योगी की वेशभूषा में रहने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को अक्सर ही ऐसे व्यक्ति के रूप में सीमित कर दिया जाता है जो विकास के पुराने मॉडल के हिमायती होंगे और जो आधुनिक विकास प्रतिरूपों के प्रति संकोची स्वभाव रखते होंगे। लेकिन दिलचस्प बात है कि योगी आदित्यनाथ ने अपने साथ रूढ़ कर दी गई छवि के विपरीत जाकर विकास के आधुनिक मानदंडों पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
वस्तुतः, मुख्यमंत्री योगी के सत्ता में आने से पहले उत्तर प्रदेश का शहरी विकास देखने के लिए लखनऊ, इटावा या मैनपुरी का विशेष दौरा करना पड़ता था जबकि उत्तर प्रदेश में कुल ७५ जिले हैं। वहीं विगत पाँच वर्षों में योगी आदित्यनाथ के प्रभावी नेतृत्व में उत्तर प्रदेश अपने बुरे अतीत को काफी पीछे छोड़ विकास के शानदार रथ पर सवार होकर उत्तर प्रदेश के स्वर्णिम भविष्य की नई इबारतें लिख रहा है।
चाहे देश में सबसे अधिक एक्सप्रेसवे बनाने की बात हो या पिछली सरकार में हाशिये पर रखे गए अमेठी, सुल्तानपुर और गाजीपुर जैसे छोटे शहरों को विकास के मानचित्र पर स्थापित करने की बात हो, योगी सरकार ने अभूतपूर्व कार्य किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि मुख्यमंत्री योगी ने कभी भी विकास या किसी भी समाज के हितों के लिए न तो किसी स्थान विशेष से भेदभाव किया और न ही समाज के किसी वर्ग विशेष से बल्कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के सभी शहरों की बेहतरी के लिए समान भाव से कार्य किया, चाहे वो शहर जनपद मुख्यालय हो, कमिश्नरी हो या राजधानी।
इसका सबसे बेहतरीन और आदर्श उदाहरण अमेठी शहर है जो कि विरोधियों का आम चुनावों में पसंदीदा निर्वाचन क्षेत्र भी रहा है और पूर्व में निर्वाचित उम्मीदवारों ने अमेठी की भोलीभाली जनता को कई वर्षों तक ठगने का काम भी किया। अमेठी की विकट परिस्थितियों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजादी के ७५ वर्षों के बाद भी अमेठी में शाम ६ बजे के बाद रोडवेज की बसों का संचालन बंद हो जाता था और वहाँ के आम लोगों का प्रदेश के बाकी हिस्सों में आवागमन शाम होते ही बंद हो जाता था। बमुश्किल ८ से १० घण्टे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो पाती थी। स्वास्थ्य केंद्रों की ऐसी दशा कि वहाँ मनुष्य क्या पशुओं का भी इलाज सम्भव न था। लेकिन, आज अमेठी की बदली हुई तस्वीर हर किसी को देखनी चाहिए। पूरे दिन-रात बिजली, हर घर को पानी, बेहतरीन सड़क जैसी हर उस सुविधाओं का इंतजाम मुख्यमंत्री की ओर से किया गया जो मानवीय गरिमा को बनाये रखने हेतु आवश्यक हैं।
अब प्रयागराज का ही उदाहरण देख लीजिए। शहरों का सुन्दरीकरण कैसे किया जाना चाहिए, इसके लिए देश भर के नीति नियंताओं को प्रयागराज के खूबसूरत उदाहरण से सीखना चाहिए। गंगा -यमुना -सरस्वती के पवित्र संगम के किनारे बसा प्रयाग वो ऐतिहासिक संगम नगरी है जहाँ हमारे ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें इस पवित्र धरती पर गिरी थी। इसीलिए यहाँ पर पवित्र और भव्य महाकुम्भ मेले का आयोजन प्रत्येक बारहवें वर्ष किया जाता है। पहले की सरकारों ने जहाँ कुम्भ मेला क्षेत्र का दायरा अत्यंत ही संकुचित बना रखा था, वहीं मुख्यमंत्री योगी ने इसका दायरा २०१९ में बढ़ाकर ३२ किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में कर दिया जो अब तक के इतिहास में सबसे विशाल कुम्भ मेले का आयोजन था। इस भव्य और विशाल आयोजन में देश-दुनिया के करोड़ों लोंगो का आगमन हुआ और पवित्र संगम में डुबकी लगाई और सरकार के द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिकोण से जो अभूतपूर्व इंतजाम किये गए उसकी गूंज आज भी देश के कोने-कोने में सुनाई पड़ती है। बाकी प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व को भी भीड़ के बेहतरीन मैनेजमेंट के गुर उस कुम्भ मेले से सीखना चाहिए।
प्रयाग ही वो पवित्र स्थल है जहाँ भगवान राम अपने वनवास के समय प्रवास के स्थान के मार्गदर्शन हेतु भारद्वाज मुनि के आश्रम आये और जहाँ भारद्वाज मुनि में उन्हें चित्रकूट प्रवास करने का सुझाव दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारद्वाज मुनि के तपोस्थली प्रयागराज का जो विकास किया है, उसे वहाँ देखकर हर कोई महसूस कर सकता है। भारद्वाज मुनि और भगवान श्री राम से जुड़ी मान्यताओं के कारण लोग प्रयागराज से चित्रकूट तक की यात्रा करते हैं और चित्रकूट प्रवास करते हैं लेकिन अच्छी सड़कें न होने के कारण पहले लोग बमुश्किल ही जा पाते थे। सरकारी बसों का परिचालन भी नगण्य ही था लेकिन योगी जी के नेतृत्व वाली सरकार ने अयोध्या, प्रतापगढ़, प्रयागराज होते हुए चित्रकूट तक सड़कों का बेहतरीन संजाल स्थापित किया, जिससे इन इलाकों के निवासियों का जनजीवन तो आसान हुआ ही साथ ही धार्मिक महत्व के कारण होने वाली यात्राओं के फलस्वरूप स्थानीय स्तर पर रोजगार के नये अवसरों का भी जन्म हुआ है। मुख्यमंत्री योगी के कुशल मार्गदर्शन में प्रयागराज की संकरी गलियों और सड़कों का चौड़ीकरण, चौक चौराहों का सौंदर्यीकरण सुनियोजित तरीके से किया गया है।
प्रयागराज से हवाई सेवाओं की शुरुआत कर योगी जी ने प्रयाग के साथ-साथ आस-पास के जिलों जैसे-जौनपुर, प्रतापगढ़ के निवासियों की बहुप्रतीक्षित आकांक्षाओं की पूर्ति कर उनके कठिनाई भरे जन-जीवन को आसान कर दिया। इसी कड़ी में हमें प्रदेश के पूर्वी छोर पर बसे गाजीपुर और बलिया की बात जरूर करनी चाहिए। मंगल पांडेय, जयप्रकाश नारायण जैसे नायकों की धरती बलिया ने तो विकास शब्द का नाम २०१७ के पहले शायद ही सुना हो। योगी जी ने उसे समझा भी और उसे स्थापित भी किया पूर्वांचल एक्सप्रेसवे बनाकर। बलिया को सिर्फ प्रदेश की राजधानी से ही नहीं जोड़ा गया बल्कि जो एक्सप्रेसवे की कड़ियाँ बनाई गई हैं, उससे यह राष्ट्रीय राजधानी से भी जुड़ गया। उसी प्रकार राजा सुहलदेव और वीर अब्दुल हमीद की धरती को पूर्व की सरकारों के द्वारा माफियाओं की पैदावार बनाकर छोड़ दिया गया था। सुविधाओं के नाम पर गाजीपुर शून्य से भी नीचे था लेकिन योगी ने गाजीपुर को सर्वप्रथम देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले वाराणसी से बेहरतीन सड़क संजाल से जोड़ दिया, जिससे गाजीपुर के लोग आसानी से हवाई नेटवर्क से भी जुड़ कर प्रदेश और देश के विकास की मुख्यधारा में शामिल हो गए और आज तो पूर्वांचल एक्सप्रेस्वे भी वीरों की धरती गाजीपुर को नमन करते हुए अपने मंजिल तक पहुंच रही है।
ये योगी की ही दूर दृष्टि का परिणाम है कि गोरखपुर, अयोध्या, कुशीनगर, देवरिया जैसे छोटे-छोटे शहर आज विकास के शानदार सफर पर आगे बढव़र देश के बड़े-बड़े शहरों से कदमताल कर रहे हैं। भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर भ्रमण और दर्शन हेतु जाने वाले बुद्ध के देश-दुनिया के उनके अनुयायियों को कुछ वर्ष पूर्व तक सोचना पड़ता था कि कैसे सुविधाजनक तरीके से वहाँ पहुँचा जाए लेकिन ये योगी का कर्मफल ही है कि कुशीनगर आज पूरी दुनिया में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई नक्शे पर आ चुका है। ऐसे ही विद्वेष और तुष्टिकरण की भावना के कारण ही भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या हमेशा से राजनेताओं के द्वारा तिरष्कृत ही रही लेकिन सत्ता में आते ही योगी ने सर्वप्रथम अयोध्या नगरी के गौरव को पुनर्जीवित करने का कार्य शुरू कर दिया और आज पूरे देश-दुनिया के सनातनी अपने गौरव को उसी भव्य रूप में वापस पाकर आंनद विभोर हैं। ऐसे उदाहरणों को प्रस्तुत करने का उद्देश्य यही था कि चाहे शहरी विकास हो या अवसंरचना सुदृढ़ीकरण या फिर पर्यटन के लिहाज से बुनियादी सुविधाओं की बहाली, योगी सरकार इस संदर्भ में सफल रही है।