टीकाकरण की रफ़्तार बढ़ाने की जरूरत है

0
1714

भारत में भले ही कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इसने दस्तक दे दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुखिया टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस की मानें तो कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर अपने शुरुआती दौर में है। दुनिया भर में कोरोना केसों और मौतों के आंक़डे एक बार फिर से ब़ढने को तैयार हैं। जुलाई, २०२१ में जारी किये गए एसबीआई की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर अगस्त में आने की संभावना है। एसबीआई रिसर्च द्वारा प्रकाशित “कोविड – 19: द रेस टू फिनिशिंग लाइन” शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि टीकाकरण ही बचाव का एकमात्र विकल्प है।

टीकाकारण की प्रकिया को सरल बनाने में भारत ने पूरी दुनिया में सबसे अच्छा काम किया है। कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने तथा टीकों की उपलब्धता पता करने से लेकर डिजिटल वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने तक की पूरी प्रक्रिया को बेहद आसान बनाया गया है। जबकि,कई आधुनिक और समÀद्ध देशों में भी यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। इतनी विशाल जनसंख्या वाले देश में प्रतिदिन लाखों वैक्सीन लगना बड़ी बात है। लेकिन, टीकाकरण के मौजूदा आंकड़े उतने पर्याप्त नहीं हैं, जितने होने चाहिए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मौजूदा आंकड़ों की मानें तो अभी तक भारत में करीब ९ करोड़ लोगों को पूरी तरह से टीका लगाया गया है, जबकि लगभग ३३.५ करोड़ लोगों को टीके की पहली खुराक मिली है, जो अमेरिका, यूके, इजराइल, स्पेन और फ्रांस जैसे अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है। अमेरिका ४७.१ प्रतिशत, यूके ४८.७ प्रतिशत, इजराइल ५९.८ प्रतिशत, स्पेन ३८.५ प्रतिशत और फ्रांस अपनी ३१.२ प्रतिशत आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज लगा चुका है।

इन देशों की तुलना में टीकाकरण की हमारी गति बहुत धीमी है। दूसरी लहर से अभी तक हम ठीक से उबर भी नहीं पाए हैं। दुनिया भर के तमाम विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर आने की चेतावनी पिछले १ महीने से दे रहे हैं और अब इस महामारी का नवीनतम वैरिएंट ‘डेल्टा प्लस” भारत के लगभग १४ राज्यों में फैल चुका है। जहाँ दुनिया के कई देशों ने अपनी ५०ज्ञ्र् आबादी को टीका लगाने में सफलता पा ली है, वहीं भारत अपनी १०ज्ञ्र् आबादी को भी अभी तक वैक्सीन के दोनों डोज नहीं लगा सका है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि तीसरी लहर आने पर हम किस स्थिति में होंगे? यदि कोरोना की तीसरी लहर आती है तो हम सब उस दौरान दवाईयां, ऑक्सीजन, बेड और आईसीयू में ही उलझे रहेंगे। कोरोना के विरुद्ध इस लड़ाई में हमारी प्रगति बाधित हो जाएगी। इसलिए, टीकाकरण की धीमी गति को तेज करने की जरूरत है। क्योंकि, टीकाकरण ही एकमात्र ऐसा विकल्प है जो हमें कोरोना से बचा सकता है।
जिन देशों में वहाँ की ७०ज्ञ्र् आबादी को टीके लग चुके हैं, वहाँ कोरोना के मामलों में भारी गिरावट देखने को मिली है। भारत में कोरोना के केस काफी हद तक कम हुए हैं लेकिन हमें जनवरी – फरवरी जैसी गलती नहीं दोहरानी चाहिए। तब हमने मान लिया था कि कोरोना से हम जीत गये हैं। लेकिन, उसके बाद जो भयावह मंज़र हमारे सामने था उसे पूरी दुनिया ने देखा। जब तक भारत में ७५ज्ञ्र् टीकाकरण नहीं हो जाता तब तक यूँ ही तीसरी, चौथी, पाँचवी लहर आने की संभावनाएँ बनी रहेंगी।

देश में प्रतिदिन ४० लाख से अधिक टीके लगाये जा रहे हैं लेकिन विशाल जनसंख्या की दृष्टि से देखें तो यह रपतार बहुत धीमी है। इसके पीछे जो सबसे बड़ा कारण है, वह यह है कि टीके की माँग के अनुरूप आपूर्ति नहीं है। कई जगहों पर स्लॉट बुक करने के बाद भी टीका नहीं लग पा रहा है क्योंकि टीकों की उपलब्धता कम है। सरकार को चाहिए कि देश में निर्मित वैक्सीनों के अलावा विदेशी वैक्सीनों की भी आपूर्ति सुनिश्चित करे ताकि किसी भी हालत में टीकाकारण को विशेष गति मिल सके। कम टीकाकरण का दूसरा महत्वपूर्ण कारण है लोगों की उदासीनता और झिझक। कोरोना केस कम होने का मतलब यह नहीं है कि हम वैक्सीन लगवाने से बचें। जब तक टीकाकरण की प्रक्रिया को तेजी से आगे नहीं बनाया जाएगा तब तक कोरोना की कई लहरों के आने की संभावनाएं बनी रहेंगी।

आलोक रंजन तिवारी