समग्र विकास के लिए कर सके।
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस पर नागरिकों के दिए संदेश में भारत की लोकतांत्रिक साख पर बात करते हुए पीएम मोदी के इस दृष्टिकोण को दोहराया। उन्होंने भारत के समृद्ध लोकतंत्र की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र ने मौजूदा दौर में न केवल अपनी जड़े मिट्टी में जमार्इं, बल्कि उन जड़ों को समृद्ध भी किया है। भारत एक जीवंत और लचीला लोकतंत्र है जो अमृत काल में प्रवेश करते ही अगले 25 वर्षों में अपनी विकास की गाथा को र्स्वण अक्षरो में अंकित करेगा।
भारत आज दुनिया के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक, G20 की अध्यक्षता करने के लिए तैयार है, हम उदाहरण से नेतृत्व करना चाहते हैं। भारत ने न केवल कोविड -11 महामारी और अन्य चुनौतीपूर्ण कठिनाइयों का सामना करने के लिए अपना लचीलापन साबित किया है, बल्कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूत और बेहतर तरीके से तैयार हुआ है। इस प्रक्रिया में भारत एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था विकसित करने में रचनात्मक भूमिका निभाता रहेगा जो मानव केंद्रित हो। हम न केवल वसुधैव कुटुम्बकम में विश्वास करते हैं बल्कि निष्काम कर्म यानी सही कार्य को करने के सिद्धांत में भी हमारा विश्वास अटल है।
(लेखक भारत के पूर्व विदेश सचिव और वर्तमान में जी-20 के चीफ कोर्डिनेटर हैं)