मणिपुर में जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब से शायद ही प्रदेश के किसी हिस्से में बंद, हड़ताल, नाकेबंदी जैसे शब्द कभी सुनाई दिये हों।
भारत की संस्कृति जितनी वैविध्यपूर्ण है, उतना ही इसका भूगोल भी। कई बार तो भूगोल की यह सीमा इस हद तक विस्तारित नजर आती है कि दो दिशाओं के बीच समन्वय बना पाना मुश्किल हो जाता है। भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों का इतिहास ऐसा ही जटिल और उलझा रहा है। चाहे असम में जातीयता और प्रवासन से जुड़ी चुनौती हो या फिर नागालैंड की स्वायत्तता का या फिर मणिपुर-मेघालय में उग्रवादी मांगों की दीर्घजीविता का, इस क्षेत्र का भूगोल लंबे समय तक अशांत रहा है। अरुणाचल भी इसका अपवाद नहीं है। खासकर चीनी हस्तक्षेप के कारण यह क्षेत्र और तनावपूर्ण बना रहता है। साथ ही कहीं-कहीं अफ्स्पा के कारण भी गतिरोध बनता रहा है। इतनी सघन चुनौती वाले क्षेत्र में किसी भी सरकार के लिए शांति स्थापना एक गंभीर चुनौती है। लेकिन, जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है, तब से इस ओर विशेष ध्यान दिया गया है। यह कोई संयोग नहीं है कि लंबे समय से चल रहे नगा विवाद इस हद तक सुलझ गया कि समझौते की शर्तों के प्रति परस्पर सहमति बन गई। इतना ही नहीं अन्य राज्यों के साथ भी केंद्र सरकार ने स्थानीय संस्कृति और स्वायत्तता से छेड़ छाड़ किये बिना उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे में सफलता पाई है। और इसलिये ही अशांत कहा जाने वाला यह क्षेत्र आज शांतिपूर्ण समाज के रूप में व्याप्त है। इन सबके मूल में विकास कार्यों की पहुँच है। मणिपुर के विशेष संदर्भ में इसे देखना दिलचस्प होगा।
महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी रानी गैदिनल्यू की जन्मभूमि मणिपुर पूर्वोत्तर भारत में खूबसूरत पहाड़ियों और झीलों के बीच अवस्थित है। अपने सदाबहार प्राकृतिक नजारों के लिए आभूषणों की भूमि के नाम से जाना जाने वाला मणिपुर २१ जनवरी १९७२ से एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से २०१७ तक राजनैतिक अस्थिरता, उग्रवाद, क्षेत्रीय संघर्ष के लिए ही जाना जाता रहा। केंद्र व राज्य में भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के पहले पूर्ववर्तियों ने मणिपुर की सत्ता पर किसी तरह बने रहने के लिए मणिपुर को क्षेत्रीय संघर्षों की आग में झोंके रखा नतीजतन, ऊर्जावान मानवीय क्षमताओं और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य दिन-ब-दिन गरीबी के कुचक्र में फंसता चला गया और लोग पलायन करने को मजबूर हो गए।
मणिपुर के लिए हताशा से भरे उस दौर की समाप्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्तासीन होने के साथ ही शुरू हो जाता है। २०१४ में सत्ता संभालने के साथ ही पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय का कमान अपने हाथों में लेकर माननीय प्रधानमंत्री जी ने पूर्वोत्तर राज्यों के विकास के लिए एक्ट ईस्ट की नीति को अपनाया, जिसका प्रत्यक्ष सकारात्मक प्रभाव सभी के सामने है कि पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे अधिक उग्रवाद और हिंसा से प्रभावित मणिपुर अब विकास की नयी इबारत लिख रहा है। मणिपुर की ऊंची-ऊंची नीली पहाड़ियों में जहाँ कभी सिर्फ गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई पड़ती थी, वहाँ अब पक्षियों की मधुर स्वर लहरियों की गूंज सुनाई देती है, घाटी के बड़े-बड़े घास के मैदान जो उग्रवादियों का बसेरा मात्र था वो अब सैलानियों का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है। और सबसे बड़ी बात कि पिछले पाँच वर्षों से मणिपुर में एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की स्थिर सरकार भी है, जिसे वहाँ की जनता ने ही मोदी जी के लोकतांत्रिक नीतियों में विश्वास व्यक्त कर चुना भी है। शांति एवं प्रगति की राह पर अग्रसर मणिपुर की मासूम जनता पूर्ववर्ती सरकारों के उग्रवाद को पोषित करने वाली नीतियों को याद करके ही सहम जाती है कि तुच्छ राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए कुछ राजनीतिक दलों ने किस तरह से वर्षों तक उनकी कई पीढ़ियों को विकास से कोसों दूर रखा।
जिस मोइरांग की पावन भूमि से नेताजी सुभाषचंद्र चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने भारत वर्ष में प्रवेश कर तिरंगा फहराया और अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया वो आजादी के ७५ वर्षों के बाद भी सड़क, बिजली, पानी,अस्पताल,विद्यालय, संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रही। मणिपुर के लोगों की सबसे बड़ी समस्या स्वच्छ पेयजल के उपलब्धता की थी। दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच विशेषकर ग्रामीण इलाकों में साफ पीने के पानी के व्यवस्था में लोगों का पूरा दिन निकल जाता था। इस राज्यव्यापी समस्या के समाधान हेतु जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के द्वारा की गई। जल जीवन मिशन योजना के तहत स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति हर घर तक सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया। ये जलापूर्ति निर्बाध रूप से होती रहे इसके लिए २८० करोड़ की लागत से थाउबेल बहुउद्देश्यीय परियोजना मणिपुर राज्य को समर्पित किया गया। इससे इम्फाल ईस्ट एवं इम्फाल वेस्ट जिलों में स्वच्छ पेयजल की समस्या पूर्णतः समाप्त हो गयी। वहीं ६५ करोड़ की लागत से तोमंगलोंग जिले में और ५८ करोड़ की लागत से सेनापति जिले में भी पेयजल के परियोजनाओं की शुरुआत की गयी। इन परियोजनाओं के शुरू होने के पहले मणिपुर में मात्र ६ प्रतिशत घरों तक पेयजल की आपूर्ति हो पाती थी और आज जल जीवन मिशन योजना के तहत ७० प्रतिशत घरों में चौबीसों घण्टे स्वच्छ पेयजलापूर्ति सुनिश्चित किया जा चुका है। जल्द ही शत प्रतिशत आबादी तक स्वच्छ पेयजल की पहुँच हो जाएगी।
मणिपुर पहले देश के उन क्षेत्रों में शुमार था जहाँ सड़क मार्ग से पहुँच साल के बारहों महीने तक सम्भव नहीं था और इस गंभीर समस्या से अभिशप्त मणिपुरवासियों को निजात दिलाने के लिए डबल इंजन की भाजपा सरकार द्वारा एनएच ३७ पर पड़ने वाली बराक नदी पर ७५ करोड़ की लागत से इस्पात पुल का निर्माण किया गया। यह मणिपुर की राजधानी इम्फाल को असम के सिलचर से जोड़कर ऑल वेदर कनेक्टिविटी प्रदान करता है। साथ ही प्रदेश में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा ४१४८ करोड़ रुपये की लागत से २९८ किलोमीटर लम्बाई वाले राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है, जो मणिपुर को देश के बाकी हिस्सों के साथ हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। वहीं इन्हीं परियोजनाओं के अंतर्गत भारत के प्रवेश द्वार के तौर पर निर्मित हो रहे इम्फ़ाल-मौरे हाइवे यानी एशियन हाईवे वन का निर्माण कार्य भी अत्यंत तेजी से चल रहा है। ये हाइवे जहाँ साउथ ईस्ट एशिया से भारत की कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा वहीं इसके चालू होते ही मणिपुर देश भर में व्यापार और निर्यात के प्रमुख स्थान के रूप में जाना जायेगा, जो मणिपुर के सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
एक समय मणिपुर के लोगों के लिए ब्रॉडगेज रेल किसी सपने से कम नहीं था, लेकिन २०१४ में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से पूर्वोत्तर विकास रेलवे के द्वारा मणिपुर को देश ब्रॉडगेज रेलवे नेटवर्क से जोड़ने का काम शुरू कर दिया गया और दो साल के भीतर ही असम के सिलचर से मणिपुर के जिरिबाम के बीच ही इस बहुप्रतीक्षित परियोजना को पूरा कर लिया गया। २७ मई, २०१६ को प्रधानमंत्री जी के द्वारा पहली
ब्रॉडगेज पैसेंजर ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गयी। जल्द ही मणिपुर की राजधानी इम्फाल भी देश के रेल नेटवर्क से जुड़ने जा रहा है जिसके लिए लगभग १३००० करोड़ की लागत से १११ किलोमीटर लंबे जिरिबाम-तुपुल-इंफाल रेललाइन का निर्माण कार्य लगभग पूरा ही होने वाला है, जिसमें दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल(१४१मीटर) भी बनाया जा रहा है। जिरिबाम -इम्फाल रेलवे परियोजना प्रधानमंत्री मोदी की सबसे महत्वकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। भविष्य में इस योजना का विस्तार पड़ोसी देश म्याँमार तक किया जाना प्रस्तावित है, जिससे मणिपुर को अंतरराष्ट्रीय एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित कर आत्मनिर्भर भारत को और अधिक मजबूत किया जा सके।
तकनीक के इस युग में किसी राज्य को विकास के पथ पर आगे बढ़ने के लिए वहाँ बेहतर संचार व्यवस्था का होना अत्यंत आवश्यक है, जिससे कि मणिपुर काफी समय तक अछूता ही रहा। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए उसके प्रत्येक हिस्से तक सुपर कनेक्टिविटी वाले इंटरनेट व्यवस्था का होना अत्यंत आवश्यक है, इसे ही आधार मानकर मणिपुर की दुर्गम पहाड़ियों के बीच भी बेहतरीन इंटरनेट और
कॉलिंग की व्यवस्था के लिए प्रधानमंत्री जी ने ११०० करोड़ की लागत से २३५० मोबाइल टावरों की आधारशिला रखी है। कॉमनवेल्थ गेम्स से लेकर ओलंपिक तक भारत के तिरंगे झंडे का मान बढ़ाने वाली बेटियों कुंजरानी, मैरीकॉम ,मीराबाई चानू की उर्वर भूमि का नाम मणिपुर है, जिन पर पूरा देश गर्व महसूस करता है। इन खिलाड़ियों से सीखने और खेल के क्षेत्र में बेहतर प्रशिक्षण देकर नई-नई प्रतिभाओं को तराशने के लिए मणिपुर में देश के पहले आधुनिक स्पोट्र्स यूनिवर्सिटी की स्थापना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा की गयी है। अपने आबादी के अनुपात में सर्वाधिक खेल बजट पूरे देश भर में मणिपुर राज्य का है जिसका श्रेय मुख्यमंत्री एन बीरेंद्र सिंह की सरकार को जाता है, जिन्होंने राज्य का खेल बजट का आकार बढ़ाकर १०० करोड़ रुपये का कर दिया, जिससे राज्य में खेल के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं का विकास हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरे देश में चलाई जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं से मणिपुर निवासियों को भी काफी राहत मिली है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि राज्य में ६ लाख परिवारों को पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त खाद्यान्न सुविधा का लाभ मिल रहा है ,वहीं उज्ज्वला योजना के तहत डेढ़ लाख परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन भी दिया जा चुका है। साथ ही राज्य के गरीबों को पक्के मकान की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लगभग ८० हजार घरों के निर्माण की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है। मोदी जी के स्वस्थ भारत मिशन के तहत संचालित आयुष्मान भारत योजना से अभी तक साढ़े चार लाख लोग मणिपुर में लाभान्वित हो चुके हैं।
ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत का आह्वान और उनके द्वारा किये गये पूर्वोत्तर भारत के विकास का संकल्पित प्रयास ही है कि मणिपुर के लाखों भटके नौजवान हिंसा और अलगाव की राह को छोड़ शांति और एकजुटता के मार्ग पर चल विकासशील से विकसित भारत के निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर रहे हैं। वहीं मणिपुर में जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब से शायद ही प्रदेश के किसी हिस्से में बंद, हड़ताल,नाकेबंदी जैसे शब्द कभी सुनाई दिया हो। ब्लॉक्ड स्टेट की नकारात्मक छवि से बाहर आकर मणिपुर वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय व्यापार का मार्ग प्रशस्त करने वाला राज्य बन चुका है।