हाल ही में ग्लोबल रेटिंग फर्म ख्झ्श्उ ने एक सर्वे किया। इस सर्वे में शामिल 1325 ण्ध्िं ने अगले 12 महीनों में मंदी की आशंका जताई है। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (घ्श्इ) भी मंदी की आशंका जता चुके हैं। मंदी की आशंका के चलते और वैश्विक बाजार में आए दिन मच रही हलचल से हमारे बाजार भी उतार-चढ़ाव यानी वोलैटिलिटी के शिकार होते दिख रहे हैं। इन सभी फैक्टर के बावजूद म्यूचुअल फंड में निवेश लगातार बढ़ रहा है।र् ींश्इघ् यानी एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के सितंबर के ही आंकड़े देखें तो इस दौरान एघ्झ् के जरिए निवेश में काफी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। सितंबर में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों केर् ींळश् यानी एसेट अंडर मैनेजमेंट में एघ्झ् लिंक्ड फंड्स की हिस्सेदारी रिकॉर्ड 16 फीसदी बढ़ी है। सिंतबर एघ्झ् के जरिए 12,980 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
आंकड़ों से साफ नजर आ रहा है कि लोगों का म्यूचुअल फंड पर भरोसा बढ़ रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या मंदी की आशंकाओं के चलते निवेश रोक देना चाहिए? आने वाले दिनों में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का भविष्य किस ओर जाएगा? जब पूरी दुनिया मंदी को लेकर घबराई है तब भारत की ग्रोथ स्टोरी कितनी मजबूत है? और इस वोलेटाइल बाजार में निवेश रणनीति क्या हो? इन सभी सवालों का जवाब एँघ् म्यूचुअल फंड के मैनेजिंग डायरेक्टर और ण्ध्िं विनय टोंसे देते हैं।
सितंबरः एघ्झ् पर भरोसा
- सितंबर में रिकॉर्ड स्तर का एघ्झ् निवेश आया
- महीने-दर-महीने की दर से एघ्झ् इनफ्लो 2 ज्ञ् बढ़ा
- सितंबर में एघ्झ् के जरिए ‘12,980 करोड़ निवेश
- एघ्झ् खातों की संख्या 5.83 करोड़ हुई
- अगस्त में 5.71 करोड़ एघ्झ् खाते थे
म्यूचुअल फंड की नब्ज समझने वाले टोंसे
इससे पहले कि हम विनय टोंसे के जवाबों की तरफ बढ़ें। जरूरी है कि आप विनय टोंसे को भी जानें। निवेश और इक्विटी मार्केट की गहरी समझ रखने वाले विनय टोंसे एँघ् फंड्स मैनेजमेंट के श् और ण्ध्िं होने के साथ ही एँघ् के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं। बैंकिंग और इक्विटी को लेकर जब भी बात आती है तो इसमें विनय टोंसे का हाथ कोई नहीं पकड़ सकता। 1988 में एँघ् के साथ एक प्रोबेशनरी ऑफिसर के तौर पर करियर की शुरुआत की। एँघ् के साथ 32 साल के अपने करियर के दौरान टोंसे अलग-अलग पड़ावों पर देश के साथ ही विदेश में भी कई अहम पदों पर रहे। उन्होंने इस दौरान बैंकिंग ऑपरेशंस, रिटेल बैंकिंग, श्एश्िं सेक्टर, इंटरनेशनल बैंकिंग ऑपरेशन, ट्रेजरी ऑपरेशन, इक्विटी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, प्राइवेट इक्विटी समेत कई सेक्टर को मैनेज किया। विनय टोंसे की लीडरशिप में एँघ् म्यूचुअल फंड ने महज 2 साल के भीतर 2 लाख करोड़ कार् ींळश् जोड़ा। इसमें से एक लाख करोड़ मात्र 6 महीने के भीतर आया। एँघ् म्यूचुअल फंड ने ये कारनामा तब किया, जब दुनिया कोरोना जैसी महामारी की चपेट में थी। टोंसे के नेतृत्व में एँघ् म्यूचुअल फंड लगातार कॉम्पिटीशन से बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
बाजार में उथल–पुथल पर विनय टोंसे
अब लौटते हैं बाजार में उथल-पुथल पर विनय टोंसे के नजरिए पर। विनय टोंसे के मुताबिक बाजार में अभी जो मौजूदा वोलेटिलिटी है, उसकी कई वजहें है। वैश्विक स्तर पर हो चाहे भारत में, केंद्रीय बैंकों के ब्याज दरें बढ़ाने का असर भी बाजार पर दिख रहा है। अक्टूबर 2021 से अब तक, बाजार में 10% से ज्यादा की वोलेटिलिटी तीन बार से ज्यादा आ चुकी है। विनय टोंसे कहते हैं कि ये वोलेटिलिटी शायदा कई निवेशकों के लिए चिंता में डालने वाली हो लेकिन इसे निवेश के अवसर के तौर पर भी बदला जा सकता है। वो कहते हैं कि निवेशकों के पास अभी 2021 के प्राइस पर इक्विटी खरीदने का मौका है तो वहीं, बढ़ी ब्याज दरों का फायदा डेट निवेश में लिया जा सकता है। टोंसे कहते हैं कि बढ़ी ब्याज दरों के चलते अभी वित्तीय लक्ष्यों के लिए मीडियम से लॉन्ग टर्म डेट म्यूचु्अल फंड में निवेश का अच्छा मौका है। टोंसे के अनुसार ये वोलैटिलिटी अनुशासित निवेशक को प्रभावित नहीं करेगी। उनके मुताबिक जो निवेशक सालों से अनुशासन के साथ निवेश कर रहा है, वो बाजार में इस तरह के कई उतार-चढ़ाव देख चुका है। ऐसे निवेशकों को पता है कि उनका एसेट एलोकेशन इस उतार-चढ़ाव में उनके पोर्टफोलियो को सुरक्षा कवच देने का काम करेगा। अनुशासित निवेशक ये भी जानता है कि इस वोलैटिलिटी के बाद फिर से ग्रोथ आना तय है।
बाजार में मची उथल-पुथल के लिए मंदी की आशंका भी एक वजह नजर आती है। ऐसे वक्त में जब दुनिया मंदी को लेकर दो धाराओं में बंटी हुई है, उस वक्त में भारत की ग्रोथ स्टोरी मजबूत होती नजर आ रही है। विनय टोंसे कहते हैं कि आने वाले दिनों में मंदी आएगी या नहीं, ये अभी नहीं कहा जा सकता क्योंकि ये कई फैक्टर पर निर्भर है। मौजूदा हालात देखें तो कई विकसित देशों में खपत धीमी हुई है। महंगाई बढ़ी है। महंगाई को काबू करने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। ईंधन की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में सुधार भले ही आया है लेकिन इसमें भी काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव जारी है। अब मंदी आएगी या नहीं, ये निर्भर करेगा कि कब महंगाई कम होती है और रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध कब थमता है।
निवेश की जब भी बात आती है तो वित्तीय आजादी की हमेशा बात होती है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि वित्तीय आजादी और लाइफ च्वॉइस के बीच कैसे संतुलन बनाया जाए। विनय टोंसे के मुताबिक इन दोनों चीजों को अलग नहीं देखा जा सकता क्योंकि ये दोनों एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
दुनिया भले ही मंदी की आशंका की चपेट में है लेकिन भारत की ग्रोथ स्टोरी आशावादी नजर आती है। विनय भी इस बात में सहमति जताते हैं कि हम पॉजिटिव साइड में खड़े हैं। उनका कहना है कि भारत की इकोनॉमी को लेकर ये विश्वास इसलिए है क्योंकि कई तरह के पॉजिटिव डेवलपमेंट्स हो रहे हैं। इसमें बेहतर टैक्स कलेक्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश में बढ़ोतरी, ऑटो बिक्री के अच्छे आंकड़े, ये कुछ संकेत हैं जो भारत की ग्रोथ स्टोरी को सपोर्ट करते हैं। लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि मंदी का हम पर कोई असर नहीं पड़ेगा? इस पर विनय कहते हैं कि वैश्विक मंदी का कुछ हद तक असर तो दिखेगा जरूर। भारतीय इकोनॉमी के एक सेक्टर के मुकाबले दूसरा ज्यादा प्रभावित हो सकता है लेकिन मंदी के असर से बचना मुश्किल है।
अच्छी बात ये है कि मंदी की आशंकाओं के बीच म्यूचुअल फंड में निवेश बढत़ा जा रहा है। महज पिछले 12 महीनों में एघ्झ्र् ींळश्1.42 लाख करोड़ हो चुका है। एक साल पहले ये आंकड़ा 96,000 करोड़ था। आंकड़ों से साफ पता चल रहा है कि म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ रहा है। विनय टोंसे इन आंकड़ों को लेकर कहते हैं कि असली कहानी लॉन्ग टर्म ट्रेंड बयां करते हैं। वो कहते हैं कि अचानक आई तेजी के लिए कई शॉर्ट टर्म फैक्टर हो सकते हैं लेकिन लॉन्ग टर्म फैक्टर सबसे भरोसेमंद होते हैं। टोंसे बताते हैं कि अगर आप लॉन्ग टर्म ट्रेंड देखेंगे तो पिछले 2 से ढाई साल में म्यूचुअल फंडर् ींळश् 10 लाख करोड़ के करीब बढ़ा है। टोंसे कहते हैं कि मुझे भरोसा है कि आगे भी ये ग्रोथ स्टोरी जारी रहेगी।
टोंसे बताते हैं कि भारत के महज 5% लोग म्यूचुअल फंड में अभी निवेश करते हैं। वो कहते हैं कि जब निवेशकों का ये आंकड़ा 10% होगा तोर् ींळश् का साइज काफी ज्यादा बढ़ा होगा। म्यूचुअल फंड लोगों के लिए वेल्थ क्रिएशन का बहुत बड़ा जरिया है।
निवेशकों का ये नंबर अगले कुछ सालों में डबल डिजिट में पहुंचने की उम्मीद है। टोंसे कहते हैं कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से तैयार हो रहा है, इकोनॉमी भी मजबूत बन रही है। इस ग्रोथ की मदद से छोटे शहरों, कस्बों और यहां तक कि गांव के लोग भी अब म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं। लेकिन तार्किक प्रगति लाखों लोगों की बचत का वित्तीयकरण ही होगा।
म्यूचुअल फंड ही नहीं डायरेक्ट इक्विटी में भी अभी ज्यादा निवेशक नहीं हैं। महज 3 से 4 फीसदी लोग इक्विटी मार्केट में निवेश करते हैं। ऐसे में जब हमारा देश सुपरपावर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, क्या इक्विटी मार्केट से ग्रोथ को बूस्ट मिल पाएगा? टोंसे इस पर एक अलग नजरिया पेश करते हैं। टोंसे कहते हैं कि इकोनॉमिक ग्रोथ और फाइनेंशियल इन्क्लूजन (वित्तीय समावेशन) लाखों लोगों को म्यूचुअल फंड में निवेश करने को प्रोत्साहित करेगा। जब लाखों लोग म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ाएंगे तो समय के साथ उनका वेल्थ क्रिएशन होगा। यही वेल्थ क्रिएशन वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाएगा और देश में खपत बढ़ेगी। जिससे इकोनॉमिक ग्रोथ बढ़ेगा। और इस तरह ये एक इकोनॉमी के लिए हेल्दी साइकिल बन जाती है।
निवेश की जब भी बात आती है तो वित्तीय आजादी की हमेशा बात होती है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि वित्तीय आजादी और लाइफ च्वॉइस के बीच कैसे संतुलन बनाया जाए। विनय टोंसे के मुताबिक इन दोनों चीजों को अलग नहीं देखा जा सकता क्योंकि ये दोनों एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। एक व्यक्ति तब ही आजाद हो सकता है, जब उसके पास चुनने की आजादी हो। वित्तीय आजादी यही काम करती है। वित्तीय आजादी एक व्यक्ति की दूसरों पर या दूसरे फैक्टर्स पर निर्भरता कम करती है और इससे वो मनमुताबिक चुनने की आजादी पा लेता है।
वित्तीय आजादी पानी है तो निवेश में कुछ मंत्र याद रखने होंगे। टोंसे के मुताबिक निवेश में अनुशासन से बड़ा कोई मंत्र नहीं है। वो कहते हैं कि अगर आपकी अभी-अभी नौकरी लगी है। आपने अभी-अभी कमाना शुरू किया है तो अभी से निवेश की शुरुआत कर दें। जितनी जल्दी आप निवेश की शुरुआत करेंगे, उतना ही आप कंपाउंडिंग की ताकत दूसरों के मुकाबले काफी पहले समझ पाएंगे। लेकिन जल्दी शुरुआत भी तब ही फायदा देगी, जब आप निवेश में अनुशासन बनाए रखेंगे। क्योंकि निवेश मे अनुशासन बनाए रखना सबसे अहम है।