म्युचुअल फंड जगत में निमेश शाह एक ऐसे सीईओ हैं, जिन्होंने अपनी उत्कृष्ट क्षमता एवं सुयोग्य नेतृत्व के माध्यम से आईसीआईसीआई म्युचुअल फंड को देश की सर्वाधिक लोकप्रिय म्युचुअल फंड कंपनी बनाने में महती भूमिका का निर्वहन किया है। सीए की योग्यता रखने वाले निमेश शाह के शानदार नेतृत्व में आईसीआईसीआई पु्रडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी ने कई गुना सम्पति अर्जित की है। आज आईसीआईसीआई पु्रडेंशियल की कई योजनायें बाजार में उतार– चढाव के बीच काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।
आईसीआईसीआई पु्रडेंशियल की सफलता की कहानी को एक अनोखा किस्सा माना जाता है जिसमे की एक एएमसी ने पूरी तरह से परिवर्तन की ओर रूख किया और सफलतापूर्वक इन आर्थिक गतिविधियों में बदलावों के बीच खुद को स्थापित किया है। शाह ने निवेश एवं निवेशकों पर हमेशा ही अधिक ध्यान दिया और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है तथा उन्हें बैंकिंग एवं वित्तीय सेवा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुशलतापूर्वक कार्य करने का लम्बा अनुभव है। निमेश शाह एक कुशल योजनाकार एवं रणनीतिकार के रूप में जाने जाते हैं। कार्य के प्रति समर्पण एवं प्रतिबध्दता ही उनके व्यक्तित्व की प्रबल विशेषता है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड भारत में असेट के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा म्यूचुअल फंड हाउस है। आप इस मुकाम तक कैसे पहुंचे हैं ?
एएमसी का बिजनेस सभी प्रकार के निवेश, उसके परफॉरमेंस और सकारात्मक अनुभव प्रदान करने के बारे में है। आज, इक्विटी, डेट और हाइब्रिड कैटेगरी के फंडों में हमारी मजबूत उपस्थिति है। जब एसेट एलोकेशन स्कीम्स की बात आती है तो ऐसी स्कीम्स की सबसे बड़ी रेंज होती है और हम सबसे आगे होते हैं। इस कैटेगरी में, हमारे पास इक्विटी एक्सपोजर के विभिन्न लेवेल्स वाले प्रोडक्टस हैं। इसलिए, रिस्क प्रोफाइल में एक निवेशक के पास यह चुनने की फ्लेक्सबिलटी होती है कि वह अपने एसेट एलोकेशन को कैसे मैनेज करना चाहता है। डेट कैटेगरी के मामले में, हम बहुत कंसिस्टंट रहे हैं और हमने शानदार निवेश का अनुभव दिया है। पिछले 23 वर्षों में, हमारी किसी भी डेट स्कीम में ब्याज के भुगतान में कभी भी डिफ़ॉल्ट या कोई देरी नहीं हुई है। ऐसा हमारी बेहतर क्रेडिट और रिस्क मैनेजमेंट प्रक्रिया, ग्राहक का चुनाव और प्राथमिकता के क्रम में सुरक्षा, लिक्विडिटी और रिटर्न (एसएलआर) के हमारे ओवरअल इनकम फिलोसोफी के पालन से संभव हुआ है। इक्विटी के मामले में भी हमारे पास बोर्ड में कई रणनीतियां हैं। इक्विटी के भीतर, हमारे पास निवेश के कई स्टाइल जैसे कि वैल्यू, कान्ट्रैरियन, ग्रोथ, GARP, विशेष परिस्थितियाँ आदि मौजूद हैं। हमारी इक्विटी ऑफर्स का लॉंग-टर्म ट्रैक रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है और इससे निवेशकों को वेल्थ बनाने में मदद मिली है। उपरोक्त सभी के साथ एक दमदार स्पान्सर और ब्रांड के परिणामस्वरूप हमने एयूएम में अच्छी खासी वृद्धि की है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल में ग्राहक ही हमारी सारी गतिविधियों के केंद्र बिंदु में होता है। हमारे चैनल पार्टनर्स और डिस्ट्रिब्यूटर्स के अच्छे नेटवर्क की बदौलत देश के किसी भी कोने में हमारा प्रोडक्ट पहुँच सकता है और उसमें निवेशक निवेश भी कर सकता है। हमें बताते हुए खुशी हो रही है कि हम अगस्त 2013 में अपना मोबाइल ऐप आईप्रू टच लॉन्च करने वाले कुछ असेट मैनेजमेंट कंपनियों में से थे, जिसका उपयोग हमारे कस्टमर और डिस्ट्रिब्यूटर्स पार्टनर्स दोनों अपने लेनदेन के लिए कर सकते थे। हमारे पास एक समर्पित कस्टमर एन्गैजमेंट टीम भी है। समय के साथ इन सभी कदमों और उपलब्धियों ने हमें अपनी विकास यात्रा में सक्षम बनाया है।
ओमाइक्रोन की वजह से शेयर मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद म्यूचुअल फंड में निवेशकों का भरोसा बरकरार है. छोटे निवेशक एसआईपी के जरिए लगातार पैसा लगा रहे हैं। साथ ही जिन निवेशकों ने कोविड-19 और लॉकडाउन के बाद अपना निवेश बंद कर दिया था अब उन्होंने फिर से निवेश करना शुरू कर दिया है। तो मौजूदा मार्केट के बारे में आपकी क्या राय है?
पिछले एक दशक में हमने ग्लोबल सेंट्रल बैंकों द्वारा आसान लिक्विडिटी कंडिशन्स और रेट्स में कटौती देखी है जिसने इक्विटी मार्केटों के प्रदर्शन के लिए अनुकूल वातावरण बनाया है। फिलहाल जबकि इक्विटी वैल्यूएशन अपेक्षाकृत अधिक है, ओमाइक्रोन वरिएन्ट के आने से और 2022 में रेट्स में बढ़ोतरी के लिए यूएस फेड के निर्णय के बाद अन्य ग्लोबल सेंट्रल बैंक अगले 18 महीनों में ग्लोबल स्तर पर मार्केट में अस्थिरता फैला सकते हैं। हालांकि, भविष्य में कोविड से संबंधित समाचार काफी उथल पुथल मचा सकते हैं, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। हमारा मानना है कि एक इसके किसी बड़े इम्पैक्ट संभावना नहीं है, जैसा कि पिछले छह महीनों में ऐतिहासिक रुझानों से देखा जा सकता है।
इस परिस्थिति को देखते हुए, इक्विटी मार्केट को नेविगेट करने के लिए अधिक ऐक्टिव मैनेजमेंट की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए हमारा मानना है कि ऐक्टिव मैनेजमेंट और मल्टी-असेट स्ट्रेटेजी का काम्बनैशन निकट अवधि में बेहतर परिणाम दे सकते हैं क्योंकि एसेट क्लासेस में आसानी से पैसा बनाने का टाइम अब खत्म हो गया है। इन सबके बीच भारत के दृष्टिकोण से सकारात्मक बात यह है कि भारत मेंबिजनेस साइकिल अनुकूल हो गया है। कारपोरेटों का घाटा कम हो गया है, सरकारी राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) नियंत्रण में है और वित्तीय क्षेत्र का गैर-निष्पादित ऋण चक्र (non-performing loans cycle) भी कंट्रोल में है। ये सभी इस समय एक सकारात्मक संकेत दे रहे हैं।
पिछले वित्त वर्ष के बाद कॉर्पोरेट अर्निंग की भी रिकवरी होने लगी है। कुछ इंडीकेटर्स हैं जो दर्शाते हैं कि अर्निंग ग्रोथ की रिकवरी कोई तुक्का नहीं, बल्कि लगातार हो रही है। शुरुआत में कॉरपोरेट रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) सात साल के उच्च स्तर 12.5 फीसदी पर पहुंच गया है। लाभ (profitability) में सुधार से रिस्क उठाने की क्षमता में वृद्धि हो सकती है और क्रेडिट ग्रोथ शुरू हो सकती है। यह देखते हुए कि बैंकिंग और एनबीएफसी स्टॉक इंडेक्स हैवीवेट हैं, किसी भी इंक्रीमेंटल प्रॉफ़िट में बेंचमार्क इंडेक्स ईपीएस काफी बढ़ जाता है। इसके बाद, गैर-वित्तीय कंपनियों के कर्ज के बोझ के साथ व्यापक कॉर्पोरेट स्वास्थ्य में सुधार हुआ है, जो लगभग पांच साल पहले की तुलना में घटकर 0.7 हो गया है।
पिछले दशक में भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को उच्च ऋण या चीन से निर्यात किए जा रहे डिफ्लैशन के रूप में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, जहां अधिक क्षमता के कारण अधिकांश निर्माताओं को बहुत कम लाभ और इक्विटी पर कम रिटर्न मिला। विभिन्न वैश्विक निर्माताओं द्वारा अपनाई गई चीन+1 रणनीति से भारतीय मैन्युफैक्चरिंग को लाभ होगा। चीनी टेक्नॉलजी पर नकेल कसने और ग्लोबल आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान (disruption) जैसा कि महामारी के समय में देखा गया था, ने चीन +1 रणनीति को मजबूत किया है। वास्तव में, आज मैन्युफैक्चरिंग बहुत अच्छा कर रहा है जिससे लाभ बढ़ रहा है और कई कंपनियों ने अपनी क्षमता में विस्तार करने की घोषणा भी की है। इंफ्रास्ट्रक्चर एक और स्पेस है जहां सरकार लगातार खर्च कर रही है और जहां पिछले 10 वर्षों में निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय (Capex) लगभग ना के बराबर था। कन्स्ट्रक्शन और रियल एस्टेट जो बड़े रोजगार पैदा करने वाले सेक्टर हैं, उनमें भी तेजी के संकेत दिख रहे हैं।
मुद्रास्फीति के आंकड़ों और ब्याज दरों पर अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के फैसले का असर शेयर मार्केट पर कितना पड़ सकता है?
मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण में नाटकीय बदलाव के कारण ग्लोबल केंद्रीय बैंकों द्वारा बजाया जाने वाला ईजी मनी का संगीत अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर सकता है। महामारी के कारण हुई आर्थिक मंदी का मुकाबला करने के लिए ग्लोबल केंद्रीय बैंक द्वारा बरसाए गए अल्ट्रा-लो-कॉस्ट मनी ने ग्लोबल इक्विटी मार्केट को 120 ट्रिलियन डॉलर के रिकॉर्ड हाई तक पहुंचा दिया है। 2022 में अपेक्षित टेपरिंग और इसके परिणामस्वरूप बढ़ी हुई अस्थिरता निवेशकों के धैर्य की परीक्षा ले सकती है क्योंकि इसी समय ग्लोबल केंद्रीय बैंक थोड़ी कड़ाई बरतना शुरू करेंगे।
यदि सेंट्रल बैंक अधिक आक्रामक मोनेटरी रुख अख्तियार करते हैं, तो इसका परिणाम मार्केट में, विशेष रूप से भारत जैसे उभरते मार्केटों में एक तीव्र नकारात्मक प्रतिक्रिया के रूप में देखी जा सकती है। विदेशी निवेशकों के बीच रिस्क-ऑन सेंटिमेंट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एफपीआई ने दिसंबर तिमाही में 5 अरब डॉलर से ज्यादा की बिक्री की है। संक्षेप में, 2022 में निवेशकों को बिना कमाई वाली कंपनियों में निवेश से दूर रहने के साथ-साथ एसेट एलोकेशन जैसी बुनियादी बातों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
आपको क्या लगता है कि भारतीय निवेशक मुनाफा कमाने से कहाँ चूक या गलती कर रहे हैं?
काफी सालों से समय-समय पर यह देखा गया है कि निवेशक ऐसे शेयरों की ओर आकर्षित होते हैं, जहां बड़े पैमाने पर लाभ कमाया जा रहा था। 1999 में निवेशकों का फेवरेट थीम टीएमटी यानी टेक्नॉलजी, मीडिया और टेलीकॉम के स्टॉक्स हुआ करते थे, जबकि 2007 में यह इंफ्रास्ट्रक्चर हो गया और 2017 में यह स्मॉलकैप के स्टॉक हो गए। निवेशक अक्सर उन थीम में निवेश करते हैं, जो उस निवेश से जुड़े रिस्क रिवार्ड पर विचार किए बिना सुर्खियों में रहते हैं और जिससे सन आप्टमल इनवेस्टमेंट का अनुभव प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए, पिछले छह महीनों के दौरान निवेशक आईपीओ में निवेश कर रहे हैं, जिसमें आक्रामक कीमत वाले आईपीओ भी शामिल हैं, जो कि चिंताजनक है। हम चाहते हैं कि खुदरा निवेशक आईपीओ में निवेश करते समय अधिक सतर्क रहें। प्राइस-टू-अर्निंग, ट्रेलिङ्ग प्राइस-टू-बुक, डिविडेन्ड यील्ड और उन कंपनियों के आरओई जैसे फ़ैक्टर्स की तलाश करें जिनमें वे निवेश कर रहे हैं।
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बहुत क्रेज है और इसने सनसनी फैला दी है। आपका इसको लेकर क्या कहना है?
क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड को लेकर जो अस्पष्टता है और जो रेगुलेशन की कमी है, उसके मद्देनजर हम इसे एक एसेट क्लास के रूप में नहीं देखते हैं। सिद्धांततः हम किसी भी एसेट क्लास में विश्वास करते हैं जो डिविडेन्ड देता है या कम से कम स्थिर कैश फ़्लो जरूर देता है। उस मोर्चे पर क्रिप्टोकरेंसी को अभी अपने आपको साबित करना बाकी है। अपनी मेहनत की कमाई को क्रिप्टो में निवेश करने से पहले भारत में क्रिप्टोकरंसी के नियामक भविष्य को देखना और उस पर विचार करना बेहतर होगा।
सबसे अच्छा रिटर्न पाने के लिए आप अपने निवेशकों को क्या सलाह देना चाहेंगे?
शुरुआत में निवेशकों को पिछले एक या दो साल के रिटर्न के आधार पर निवेश करने से बचना चाहिए। यह रियर व्यू मिरर को देखते हुए ड्राइविंग करने के समान है जो एक खतरनाक तरीका है। निवेश के लिहाज से इसका मतलब यह है कि जिस थीम ने अच्छा प्रदर्शन किया है और सबसे अच्छा रिटर्न पहले ही दर्ज किया जा चुका है, उस पर भरोसा जताएं।
जब लंबी अवधि में धन सृजन (wealth creation) की बात आती है तो एक महत्वपूर्ण पहलू का पालन करना होता है जिसमें एक बैलन्स पोर्टफोलियो होता है और जिसमें इक्विटी, डेट, गोल्ड, चांदी, अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी आदि विभिन्न एसेट क्लास होते हैं। हालांकि, अक्सर ऐसा होता है कि निवेशक उस एक विशेष एसेट क्लास में ज्यादा निवेश कर देता है और जब भी मार्केट करवट लेता है तो उसे खट्टे मीठे अनुभव होने लगते हैं। सफल निवेश अनुभव की कुंजी किसी के निवेश के साथ अनुशासित रहना और उस समय भी एसेट एलोकेशन का सख्ती से पालन करना आवश्यक होता है जब यह बहुत अच्छा याअ आकर्षक नहीं लग सकता है। अंत में, बोए हुए फल का आनंद लेने के लिए निवेश के साथ बने रहना भी जरूरी हो जाता है।
आप म्युचुअल फंड इंडस्ट्री के विकास में नई टेक्नॉलजी के आने को कितना महत्वपूर्ण मानते हैं?
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड आईसीआईसीआई ग्रुप का एक हिस्सा होने के नाते अपने ग्राहकों के लिए टेक्नॉलजी से सुसज्जित सोल्युशंस प्रदान करने में हमेशा सबसे आगे रहा है। हम पिछले सात वर्षों में, अपने सभी पार्टनर्स को अपने ट्रैन्सैक्शन को पूरा करने के लिए अपने मोबाइल एप्लिकेशन आईप्रू-टच का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस ऐप को अगस्त 2013 की शुरुआत में लॉन्च किया गया था और इसे निवेशकों और वितरकों दोनों का काम आसान करने के लिए लगातार अपडेट भी किया गया है। आज, हमारे 94% लेनदेन डिजिटल चैनलों के माध्यम से ही सम्पन्न किए जाते हैं।
हमें आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड के प्रोग्रेस के बारे में कुछ बताएं।
बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ हम उम्मीद करते हैं कि सभी प्रकार के निवेशक एसेट मैनेजमेंट बिजनस के सभी क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के प्रोडक्टस की मांग करेंगे। इसलिए हमने सभी प्लेटफार्मों पर एक प्रोडक्ट पोर्टफोलियो तैयार किया है जो निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफ़ाइल और आवश्यकताओं के आधार पर सही प्रोडक्ट प्रदान करता है। ऐक्टिव साइड पर, हमारे पास एसेट क्लास में विभिन्न प्रकार के आफर्स हैं, जिन्हें कोई अपने रिस्क प्रोफ़ाइल और निवेश लक्ष्य के आधार पर चुन सकता है। जबकि पैसिव साइड पर, हमारे पास निफ्टी 50, निफ्टी नेक्स्ट 50, सेंसेक्स और सेक्टोरल और थीम आधारित प्रोडक्टस तथा मार्केट आधारित उत्पादों की लंबी लाइन है। हम निफ्टी लो वॉल्यूम 30 ईटीएफ और अल्फा लो वॉल्यूम 30 जैसे स्मार्ट बीटा फैक्टर आधारित ईटीएफ लॉन्च करने में अग्रणी रहे हैं।
म्यूचुअल फंड उद्योग को इन्वेस्टर एजुकेशन पर ध्यान देने की जरूरत है। इस दिशा में आपकी कंपनी का क्या रोल है?
इन्वेस्टर एजुकेशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले ही कई कदम उठाए जा चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों में, सेबी और एएमएफआई दोनों ने टी30 के बाहर निवेशक जागरूकता अभियान आयोजित करने के लिए अपनी योजनाएं बनाई है। इनके साथ ही, वितरकों के प्रयासों से, बड़े शहरों के बाहर भी म्यूचुअल फंड के बारे में जागरूकता फैलाने के मामले में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। हमारा मानना है कि जागरूकता फैलाने की यह कोशिश यूं ही जारी रहनी चाहिए क्योंकि अधिक से अधिक निवेशकों तक इसी तरह से पहुंचा का सकता है।
अगले 3 वर्षों के लिए आपकी कंपनी के विस्तार की क्या योजनाएं हैं?
अपनी सफलता को आगे बढ़ते हुए हम पैसिव ऑफर्स का विस्तार करेंगे ताकि हम देश के प्रत्येक निवेशक तक अपनी पहुँच बना सकें।
क्या हम निकट भविष्य में आईसीआईसीआई एमएफ से नए फंड लॉन्च करने की उम्मीद कर सकते हैं?
हमारे सभी नए लॉन्च ईटीएफ और फंड ऑफ फंड (FoF) स्पेस में हैं। जनवरी के पहले सप्ताह में हमने सिल्वर ईटीएफ और ऑटो ईटीएफ लॉन्च किए हैं। ये दोनों म्यूचूअल फंड इंडस्ट्री में अपनी पहले किस्म के हैं।
निवेशक धीरे-धीरे फिज़िकल असेट से फाइनैन्शल एसेट यों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त वे हाल के वर्षों में अपनी बचत को म्यूचुअल फंड में फिर से आवंटित कर रहे हैं। फिर भी देश में कुल मिलाकर म्यूचुअल फंड की पैठ अब भी कम बनी हुई है। इस आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है?
हमारा मानना है कि आने वाले समय में निवेशकों के बीच जागरूकता बढ़ने से म्यूचुअल फंड की ओर लोगों का रुझान बढ़ेगा। इस इंडस्ट्री के विभिन्न शेयरहोल्डर्स के साथ “म्यूचुअल फंड सही है” जैसा कैम्पेन म्यूचुअल फंड के बारे में अच्छी खासी जागरूकता पैदा कर रहा है। पिछले दो वर्षों में, लोगों के मन में एसआईपी का विचार स्पष्ट रूप से सामने आने लगा है क्योंकि रिटेल इन्वेस्टर्स से ज्यादा रिडेम्शन नहीं हुआ क्योंकि मार्केट में उतार-चढ़ाव आ गया। ऐप जैसे नए डिलीवरी टूल के आगमन के साथ निवेश की प्रक्रिया में काफी सुधार हुआ है। हमारा मानना है कि आने वाले वर्षों में नए ऑन-बोर्डेड निवेशकों का सकारात्मक निवेश अनुभव और निवेशकों को आकर्षित करने में मदद करेगा जो एक अच्छे साइकिल चक्र का निर्माण करेगा।