भारतीय त्योहारों की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि एक ओर यह पारस्परिकता के भाव को तो बढ़ाते ही हैं साथ ही ये गहरे तौर पर जीवन से जुड़े होते हैं। दीपावली से सुंदर इसका उदाहरण और क्या होगा। रोशनी का यह पर्व जहाँ प्रसन्नता का प्रतीक है वहीं यह लोक समृद्धि की धारणा से भी जुड़ा है। भारतीय परंपरा में व्यावसायिक बही-खाते का भी इस दिन निपटान किया जाता है। ऐसे में इस दीपावली को देखें तो जहाँ वैश्विक रूप से आर्थिक खुशहाली पर धुंधलका छाया है वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था उत्साह और उम्मीद की रोशनी से जगमगा रहा है। कोविड महामारी के कारण आई भारी सुस्ती के बाद भी लगभग सभी आर्थिक क्षेत्र शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं और एक बेहतर आर्थिक स्थिति में हैं।
कुछ वैश्विक उदाहरणों की चर्चा करें तो यूरोप की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। रूस-यूक्रेन युद्ध ने इस संकट को और गहरा कर दिया। ऊर्जा संकट से लेकर खाद्य मुद्रास्फीति से जूझ रही यूरोप की अर्थव्यवस्था लगातार खराब हो रही है और इसलिये ही तमाम आर्थिक सूचकांकों में यह प्रतिध्वनित भी हो रहा। खासकर ब्रिटेन की बात करें तो वहाँ की आर्थिक अस्थिरता ने तो राजनीतिक भूचाल ही ला दिया है। डॉलर की तुलना में पाउंड लगातार कमजोर हो रहा है। इसी प्रकार अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी अपेक्षाकृत धीमी रफ्तार से चल रही है जिस कारण विशेषज्ञ आर्थिक मंदी तक की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। वहीं अगर पड़ोसी देश की बात करें तो कोविड के बाद श्रीलंका आर्थिक रूप से दिवालिया हो गया। पाकिस्तान का खस्ताहाल तो किसी से छिपा नहीं है। किंतु इसी दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था ने उत्साहजनक प्रदर्शन किया है।
कुछ साल पहले तक भारतीय वैश्विक अर्थव्यवस्था की सूची में शुरुआती दस देशों में भी नहीं आता था और आज यह शीर्ष 5 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गई है। इतना ही नहीं आने वाले एक दशक में इसके तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने की बात कही जा रही है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। खासकर तब जब इस विशाल जनसंख्या वाले देश में कोविड प्रबंधन में ढेर सारे संसाधन का निवेश हुआ। इसी प्रकार यद्यपि कुछ रेटिंग एजेंसी ने विकास दर के कम होने का अनुमान ज़रूर व्यक्त किया लेकिन यह भी विश्व के शीर्ष देशों की समृद्धि से अधिक ही है। इसके अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में एक और बात जो गौर करने वाली है वो है स्टार्ट अप्स की स्थिति। दरअसल किसी भी अर्थव्यवस्था के मूल्यांकन का एक तरीका यह भी होता है वहाँ आर्थिक जोखिम लेने की प्रवृत्ति कितनी सघन है और उद्यमिता को लेकर कितना सकारात्मक परिवेश है। ऐसा इसलिये क्योंकि एक खराब आर्थिक वातावरण में जोखिम लेने की प्रवृत्ति नहीं देखी जाती और लोग सुरक्षित निवेश पर दाँव खेलते हैं। अब अगर भारत की स्थिति देखें तो यह स्टार्ट अप इकोसिस्टम में दुनिया भर में तीसरा स्थान रखता है। अर्थात् अर्थव्यवस्था इतनी आशावान है कि उद्यमी जोखिम लेने से हिचक नहीं रहे। इसी कड़ी में यह जोडऩा भी उचित होगा कि यूनिकॉर्न कंपनी के मामले में भी भारत तीसरा स्थान रखता है। यूनिकॉर्न से तात्पर्य 1 बिलियन डॉलर की कंपनी से है। फ़लिहाल भारत में सौ से भी अधिक यूनिकॉर्न कंपनियाँ हैं और जिनमें बीस से अधिक तो केवल 2022 में इस स्थिति में पहुँचे हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि आर्थिक दिवाली वर्ष की शुरुआत से ही रही है। साथ ही जोखिम लेने की प्रवृत्ति में यह कहना भी ज़रूरी ही है कि न केवल उद्यमी बल्कि आम नागरिक भी काफी उदारता का परिचय दे रहे हैं। यही वजह है कि नए डी-मैट खातों की संख्या अचानक तेजी से बढ़ी है और लोग अधिक निवेश की चाहत में शेयर मार्केट की ओर देखने लगे हैं।
अब अगर कुछ परंपरागत क्षेत्रकों की बात करें तो यद्यपि विनिर्माण क्षेत्र कोविड और फिर वैश्विक सुस्ती से प्रभावित दिखा है लेकिन क्रमशः यहाँ भी रौनक आने लगी है। मोटर वाहनों की बढत़ी मांग से यह दिखता है लोगों की क्रय क्षमता बढ़ी है। ऐसे ही रियल एस्टेट की कीमतों में उछाल कोविड दौर की मंदी छँटने का संकेत दे रही है। कृषि क्षेत्रक की बात करें तो खराब मानसून के बावजूद उत्पादन बेहतर रहा है। यूक्रेन-रूस की वजह से उत्पन्न खाद्य संकट को देखते हुए भारत ने अपने खाद्य निर्यात को सीमित किया जिससे व्यापार संतुलन जरूर थोड़ा खराब हुआ किंतु अंततः यह आंतरिक खुशहाली के लिये ही था। और इसी प्रकार अगर फॉर्मा की बात करें तो यह क्षेत्र भी लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। कहने का भाव यह है कि एक ऐसे समय में जब तमाम बड़ी और मजबूत अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है, उसी समय भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी समृद्धि की राह पर सरपट दौड़ रही है। इस दीपावली यह और रौशन हो इसी कामना के साथ आप सभी पाठकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ। आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आए, यही शुभेच्छा है।
किसने सोचा था कि आज से 125 साल पहले, 1897 में उद्योग की राह में अवसर तलाशने वाले दो भाई अर्देशिर गोदरेज और पिरोजशा बुर्जोर्जी गोदरेज, दुनिया के लिए बड़े आविष्कार ही नहीं बल्कि रोजमर्रा के लिए जरूरी सामानों का संदूक खोल रहे हैं। आज उन्हीं गोदरेज परिवार के वंशज, गोदरेज कंपनी को अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड बना चुके हैं। कंपनी ने अलमीरा, ताला-चाबी जैसे उपभोक्ता वस्तुओं, रियल एस्टेट, उपकरण, कृषि और कई अन्य व्यवसायों में वैश्विक स्तर पर अरबों उपभोक्ताओं का विश्वास जीता है। इनकी सहायक और सम्बद्ध कंपनियों में गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज एग्रोवेट, गोदरेज प्रॉपर्टीज समेत निजी होल्डिंग कंपनी गोदरेज एंड बॉयस शामिल है।
इस सूची में शामिल गोदरेज कंपनी की गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड (र्उींन्न्थ्), पशु चारा और कृषि व्यवसाय क्षेत्र में अग्रणी है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2012-13 में 3100 करोडव़ा कारोबार किया था। गोदरेज एग्रोवेट के इस आंकड़े से कंपनी के सफल व्यवसाय का अंदाजा लगा सकते हैं। नादिर गोदरेज कंपनी के चेयरमैन हैं, वहीं गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) ने हाल ही में बुर्जिस गोदरेज को कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया है। बोर्ड ने बुर्जिस गोदरेज को 5 साल कि अवधि के लिए नियुक्त किया है, जिसके तहत उनकी कार्यावधि 1 नवंबर 2022 से शुरू होगी जो कि 31 अक्टूबर 2027 तक प्रभावी होगा। वर्तमान की बात करें तो इस वक्त बुर्जिस, गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड में विशेष परियोजनाओं के प्रमुख हैं, जहां वे नई योजनाओं और नए व्यवसाय विकास के लिए (र्उींन्न्थ्) के विभिन्न प्रभागों के बीच परियोजनाओं के समन्वय संभालते हैं।
र्उींन्न्थ्, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन का हिस्सा है जो तिलहन से संबंधित उत्पादन और विनिर्माण में सुधार के लिए नीतियों पर काम करता है। कंपनी के पास पाम ऑयल के लिए सरकार के साथ एक निजी सार्वजनिक भागीदारी मॉडल है।
बुर्जिस गोदरेज स्वभाव से शांत प्रवृत्ति के हैं लेकिन कारोबार के प्रति उनकी पूरी निष्ठा है। वो जो भी काम हाथ में लेते हैं, उसमें अपना 100 प्रतिशत योगदान देते हैं। यही वजह है कि अब तक जहां भी बुर्जिस ने काम किया है, वहां अपने वर्टिकल या सेक्टर को सफलता की नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काम किया है। अपने पिता नादिर गोदरेज से बिजनेस की शुरुआती समझ लेने के बाद बुर्जिस ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से 2021 में श्र्ीँं की पढ़ाई की।
गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड को कृषि उद्योग के क्षेत्र में सबसे आगे बनाने में बुर्जिस गोदरेज का काफी योगदान रहा है। बुर्जिस की दूरदृष्टि और रणनीति के आगे अन्य कंपनियां पीछे रह गयीं। बुर्जिस ने 2017 में र्उींन्न्थ् जॉइन किया था जिसमें उन्हें रणनीति प्रभाग में नए उत्पाद विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यहां उनके तहत अनुसंधान और विकास गतिविधियां र्(ीं), उत्पाद की गुणवत्ता, नए उत्पादों के परीक्षण और बाहरी संगठनों के साथ नई योजनाओं पर काम करना था। र्उींन्न्थ् में शामिल होने से पहले बुर्जिस गोदरेज, किसानों को सॉफ्टवेयर प्रदान करने वाली कंपनी 9कंजर्विस कॉर्पोरेशन“ के लिए काम करते थे। यहां सॉफ्टवेयर के कार्यान्वयन, कस्टमर सक्सेस, पानी की क्वालिटी चेक करना और सेल्स में उन्नति की जिम्मेदारियां बुर्जिस गोदरेज पर थीं।
सेल्स, क्वालिटी, नए विचारों का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन, कस्टमर को सही उत्पाद बेचना और कस्टमर के साथ ही कंपनी के फायदे पर काम करना, व्यापार के इन रणनीतियों के साथ बुर्जिस गोदरेज ने कम समय में बड़ा अनुभव हासिल किया। इस अनुभव को गोदरेज एग्रोवेट की सफलता में सुनिश्चित किया। बिना नुकसान, कारोबार में कैसे कारोबारी और ग्राहक को कैसे संतुष्ट रखना है, ये बुर्जिस गोदरेज ने अपने काम के जरिए समझाया है। अपने पुश्तैनी व्यापार को अब बुर्जिस आगे भी ऐसे ही दिन दोगुनी रात चौगुनी के हिसाब से आगे ले जाते नजर आ रहे हैं।
कृषि उद्योग में भारत की तरक्की और इसमें किए जाने वाले बदलाव पर बुर्जिस अपनी राय खुलकर रखते हैं। उनके अनुसार भारत में उपजाऊ मिट्टी, बारिश और मेहनती किसानों की कमी नहीं है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि भारतीय कृषि क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं। उनके अनुसार खेतों पर बढत़ी अर्थव्यवस्था के पैमानों को बढ़ाना, बीज, फसल और पशु आनुवंशिकी, कृषि रसायन जैसे कृषि-आदानों की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार, किसानों को सिंचाई, भंडारण की बेहतर सुविधा प्रदान करना और किसानों को सही भुगतान करने वाले बाजार प्रदान करना जरूरी है।
बुर्जिस गोदरेज ने भारत के डेयरी प्रोडक्ट के व्यापार को बढ़ाने पर भी जोर दिया। उनका कहना है कि भारत में डेयरी फार्मों का विखंडन एक बड़ी समस्या है। डेयरी फार्म छोटे हैं और प्रति गाय दुग्ध उत्पादन अन्य देशों की तुलना में कम है। बड़े डेयरी फार्मों को बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है। मवेशियों के लिए आनुवंशिक सुधार पर काम करना, पशु स्वास्थ्य और पोषण को बढ़ावा देने से डेयरी कंपनियों को लॉजिस्टिक क्षमता पैदा करके विस्तार करने में मदद मिलेगी। ऐसा करने पर डेयरी व्यापारी कम फार्म्स से अधिक दूध प्राप्त कर, अपनी खरीद लागत को कम कर सकते हैं। इससे उनकी निश्चित लागत अधिक उत्पादन मात्रा के साथ अधिक तेज़ी से कवर हो जाएगी और उन्हें अधिक आय मिलेगी।
वहीं पॉजिटिव साइड देखें तो, हम वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स पर फोकस कर रहे हैं जिनमें ज्यादा मार्जिन है। इन्हें प्रतिस्पर्धा से अलग किया जा सकता है। हम उपभोक्ता की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। उन्हें क्वालिटी प्रोटीन और स्वादिष्ट पेय जो शीतल पेय की तुलना में स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं, जैसे मट्ठा प्रोटीन पेय, मेवों के स्वाद वाला दूध और घी।
कृषि और डेयरी के अलावा पशु चारा उद्योग भारत में तेजी से आगे बढ़ रहा है। अगले पांच वर्षों में इसके र्ण्ींउीं 10ज्ञ् से बढऩे की उम्मीद है। कंपनी के हिस्से में पशुओं के चारे की हिस्सेदारी करीब 49ज्ञ् है। ऐसे में कंपनी के विकास में पशु चारा उद्योग की क्या भूमिका है? इस सवाल पर बुर्जिस गोदरेज ने काफी सटीक जवाब दिया। उनके मुताबिक अनुसंधान एवं विकास प्रयासों और लागत में कमी की परियोजना की बदौलत पिछले कुछ वर्षों में पशु चारा व्यवसाय की लाभप्रदता में काफी सुधार देखने को मिला है। कच्चा माल के विकल्पों के उपयोग से पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादकता में सुधार आया है। उन्होंने पशु चारा उद्योग की तरक्की पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस वक्त हम पूरे भारत में अग्रणी फीड विक्रेता हैं और कई और राज्यों में अव्वल दर्जे का लक्ष्य साध रहे हैं। उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “हम मवेशियों के चारे और अपने डेयरी/पोल्ट्री व्यवसाय के साथ तालमेल तलाशने का प्रयास कर रहे हैं। हम ण्थ्इर्श्ीं (कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैनुफक्चरर्स एसोसिएशन) का हिस्सा हैं। भारत में उद्योग के विकास को आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ काम करते हैं। खेतों में उगाये जाने वाले फसल की तुलना में पशुपालन में कम वर्षा निर्भरता और अधिक स्थिर नकदी प्रवाह होता है।
रसायन क्षेत्र में भारत का भविष्य?
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत विशेष रसायन क्षेत्र (स्पेशलाइज्ड केमिकल सेक्टर) में अपनी हिस्सेदारी को 2026 तक 6ज्ञ् तक बढ़ा सकता है। इस पर बुर्जिस ने कहा कि कंपनियां अपनी जरूरतों के लिए चीन जैसे किसी एक देश पर निर्भर नहीं हो सकती हैं। उन्हें जोखिम कम करने और विविधता लाने की जरूरत है। भारत में पहले से ही फार्मा सशक्त है जिसे कृषि रसायनों और अन्य विशेष रसायनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। एग्रोवेट व्यवसाय एस्टेक लाइफसाइंस एंड क्रॉप प्रोटेक्शन को इनसे लाभ होगा और आने वाले वर्षों में निर्यात के अधिक अवसर मिलेंगे।
बुर्जिस गोदरेज ने कंपनी के मुनाफे का खोला राज
गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड की नेटवर्थ चार वर्षों के अंदर 1681 करोड़ रुपए से बढव़र 2689 करोड़ हो गई है। इसमें बुर्जिस गोदरेज का काफी बड़ा योगदान रहा है। कंपनी के इस मुनाफे का श्रेय बुर्जिस गोदरेज ने कंपनी के लगातार अच्छे प्रयासों को दिया। संपत्ति में निवेश, प्राथमिकता वाले क्षेत्र में होने, कंपनी के व्यवसायों में कम रिस्क, ब्रांड नाम और ींँघ् द्वारा निर्धारित पहले की कम ब्याज दर व्यवस्था के कारण सस्ते ब्याज दरों पर ऋण प्राप्त करने में कंपनी को आसानी हुई।
कंपनी बना रही आत्मनिर्भर भारतः बुर्जिस
हर साल भारत में 10 लाख टन खाद्य तेल का आयात होता है जिसमें 60ज्ञ् पाम ऑयल है, ऐसे में गोदरेज एग्रोवेट, पाम ऑयल की खेती करने वाले किसानों के साथ भागीदारी कर भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बढ़ रहा है।
अब किसानों के साथ कंपनी कैसे काम कर रही है इस पर बुर्जिस गोदरेज ने अपनी रणनीति बताई। उन्होंने किसानों और देश के हित में कंपनी के काम को विस्तार से बताते हुए कहा कि किसानों के साथ जुडकऱ कंपनी खाद्य तेल के क्षेत्र में 99आत्मनिर्भर भारत““ का लक्ष्य रखती है। विदेशी तेलों के आयात पर भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च की जाती है। भारत में अतिरिक्त गेहूं और धान है इसलिए उनमें से कुछ किसानों को तिलहन की खेती में बदलने का एक बड़ा अवसर है। इसके अलावा, भारतीय तिलहन की खेती पर्यावरण के लिए बेहतर है। र्उींन्न्थ्, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन का हिस्सा है जो तिलहन से संबंधित उत्पादन और विनिर्माण में सुधार के लिए नीतियों पर काम करता है। कंपनी के पास पाम ऑयल के लिए सरकार के साथ एक निजी सार्वजनिक भागीदारी मॉडल है। सरकार कंपनी को जमीन आवंटित करती है और पाम तेल की कीमत का फॉर्मूला तय करती है। पेडव़े अनुत्पादक प्रारंभिक वर्षों के लिए सब्सिडी है। यदि कोई किसान उस जमीन पर ताड़ का तेल उगाता है तो किसान को आवंटन के साथ कंपनी को बेचना होगा। आंध्र प्रदेश के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में भी कंपनी के तेल का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। गोदरेज एग्रोवेट की ग्रोथ पर बुर्जिस गोदरेज किससे सबसे ज्यादा संतुष्ट हैं? इस सवाल के जवाब में बुर्जिस कहते हैं कि कंपनी ने किसानों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाया है। इसके अलावा उन्होंने एग्रोवेट अम्ब्रेला के तहत अलग-अलग व्यवसायों के शुरू होने, कर्मचारियों के साथ सौहार्द और कार्य नैतिकता के तहत विकास की ओर बढऩे में कंपनी की क्षमता पर गर्व जताया। उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों की प्रशंसा करते हुए कहा, “इतने सारे कर्मचारियों ने महामारी के दौरान व्यवसाय और अन्य कर्मचारियों की देखभाल के लिए बहुत बड़ा व्यक्तिगत जोखिम उठाया। उनकी बहादुरी और करुणा की कहानियां सुनना दिल छू लेने वाला है।”
गोदरेज सोप्स से लेकर गोदरेज एग्रोवेट तक का सफर
पिछले 30 वर्षों में गोदरेज समूह ने गोदरेज सोप्स से लेकर गोदरेज एग्रोवेट तक का सफर तय किया जिसपर बुर्जिस गोदरेज ने कंपनी की संघर्ष यात्रा को याद किया। उन्होंने गोदरेज एग्रोवेट की सफलता का श्रेय अपनी चचेरी बहन निसा और अपने चचेरे भाई रणनीति प्रमुख मार्क काह्न को दिया। उन्होंने कहा कि उनके कारण 2008 में कुछ बड़े बदलाव किए गए थे। बुर्जिस गोदरेज ने कंपनी के सीईओ श्री बीएस यादव, अध्यक्ष श्री नादिर गोदरेज और बाकी टीम के साहसिक पहल को भी कंपनी की सक्सेस का अहम हिस्सा बताया। बुर्जिस ने 2017 के घ्झ्ध् पर भी रोशनी डाली। घ्झ्ध् के दौरान कंपनी के सब्सक्राइबर्स 97 गुना अधिक बढ़ गए थे और कीमत 30ज्ञ् से अधिक प्रीमियम पर शुरू हुईं थीं।
क्या है र्उींन्न्थ् की फ्यूचर प्लानिंग?
बुर्जिस गोदरेज ने भविष्य में गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड के विस्तार के प्लान पर दिल खोलकर बात की। उन्होंने कहा कि कंपनी तालमेल वाले आस-पास के क्षेत्रों में विस्तार करने और अधिग्रहण करने पर विचार कर रही है। कंपनी अपने अनुसंधान एवं विकास विभाग को और विकसित करने पर काम कर रही है। इतना ही नहीं गोदरेज एग्रोवेट, डिजिटलीकरण पर भी मजबूती से आगे बढ़ रही है। कंपनी थिंकएज का हिस्सा है जो कृषि स्टार्टअप को उद्योग के साथ सहयोग करने के लिए जोडत़ा है। इस प्रोग्राम के जरिए कंपनी बायोटेक और डिजिटल नवाचार के जरिए किसानों और उपभोक्ताओं की बदलाव की जर्नी में उनके साथ होगी।
युवाओं को कृषि से जोडऩे में जुटे बुर्जिस
कृषि प्रधान देश होने के बावजूद आज की युवा पीढ़ी खुद को इससे अलग महसूस करती है, जिसे बदलने के लिए बुर्जिस ने कंपनी के प्रयासों पर चर्चा की। उन्होंने बताया की भारत में व्यवसाय प्रेमी, आत्मविश्वासी और उत्साही युवाओं कि कमी नहीं है। उन्हें आगे बढ़ाने में गोदरेज एग्रोवेट कई अन्य फर्मों के साथ मिलकर फ्यूचर एग्रीकल्चर लीडर्स ऑफ इंडिया (र्इींथ्घ् ) नाम के एक शानदार प्रोग्राम पर काम कर रहा है। इसकी संस्थापक नैन्सी बैरी एक अमेरिकी महिला हैं जो गरीबी को हल प्रदान करने पर काम कर रही हैं। इस पर गोदरेज एग्रोवेट, महाराष्ट्र और गुजरात के युवाओं को कृषि-उद्यमी बनने के लिए प्रशिक्षित कर रही है। र्इींथ्घ् में, किसानों के बच्चे बांस से लेकर अगरबत्ती तक, गोबर से लेकर पैकेज्ड स्टीविया (चीनी विकल्प) से लेकर नवीन व्यावसायिक योजनाएं बना रहे हैं।
बुर्जिस गोदरेज ने िंएउ (पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस) पर कंपनी की प्लानिंग पर काफी कुछ बताया। सौर ऊर्जा की अहमियत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गोदरेज एग्रोवेट पूरी तरह से नवाचार के साथ काम करने पर फोकस कर रही है। कंपनी के कारखानों से प्रदूषण नियंत्रण और अपशिष्ट उपचार पर कठोर मानक हैं। लोगों को खेती और जल संरक्षण में प्रशिक्षित करने के लिए कंपनी के पास एक व्यापक सामाजिक कार्यक्रम है।
बुर्जिस गोदरेज ने भारत के डेयरी प्रोडक्ट के व्यापार को बढ़ाने पर भी जोर दिया। उनका कहना है कि भारत में डेयरी फार्मों का विखंडन एक बड़ी समस्या है। डेयरी फार्म छोटे हैं और प्रति गाय दुग्ध उत्पादन अन्य देशों की तुलना में कम है।
बेधडव़ बोलो, बेहिचक बोलो और बिंदास बोलो : बुर्जिस गोदरेज
बुर्जिस गोदरेज, गोदरेज कंपनी और व्यापार की दुनिया का बड़ा नाम हैं। वे एक बिजनेस लीडर ही नहीं बल्कि युवाओं की प्रेरणा भी हैं। वे प्रतिभाशाली लोगों को आगे बढऩे में हर तरह से मदद करते हैं। समाज, देश और देशवासियों के हित में बुर्जिस के इस नेक कार्य ने कइयों को सफलता की कहानियां गढऩे में साथ दिया है। लीडर के तौर पर विकास की ओर अग्रसर समाज में यह कितना जरूरी है? इस पर बुर्जिस गोदरेज ने टीम वर्क पर अपना फोकस डालते हुए अहम संदेश दिया। उन्होंने कहा, “कोई भी व्यक्ति अकेले कुछ नहीं कर सकता। एक टीम की हमेशा आवश्यकता होती है और जब आप व्यक्तिगत रूप से उनका मार्गदर्शन करते हैं और उनकी क्षमताओं का विकास करते हैं तो लोग इसकी सराहना करते हैं। मैं हमेशा स्पष्ट रचनात्मक प्रतिक्रिया देने और प्राप्त करने में विश्वास करता हूं। विशिष्ट, सीमित मात्रा में, जिस पर काम किया जा सके, परिणाम मिले, समयबद्ध, लेकिन जो भी प्रतिक्रिया दें विनम्रता और ईमानदारी से दें! गोदरेज में हम अनुक्रम हटाना पसंद करते हैं और लोगों को कंपनी के अंदर समस्याओं को हल करने के बारे में अपने मन की बात कहने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। 9बेधडक़ बोलो, बेहिचक बोलो और बिंदास बोलो!“